महाराष्ट्र में सरकार को लेकर सस्पेंस और एकनाथ शिंदे की नाराजगी
महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन को लेकर जारी सस्पेंस अब तेज हो गया है। राज्य में सत्ता के खेल में बड़े बदलावों की संभावनाएं बन रही हैं, लेकिन एकनाथ शिंदे के हालिया कदमों ने सभी को चौंका दिया है। एकनाथ शिंदे, जो शिवसेना से अलग होकर अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ मिलकर सरकार गठन की दिशा में कदम बढ़ा रहे थे, अब इस खेल से नाराज नजर आ रहे हैं। उन्होंने मुंबई से अचानक अपने होम डिस्ट्रिक्ट सतारा जाने का फैसला लिया, जो उनकी नाराजगी और स्थिति की गंभीरता को और अधिक स्पष्ट करता है।

सूत्रों के मुताबिक, एकनाथ शिंदे का इस कदम के पीछे बड़ा कारण यह है कि उन्हें डिप्टी सीएम के साथ-साथ महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय की भी मांग थी, लेकिन बीजेपी ने इस पर कोई सहमति नहीं दिखाई। शिंदे का मानना है कि यदि वह सरकार गठन में अहम भूमिका निभा रहे हैं, तो उन्हें गृह मंत्रालय भी मिलना चाहिए, लेकिन बीजेपी ने उन्हें यह पद देने से साफ इंकार कर दिया। यही कारण है कि शिंदे बीजेपी से नाराज होकर मुंबई से अपने पैतृक गांव सतारा चले गए हैं, और उन्होंने अगले दो दिन वहां रहने का फैसला किया है। रविवार को वह मुंबई लौटेंगे।

इससे पहले, बृहस्पतिवार रात शिंदे ने दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि सरकार गठन को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनकी बातचीत सकारात्मक रही है। शिंदे का कहना था कि आगामी दिनों में मुंबई में एक और बैठक होनी थी, जिसमें सरकार के गठन को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। लेकिन बीजेपी के सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार को महायुति के नेताओं की कोई बैठक तय नहीं थी। यह बयान शिंदे की दिल्ली यात्रा के बाद आया था, जिसमें उन्होंने अमित शाह से मुलाकात की थी।

दिल्ली यात्रा के दौरान, शिंदे के साथ बीजेपी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी के अजित पवार भी अमित शाह से मिले थे। इन बैठकों में महाराष्ट्र के अगले सरकार गठन को लेकर व्यापक चर्चा हुई थी। हालांकि, शिंदे के लिए यह मुद्दा सिर्फ सरकार के गठन तक सीमित नहीं था। वह यह भी चाहते थे कि उन्हें डिप्टी सीएम के साथ-साथ गृह मंत्रालय भी मिले, लेकिन बीजेपी ने इसके लिए सहमति नहीं दी। शिंदे की नाराजगी इस बात को लेकर और बढ़ी, क्योंकि उन्हें लगा कि उनकी अहमियत और शक्ति को नजरअंदाज किया जा रहा है।

शिंदे के इस कदम ने यह सवाल उठाया है कि महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के अंदर चल रही राजनीति में किसे कितनी शक्ति और जिम्मेदारी मिलनी चाहिए। क्या शिंदे की नाराजगी राज्य सरकार के लिए बड़े बदलाव का संकेत है? क्या बीजेपी को अपने गठबंधन सहयोगियों की नाराजगी का सामना करना पड़ेगा?

शिंदे के इस कदम के बाद राजनीतिक गलियारों में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या इस नाराजगी का कोई दीर्घकालिक असर महाराष्ट्र की राजनीति पर पड़ेगा। शिंदे की ओर से यह संकेत मिल रहे हैं कि वह सरकार गठन में सक्रिय भागीदारी चाहते हैं, और यदि उनकी शर्तें पूरी नहीं होतीं, तो वे किसी भी तरह के समझौते से दूर रह सकते हैं।

शिंदे के सतारा जाने के बाद बीजेपी और शिवसेना के अंदर से आई प्रतिक्रियाएं भी दिलचस्प रही हैं। कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि शिंदे की नाराजगी केवल एक रणनीति हो सकती है, ताकि वह अपनी अहमियत साबित कर सकें और सरकार गठन में अपने लिए एक मजबूत स्थान हासिल कर सकें। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि शिंदे की नाराजगी भविष्य में पार्टी के भीतर असंतोष को जन्म दे सकती है, जिससे सरकार की स्थिरता पर सवाल उठ सकते हैं।

महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति में अब तक कई उतार-चढ़ाव आ चुके हैं। शिंदे की इस नाराजगी को लेकर महाराष्ट्र के राजनेता और नागरिक दोनों ही चिंतित हैं, क्योंकि राज्य में अब तक एक स्थिर सरकार का गठन नहीं हो पाया है। शिंदे का इस तरह का कदम, उनके राजनीतिक करियर और पार्टी के लिए भविष्य की दिशा को तय कर सकता है।

हालांकि, शिंदे का सतारा जाना यह भी दर्शाता है कि वे इस समय किसी समझौते या मीटिंग से दूर रहना चाहते हैं। वे अपनी ताकत और स्थिति को मजबूती से पेश करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि बीजेपी उनके लिए आवश्यक मंत्रालयों की पेशकश करे। शिंदे ने यह भी कहा था कि वह सरकार गठन को लेकर उम्मीदों से भरे हैं, लेकिन अगर उनकी शर्तों का सम्मान नहीं किया जाता है, तो वे अन्य विकल्पों पर विचार करने से पीछे नहीं हटेंगे।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि शिंदे के इस कदम से बीजेपी और शिवसेना के बीच गठबंधन की स्थिरता पर असर पड़ सकता है। शिंदे जैसे अनुभवी नेता की नाराजगी बीजेपी के लिए एक चेतावनी हो सकती है, जिससे भविष्य में कई राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। यह भी देखा जाएगा कि क्या शिंदे अपनी नाराजगी को सुलझाने के लिए बातचीत की ओर लौटते हैं, या फिर वह अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए किसी बड़े कदम की योजना बना रहे हैं।

 

इस पूरे घटनाक्रम में एक बात स्पष्ट है कि महाराष्ट्र की राजनीति में अभी कई मोड़ आने बाकी हैं, और हर नया दिन राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में नए बदलाव ला सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी शिंदे की नाराजगी को दूर करने के लिए कोई कदम उठाती है, या शिंदे अपनी शर्तों को लेकर आगे बढ़ते हैं और राज्य की सत्ता में अपनी स्थिति को मजबूत करते हैं।

Dakhal News 30 November 2024

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