Analysis: झारखंड में JMM का खेला, मईयां योजना का चल गया जादू, लगातार दूसरी बार टूटा BJP का सपना!
झारखंड

झारखंड में झामुमो खेला करती दिख रही है. इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी JMM 30 सीटों से लीड पर चल रही है. वहीं भाजपा दूसरे नंबर पर 26 और तीसरे नंबर पर कांग्रेस है जो 14 सीटों पर चल रही है. लगभग सभी सीटों पर कांटे की टक्कर है. ऐसे में सब की निगाहें रिजल्ट पर हैं. हालांकि कुछ ही घंटों में साफ हो जाएगा कि कौनसी पार्टी झारखंड में सरकार बनाएगी, लेकिन उससे पहले कुछ खास बातें कि क्यों JMM की वापसी नजर आ रही है.

2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो को 81 में से 30 सीटें मिली थीं. वहीं दूसरे नंबर पर भाजपा रही. पार्टी को 25 सीटों से संतुष्ट होना पड़ा. तीसरे नंबर पर कांग्रेस रही, जिसे 16 सीटें मिली और राजद के एक सीट पर जीत दर्ज कर अपनी इज्जत बचाई. हालांकि सरकार बनाने के लिए तो चाहिए थी 41 सीटें. इसके बाद झामुमो, कांग्रेस और राजद ने हाथ मिलाया और तीनों पार्टियों ने गठबंधन बनाया. उस समय JMM नेता हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने थे.

JMM की वापसी के 3 स्ट्रॉन्ग पॉइट…

1. हैट्रिक के मूड में हेमंत सोरेन!

हेमंत सोरेन लोगों के बीच काफी फेमस हैं. उन्होंने पिछली बार यानी 2019 के चुनाव में परंपरागत सीट बरहेट से 25, 740 वोट से जीते थे. इस बार भी उनके सामने भाजपा ने लास्ट मिनट में गमालियल हेंब्रम को मैदान में उतारा है. अभी बरहेट विधानसभा सीट पर सोरेन 8000 से ज्यादा वोटों से आगे जल रहे हैं. इस बार वह जीत की हैट्रिक लगाने वाले हैं.

वहीं, सीएम हेमंत सोरेन का जेल जाना राजनितिक तौर पर उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ है. कथित ज़मीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में उन्हें गिरफ्तार किया गया था. 5 महीने जेल में रहने के बाद उन्हें हाई कोर्ट से जमानत मिल गई थी. झारखंड हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन को ज़मानत देते हुए कहा था कि प्रथम दृष्टया सबूतों को देखते हुए ये मानने के कारण हैं कि हेमंत सोरेन कथित अपराधों के लिए दोषी नहीं हैं. ऐसे में हेमंत सोरेन को लोगों की सहानुभूति मिली. खास कर आदिवासी समाज के लोगों में उनकी अपील मजबूत हुई.

2. सीएम का चेहरा घोषित नहीं करना

दूसरा जो सबसे बड़ा कारण, भाजपा का सीएम का चेहरा घोषित न करना. इसका सीधा मतलब है कि हेंमत सोरेने के आगे खड़े होने लायक पार्टी के लिए कोई चेहरे है ही नहीं.

3. भाजपा के पास लोकल मुद्दे नहीं, JMM को फायदा

झारखंड में भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं ने बढ़-चढ़कर चुनाव प्रचार किया. अपनी पूरी ताकत झोंक दी. कभी ‘बुलडोजर बाबा’ तो कभी ‘मामा’ सभी ने जन सभाएं, बड़े-बड़े कार्यक्रम, रोड शो किए. पीएम मोदी ने भी बड़ी-बड़ी रैलियां की, जिनमें उनकी लोकप्रियता भी देखने को मिली. फिर भी पार्टी किसी चीज से चूक गई तो वो है जनता की नब्ज पकड़ना यानी लोकल मुद्दे…

मंईयां योजना का जादू

रुझानों में मंईयां योजना का जादू दिख रहा है. हेमंत सरकार ने चुनाव से पहले मंईयां योजना की घोषणा कर मास्टर स्ट्रोक खोला है. इसके तहत प्रदेश भर की 18 से 50 वर्ष तक की महिलाओं को प्रत्येक माह 1000 रुपये देने की शुरुआत हुई. चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा से पहले कैबिनेट की बैठक में इसकी रकम में 250 फिसदी की बढ़ोतरी करते हुए 2500 रुपए कर दिया गया. अभी तक लाभुकों के बैंक खाते में 4 किश्तें आ भी चुकी हैं. जबकि दिसंबर महीने से 2500 रुपये प्रतिमाह देने की बात कही जा रही है.

सीधा महिलाओं से कनेक्शन

इस चुनाव में महिलाएं बढ़-चढ़कर वोटिंग में भाग लीं हैं. माना जा रहा है कि यह मंईयां योजना का ही कमाल है. चुनाव आयोग के आंकड़ो के मुताबिक झारखंड विधानसभा की ज्यादातर सीटों पर महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुष की तुलना में अधिक है. जानकार मानते हैं कि महिलाएं हेमंत सरकार की मंईयां योजना पर मुहर लगाने के लिए घरों से निकली हैं. चुनाव परिणाम के रुझानों में इसका असर दिख रहा है.

चुनाव से पहले लोगों के लिए शानदार घोषणाएं

सरकार ने 200 यूनिक फ्री बिजली की भी घोषणा की है. प्रतिमाह 200 यूनिट तक बिजली बिल माफ की गई. वहीं, किसानों को रिझाने के लिए सरकार लोन माफी योजना लाई. सरकार ने 2 लाख रुपये तक का कृषि लोन माफ कर दिया.

इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी JMM 30 सीटों पर आगे चल रही है. अगर JMM इस बार सरकार बनाती है तो 24 साल की परंपरा टूट जाएगी, क्योंकि 24 साल में वह पहली पार्टी होगी जो लगातार दूसरी बार सरकार बनाएगी.

Dakhal News 23 November 2024

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