Dakhal News
21 January 2025मध्य प्रदेश की बुधनी और विजयपुर विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव 13 नवंबर होगा। कांग्रेस और भाजपा का प्रचार दोनों सीटों पर तेज हो गया है। विजयपुर में भाजपा के मुकाबले के लिए कांग्रेस की नजर बसपा के वोट बैंक पर है। बसपा ने यहां उम्मीदवार नहीं उतारा है।
दरअसल, पार्टी को यहां पिछले दो चुनाव से 35-35 हजार वोट मिल रहे हैं, जो चुनाव परिणाम की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि कांग्रेस ने बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और भांडेर से विधायक फूल सिंह बरैया और श्योपुर से विधायक बाबू जंडेल को आगे किया है।
विजयपुर और बुधनी का सियासी समीकरण
-बुधनी में मुकाबला हमेशा भाजपा और कांग्रेस के बीच रहा है। यहां तीसरे दल की भूमिका रस्म अदायगी तक सीमित रही है, पर विजयपुर में ऐसा नहीं है।
-विजयपुर में तीसरे दल का उम्मीदवार परिणाम को प्रभावित करता है। इसमें भी बसपा ही प्रभावी भूमिका में रही है। यहां पार्टी का वोट बैंक है।
-वर्ष 2008 के चुनाव में बसपा के महेश प्रसाद मुदगल को 12 हजार 388 वोट मिले थे, जो 2013 में घटकर सात हजार 192 रह गए। पार्टी ने इसके बाद संगठन पर ध्यान दिया।
-इसका लाभ 2018 के चुनाव में मिला और पार्टी के प्रत्याशी बाबूलाल मेवरा को 35 हजार 628 वोट मिले और वह तीसरे स्थान पर रहे। इसका लाभ भाजपा को मिला था।
-तब भाजपा के सीताराम आदिवासी ने कांग्रेस के रामनिवास रावत को 2,840 मतों से पराजित कर दिया था। बसपा हार गई, लेकिन क्षेत्र में उसका प्रभाव बढ़ गया।
2023 के चुनाव में भाजपा ने बसपा के प्रभाव को देखते हुए सीताराम आदिवासी का टिकट काटकर 2018 में उम्मीदवार रहे बाबूलाल मेवरा को पार्टी में लाकर प्रत्याशी बनाया। बसपा ने दारा सिंह कुशवाहा पर दांव लगाया, जो 34 हजार 346 वोट ले गए। इससे भाजपा को हार का सामना पड़ा और रामनिवास रावत 18,059 मतों से विजयी हुए। उनकी इस जीत में निर्दलीय प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा ने भी बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने सीताराम आदिवासी के टिकट काटे जाने का भरपूर लाभ उठाया और 44 हजार 128 मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे।
रामनिवास रावत के विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होने से रिक्त सीट पर जो उपचुनाव कराया जा रहा है, उसमें समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं। कांग्रेस अभी तक विजयपुर में ओबीसी चेहरे यानी रावत पर दांव लगाती आ रही थी, पर इस बार आदिवासी कार्ड खेला गया है। मुकेश मल्होत्रा अब कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ रहे हैं तो बसपा ने कोई प्रत्याशी ही मैदान में नहीं उतारा। इसे अवसर के रूप में लेते हुए पार्टी ने बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और भांडेर से कांग्रेस विधायक फूलसिंह बरैया और श्योपुर से विधायक बाबू जंडेल को अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं को साधने के लिए आगे किया है।
बसपा का प्रभाव शुरू से ग्वालियर-अंचल में रहा है। यही कारण है कि पार्टी के नेता अलग-अलग बैठकें करके समाज के प्रमुख लोगों से संपर्क कर रहे हैं। वहीं, आदिवासियों को साधने के लिए आदिवासी कांग्रेस के अध्यक्ष रामू टेकाम, डा. हीरालाल अलावा सहित अन्य नेताओं को लगाया गया है।
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9 November 2024
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