दीपक पर हावी हुई लाइटें, दीयों की बिक्री पहले से कम हुई

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने वोकल फ़ॉर लोकल को बढ़ावा देने के लिए छोटे कामगारों को  प्रोत्साहन की बात कही दीपोत्सव पर इन गरीब लोगों से तहबाजारी वसूल न करने की बात कही लेकिन इसके बावजूद अधिकारी अपनी से बाज नहीं आये लाइट की चकाचौंध में अब दीपावली की दीयों की पहले सी बिक्री भी नहीं रही है.

 

दीवाली के पर्व मिट्टी के दीपक जलाने से सुख-समृद्धि आती है, लेकिन आधुनिकता के दौर में अधिकांश लोग मिट्टी के दीये के स्थान पर लाइट और मोमबत्तियां का प्रयोग कर रहे हीं अब सिर्फ पूजन के लिए गिनती के मिट्टी के दीये खरीदकर लोग शगुन कर लेते हैं  अमरपाटन में दीपक बनाने वाले सोनू प्रजापति ने बताया कि पहले की तुलना में मिट्टी के दीये लोग कम खरीदते हैं पहले लोग पूजा-पाठ करने के साथ ही पूरे घर आंगन को रोशन करने के लिए मिट्टी के दीये खरीदा करते थे, लेकिन अब मिट्टी के दीयों में वो बात नहीं रह गई इसकी बिक्री कम हो गई है इस बार उन्होंने पिछले साल की आपेक्षा काफी कम दीये तैयार किये और उनकी भी बिक्री कम हुई प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने वोकल फ़ॉर लोकल को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में प्रोत्साहन की बात कही , साथ ही मिट्टी के दिए बेचने बनाने वालों को करो से मुक्त करते हुए बैठकी शुक्ल से मुक्त किया परंतु अमरपाटन में इसके विपरीत हैं यहाँ मुख्यमंत्री का आदेश भी नही चलता नगर परिषद के ठेकेदार ने बैठकी शुल्क सबसे वसूल लिए और शुक्ल नहीं देने पर दीपक बेचने वाली महिलाओं को बैठने न देने व भगाने की धमकी तक दे दी.

 

Dakhal News 30 October 2024

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