झारखंड भाजपा में बरकरार ओडिशा राजभवन का दखल, सरयू राय की राजनीति पर भारी पड़ सकते हैं रघुवर दास
Jharkhand, vidhan sabha

विधानसभा चुनाव सामने है मगर झारखंड भाजपा की राजनीति अजीब कशमकश के दौर से गुजर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को लगभग एक वर्ष पहले ओडिशा के राजभवन में बिठाने के बाद भी उनके दायरे से भाजपा पूरी तरह बाहर नहीं निकल पा रही है। राजग के सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे से लेकर भाजपा में टिकटों के वितरण तक में रघुवर की इच्छाशक्ति ही प्रबल दिख रही है।

 

इससे सबसे ज्यादा प्रभावित भाजपा के सहयोगी पार्टी जदयू में हाल में शामिल होने वाले पूर्व मंत्री सरयू राय हो सकते हैं। अभी तक फाइनल नहीं हो पाया है कि वह कहां से लड़ेंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा से बेटिकट होने के बाद जमशेदपुर पूर्वी क्षेत्र से निर्दलीय लड़कर उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराया था। इस बार बदला लेने की बारी रघुवर दास की है।

 

सरयू राय को बेदखल करने की जुगत

सूत्रों के अनुसार पूरी ताकत से विरोध करते हुए उन्होंने अपनी परंपरागत पूर्वी सीट को अपने किसी खास के लिए सरयू से मुक्त करा लिया है। अब जमशेदपुर पश्चिमी सीट से भी वह सरयू राय को बेदखल करने की जुगत में हैं। मामला भाजपा और जदयू के शीर्ष नेतृत्व के पास विचाराधीन है। ऐसे में सरयू के खाली हाथ रहने का खतरा बढ़ गया है।

 

जमशेदपुर की दोनों सीटें भाजपा की परंपरागत

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से जुड़े सूत्र बताते हैं कि झारखंड भाजपा के सह चुनाव प्रभारी एवं असम के मुख्यमंत्री हिमंता विस्व सरमा ने शीर्ष नेतृत्व को स्पष्ट कर दिया है कि जमशेदपुर की दोनों सीटें भाजपा की परंपरागत हैं। इसका अहसास होते ही सरयू राय ने पूर्वी क्षेत्र के संदर्भ में अपना रवैया नरम कर लिया है।

 

पश्चिमी सीट से राजग के प्रत्याशी बनने के लिए तैयार

अभी तक वह पूर्वी जमशेदपुर से ही लड़ने के लिए दबाव बनाए हुए थे। मगर अब एकाएक हथियार डाल दिया है। इसी कवायद के तहत रांची में एक दिन पहले प्रेस कान्फ्रेंस कर सरयू ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि वह पूर्वी सीट छोड़ने और सहमति बनने पर पश्चिमी सीट से राजग के प्रत्याशी बनने के लिए तैयार हैं।

 

झारखंड में एनडीए ने बांटी सीटें

झारखंड में भाजपा ने अपने सहयोगी दलों के साथ सीटों का बंटवारा कर लिया है। अब सिर्फ घोषणा भर बाकी है। सूत्रों का कहना है कि आजसू को आठ, जदयू को दो और लोजपा (आर) को एक सीट दी गई हैं। आजसू प्रमुख सुदेश महतो आखिर तक नौ सीटों के लिए अड़े हुए थे। किंतु भाजपा आठ से ज्यादा देने के पक्ष में नहीं है। उधर दो सीट से जदयू संतुष्ट नहीं है। जदयू के झारखंड अध्यक्ष खीरू महतो जल्द ही नीतीश कुमार से मुलाकात कर सकते हैं। खीरू की उम्मीद अभी खत्म नहीं हुई है। सीट बंटवारे को लेकर राजग के दलों के बीच फाइनल मी¨टग 13 अक्टूबर को हो सकती है। वह तबतक नाउम्मीद नहीं हैं।

 

सरयू-खीरू में खींचतान

भाजपा की ओर से मात्र दो सीटें मिलने की स्थिति में तमाड़ से पूर्व विधायक राजा पीटर का जदयू प्रत्याशी बनना तय माना जा रहा है। उन्हें हाल में ही जदयू की सदस्यता दिलाई गई है। दूसरी सीट के लिए सरयू राय और जदयू के प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो के बीच स्पर्धा चल रही है। खीरू अपने पुत्र को मांडू क्षेत्र से प्रत्याशी बनाने के लिए प्रयासरत हैं। मांडू से खीरू पहले भी विधायक रह चुके हैं और इसे वह अपनी परंपरागत सीट मानते हैं। सरयू को अगर प्रत्याशी बनाया जाता है तो खीरू का ख्वाब टूट सकता है।

 

अर्जुन मुंडा नहीं लड़ेंगे चुनाव

खूंटी क्षेत्र से लोकसभा चुनाव हारने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने जा रहे हैं। नेतृत्व ने उन्हें खिजरी सीट से प्रत्याशी बनने का विकल्प दिया था, लेकिन वह चाहते हैं कि उनके बदले उनकी पत्नी मीरा मुंडा को चुनाव लड़ाया जाए। हालांकि अभी इसपर ऊपर से सहमति नहीं मिल पाई है। ऐसे में वह विधानसभा चुनाव में प्रचार तंत्र को संभाल सकते हैं।

Dakhal News 10 October 2024

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