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हरियाणा चुनाव के लिए मतदान को महज़ तीस दिन बाक़ी हैं। एक तरफ जहां टिकट बँटवारे को लेकर भाजपा के कुछ लोग पार्टी छोड़ रहे हैं। वहीं, कांग्रेस ने हरियाणा में तुरुप का इक्का पकड़ लिया है। ओलिंपिक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट ने कांग्रेस जॉइन कर ली है।
भाजपा का कहना है कि ये दोनों पहलवान कांग्रेस की राजनीति का शिकार हो गए हैं। हालांकि, दोनों पहलवान कह रहे हैं कि जंतर-मंतर पर हमारे सहित देश की कई बेटियाँ जब सड़क पर घसीटी जा रही थीं, तब केवल कांग्रेस ने हमारा साथ दिया था। हमने भाजपा की महिला सांसदों को भी मदद के लिए पत्र भेजे थे, पर किसी ने हमारा साथ नहीं दिया था।
अब आते हैं इन दो पहलवानों के कांग्रेस में शामिल होने के असर पर। दरअसल, इस घटना से कांग्रेस जिस भी स्थिति में है, उससे थोड़ी तो मज़बूत हुई ही है। विनेश, जो मात्र सौ ग्राम ज़्यादा वजन के कारण पेरिस ओलिंपिक में अयोग्य करार दी गई थीं और जिससे केवल हरियाणा ही नहीं, पूरा देश दुखी हुआ था, उस सहानुभूति का लाभ भी कांग्रेस को मिल सकता है।
संभव है कि अब हरियाणा में जहां भी चुनाव-प्रचार के लिए राहुल या प्रियंका गांधी जाएँगे, विनेश फोगाट को मंच पर ज़रूर बैठाएँगे। ताकि सहानुभूति को भुनाया जा सके। निश्चित ही इसका राजनीतिक लाभ कांग्रेस को मिलेगा।
फ़िलहाल भाजपा के पास इस तरह का कोई सहानुभूति कार्ड नहीं है। ऊपर से दस साल की एंटी इंकम्बेंसी ज़रूर है। हालांकि, ऐसी स्थितियों से जूझने, लड़ने में भाजपा माहिर हैं। वह हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाने की पूरी कोशिश करेगी।
यहाँ भाजपा के फ़ायदे का एक ही सूत्र है और वह है जाट वोटों का बँटवारा। यह संभव हो गया तो भाजपा को हराना मुश्किल हो जाएगा। देखना यह है कि कांग्रेस हरियाणा में जाट वोटों को किस हद तक इकट्ठा रख पाती है या बिखरने से बचा सकती है!
उधर एक और धुरंधर महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कहा है कि विनेश और बजरंग का कांग्रेस में शामिल होना उनका निजी फ़ैसला है, लेकिन मैं पहलवानों के पक्ष में अपनी लड़ाई जारी रखूँगी। उस आंदोलन को क़तई धीमा नहीं होने दूँगी।
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