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मध्यप्रदेश में कांग्रेस को विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस एक बार फिर से संगठन को मजबूत करने में जुटी हुई है। वहीं, कांग्रेस के विधायकों को पार्टी आलाकमान ने निर्देश दिया है कि सभी विधायक एक जुलाई से शुरू होने वाले बजट सत्र में अलग-अलग मुद्दों पर सरकार को घेरेंगे। इसके लिए सभी विधायकों को पार्टी द्वारा मुद्दे भी बताए जा रहे हैं एमपी में बीजेपी जिन प्रमुख वादों को लेकर सत्ता में आई, वह अब भी अधूरे हैं। कांग्रेस का आरोप है कि महिलाओं को 450 रुपये का गैस सिलेंडर, तीन हजार रुपये लाडली बहनों को और किसानों को उनकी फसल का समर्थन मूल्य सरकार नहीं दे रही है। इन मुद्दों को जोर-जोर से सदन में उठाया जाएगा। कांग्रेस के प्रदेश मीडिया प्रभारी मुकेश नायक ने कहा है कि सरकार की वादाखिलाफी नहीं चलने देंगे। विपक्ष ने सदन में सरकार को घेरने की रणनीति भी तैयार कर ली है। विधायकों को अलग-अलग मुद्दों को प्रभावी रूप से तैयारी के साथ उठाने कहा गया है।गौरतलब है कि इस विधानसभा में कांग्रेस के सबसे ज्यादा मुद्दे उठाने वाले और कांग्रेस पार्टी को मजबूत बनाने वाले वर्तमान पीसीसी चीफ जीतू पटवारी चुनाव हारने के कारण विधानसभा से बाहर हैं। वहीं, दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा मुद्दे उठाने वाले युवा विधायक कुणाल चौधरी भी इस बार चुनाव हार गए हैं। इसलिए विधानसभा से बाहर हो गए। यही वजह है कि कांग्रेस इस बार विधानसभा में कमजोर दिखाई देती है। नेता प्रतिपक्ष की बात करें तो उमंग सिंघार भी उतने धारदार नजर नहीं आते हैं। पिछले विधानसभा सत्र में कांग्रेस की तरफ से सबसे ज्यादा प्रश्न पूछने वाले विधायक रामनिवास रावत भी कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी के साथ चले गए हैं। इसका भी असर इस सत्र में दिखाई देगा।
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