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एमपी में मरीजों के लिए एम्बुलेंस नहीं ठेला व्यवस्था
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ये खबर पीड़ा दे रही हैं आप बेहद संवेदनशील मुख्यमत्री कहे जाते हैं मगर यहाँ संवेदनाये तर तर हो रही हैं आप सबसे लम्बी अवधि के मुख्यमंत्री हैं आखिर कहाँ चूक हो गई आपके शासन में मरीज मजबूर हैं एम्बुलेंस नहीं मिलती ठेले पर अस्पताल जाना पड़ता हैं सीएम साहब आपके राज में प्रजा क्यों परेशान हैं क्यो मजबूर हैं क्या वजह हैं की आप जनता के बिच जाते हैं सुबिधाओं की जनता की खुशहाली की बात करते हैं मगर जमीनी स्तर से जब ऐसी खबरे और तस्वीरें आती हैं तो हर किसी की आंखे नाम हो जाती हैं जरा इस खबर को जान लीजिये की आपके राज में हुआ क्या हैं दरअसल एक कैंसर पीड़ित मरीज का परिवार अस्पताल से एम्बुलेंस आने का इंतजार करता रहा जब लम्बे इंतजार के बाद भी एम्बुलेंस नहीं आई तो मरीज की बिगड़ती हालत को देख परिवार इतना विवश हो गया की मरीज को ठेले पर अस्पलात पहुँचाया और जब अस्पताल में ईलाज के दौरान मरीज की मृत्यु हो गई तो आपके राज में मृत व्यक्ति को शव वाहन भी नसीब नहीं हुआ आखिरकार उसी ठेले पर परिवार वालों को शव घर लाना पड़ा अस्पताल प्रबंधन ये सब मूक-दर्शक बनकर देखता रहा यह पूरा मामला छतरपुर का है मृतक का नाम महेंद्र बंसल है महेंद्र के परिवार की महिला यशोदा बंसल ने बताया की महेंद्र का इलाज लंबे समय से जबलपुर में चल रहा था लेकिन उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार न होने के कारण डॉक्टरों ने उन्हें घर ले जाने की सलाह दी घर पर महेंद्र की तबियत ज्यादा बिगड़ने के कारण जब एम्बुलेंस नहीं मिली तो ठेले पर अस्पताल ले जाना पड़ा जहां इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई एम्बुलेंस न मिलने के कारण शव को ठेले पर घर लाना पड़ा यशोदा ने बताया की हमने कई बार एम्बुलेंस के लिए 108 पर कॉल किया लेकिन वहां से हमें कोई उत्तर नहीं मिला अब इस मामले में बीएमओ ने अपना पल्ला झाड़ लिया हैं बीएमओ ललित उपाध्याय का कहना हैं की शव वाहन की मरीज के परिजन ने डिमांड ही नहीं की थी और यह नगर पालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है।
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