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भोपाल। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने हाल ही में इफको द्वारा डीएपी और एनपीके खाद की कीमतों में की गई वृद्धि को वापस लेने की मांग करते हुए केन्द्र सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर ने कहा है कि वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी करने का वादा करने वाली भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार लगातार किसान विरोधी फैसले ले रही है। ऐसा लगता है कि यह सरकार किसानों से किसान आंदोलन का बदला ले रही है।
माकपा नेता जसविंदर सिंह ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि इफको ने डीएपी और एनपीके की कीमतों मे जबरदस्त वृद्धि कर दी है। इस वृद्धि से डीएपी की 50 किलो का बोरी 1200 रुपये से बढाकर 1350 रुपये में मिल रही है, जबकि एनपीके की 50 किलो की बोरी की कीमत 1290 रुपये से बढ़ाकर 1400 रुपये कर दी है। उन्होंने कहा कि खाद की कीमतों में हुई इस बढ़ोतरी से न केवल खेती की लागत बढ़ेगी, बल्कि पहले ही संकट ग्रस्त कृषि और किसानों की हालत और गंभीर होगी और वे क़र्ज़ के बोझ तले और दब जाएंगे।
जसविंदर सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी करने का वादा किया था, मगर हाल ही में संसद में रखी गई जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश सहित पांच राज्यों में किसानों की आय में 25 फीसद तक की गिरावट आई है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार यदि इस दौरान मुद्रास्फीति की वृद्धि क़ो आधार बनाया जाए तो देश भर में किसानों की आय बढ़ने की बजाय कम हुई है।
माकपा नेता ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों के विरोध में ही किसानों ने आजादी के बाद का सबसे बड़ा किसान आंदोलन किया था, जिसके बाद सरकार क़ो किसान विरोधी कानून वापस लेने पर मज़बूर होना पड़ा था, किन्तु इसके बाद भी यह सरकार किसान विरोधी नीतियों को जारी रखे हुए है। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशो क़ो लागू कर किसानों की उनकी फ़सल का वाजिब दाम देने की तो सरकार ने बात करना ही बंद कर दिया है। माकपा ने खाद की बढ़ी हुई कीमतों क़ो तुरंत वापस लेने की मांग करते हुए सभी किसान संगठनों क़ो एकजुट होकर इसका विरोध करने की अपील की है।
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