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इंदौर। राज्यपाल मंगु भाई पटेल ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी को देश की आजादी का इतिहास पढ़ाने तथा उसका महत्व बताने की जरुरत है। अपने देश की आजादी में बलिदानियों का भी अहम योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि साहित्यकार अपनी सभ्यता, संस्कृति और राष्ट्र को सही रास्ता दिखाते हुये अपनी कलम से अपने देश की धमनियों में नये रक्त का संचार करते रहें।
राज्यपाल पटेल शनिवार को इंदौर में मध्य भारत हिन्दी साहित्य समिति द्वारा आयोजित साहित्यिक संस्थाओं के सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में उन्होंने समिति शताब्दी सम्मान से वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. दामोदर खड़से तथा श्री राजकुमार कुम्भज को सम्मानित किया। इस अवसर पर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, सांसद शंकर लालवानी, संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा, मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे, मध्य भारत हिन्दी साहित्य समिति के प्रधानमंत्री प्रो. सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी,देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति रेणु जैन आदि उपस्थित थे।
राज्यपाल पटेल ने कहा कि मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति एक शताब्दी से राष्ट्रभाषा हिन्दी की परम सेवा करने वाली पावन संस्था है। इस संस्था द्वारा आयोजित साहित्य संस्थाओं के सम्मेलन में उपस्थित होना गौरव की बात है। पूज्य बापू महात्मा गांधी भी इस संस्था में पधारे थे। साहित्य सेवकों और माँ सरस्वती के साधकों की इस संस्था ने राष्ट्रभाषा की जो प्रतिबद्ध सेवा की है, वह अनुकरणीय और वंदनीय है।
उन्होंने कहा कि साहित्यकार और कवि समाज का अटूट हिस्सा, वह कभी रिटायर नहीं होते, उनकी रचना धर्मिता न थकती है, और न ही समाज को थकने देती है। साहित्यकार असाधारण सृजन प्रक्रिया करते हुए सामान्य जीवन की जिम्मेदारियों को भी पूरा करता है।
उन्होंने सभी साहित्य मनीषियों से अपील कि है कि अपनी सभ्यता, संस्कृति और राष्ट्र को सही रास्ता दिखाते हुए, अपनी कलम से अपने देश की धमनियों में नए रक्त का संचार करते रहे। जरूरतमंद और वंचित वर्ग की मदद के लिए सामाजिक चेतना को जागृत औऱ सक्रिय रखें। उन्होंने कहा कि वर्तमान पीढ़ी को देश की आजादी का इतिहास बताया जाये तथा उसका महत्व समझाया जाये। उन्होंने कहा कि देश की आजादी में बलिदानियों की भी अहम् भूमिका रही है।
कार्यक्रम में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि साहित्य एक विशेष विधा है। साहित्य सकारात्मक परिवर्तन का वाहक है। साहित्य के माध्यम से अपनी संस्कृति और सभ्यता को समझने में मदद मिलती है।
सांसद शंकर लालवानी ने इस अवसर पर सम्बोधित करते हुये कहा कि मध्य भारत हिन्दी साहित्य समिति का गौरवशाली इतिहास है। इस संस्था का साहित्य की सेवा में बड़ा योगदान है। कार्यक्रम में डॉ. दामोदर खड़से एवं श्री राजकुमार कुम्भज ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
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