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राजस्थान में राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर कांग्रेस में आपसी अंतर्कलह देखा जा रहा है। आलाकमान चाहती है कि यहां परिवर्तन करते हुए मुख्यमंत्री पद किसी और को सौंप दी जाए। और सीएम पद पाने की होड़ में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के समर्थक अब आमने-सामने हो गए हैं। बीती रात गहलोत कैंप के 76 विधायकों ने स्पीकर सीपी जोशी को इस्तीफा सौंपा है। निर्दलीय विधायकों समेत कांग्रेस को कुल 120 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। और निर्दलीय 13 विधायक है। वहीं राजस्थान में चल रही इस सियासी उठापटक के बीच मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस पर तंज कसा है। गृह मंत्री ने कहा कि दिल के हजार टुकड़े होंगे कोई यहां गिरेगा, कोई वहां गिरेगा। राजस्थान में कांग्रेस का हश्र देखने लायक होगा। वह एक डूबते हुए जहाज की तरह दिखाई दे रही है। राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा शुरू की और कांग्रेस छोड़ो यात्रा प्रारंभ हो चुकी है।
इसके अलावा नरोत्तम मिश्रा ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के आरएसएस को तुलना पीएफआई से करने वाले बयान पर पलटवार भी किया है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति जाकिर नायक को शांतिदूत बताकर ओसामा के नाम के आगे जी लगा दे, उनसे और कुछ उम्मीद नहीं की जा सकती। पूरा देश ये अच्छे से जानता है कि आरएसएस के लिए राष्ट्र सर्वोपरि है।
बता दें कि राजस्थान में कांग्रेस आलाकमान ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पद से हटाकर यहां सत्ता में परिवर्तन की कोशिश की थी। लेकिन अशोक गहलोत के समर्थित विधायकों ने आलाकमान के इस कोशिश को नाकामयाब कर दिया है। उन्होंने साफ कहा कि हममें से कोई भी सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में नहीं हैं और चाहते हैं कि गहलोत गुट के ही किसी मंत्री को मुख्यमंत्री का पद दिया जाए।
राजस्थान में एक बार 2020 जैसे सियासी संकट के हालात पैदा हो गए है। राजस्थान में जून 2020 में उस वक्त सियासी संकट के हालात पैदा हुए थे। जब सचिन पायलट समेत 19 कांग्रेसी विधायकों ने बागी तेवर अपनाते हुए दिल्ली से सटे गुड़गांव के मानेसर में डेरा डाल दिया था। राजस्थान की कांग्रेस सरकार अस्थिर हो गई थी। करीब सवा महीने तक विधायकों के साथ मुख्मयंत्री अशोक गहलोत ने होटलों में डेरा जमाए रखा। राजस्थान में इस बार गहलोत कैंप के विधायक ने पायलट जैसे कदम उठाएं है।
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