Patrakar Priyanshi Chaturvedi
मध्य प्रदेश में 2023 विधानसभा चुनाव की तैयारी अपने चरम पर चल रहीं है। दोनों ही मुख्य पार्टियां अपने वर्चस्व की लड़ाई में जुटी हुई है। चुनाव से पहले अक्सर कांग्रेस की गुटबाजी की खबरें सामने आया करती हैं। लेकिन इस बार चुनाव से पहले ग्वालियर-चंबल अंचल में भाजपा नेताओं के बीच लगातार गुटबाजी की खबर सामने आ रहीं है। और इस गुटबाजी से सरकार को भी परेशानी हो रही है। इस समय ग्वालियर-चंबल अंचल में मोदी सरकार के दो कैबिनेट मंत्रियों के बीच आपसी वर्चस्व की जंग खुलकर सामने आ रही है। दरअसल चुनाव से पहले ग्वालियर-चंबल अंचल में भाजपा के दोनों दिग्गज नेता एक-दूसरे को अंचल का सर्वमान्य नेता साबित करने के लिए लगातार जोर लगा रहे हैं। अंचल के दिग्गज नेता कहे जाने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर के बीच लगातार वर्चस्व की लड़ाई गति पकड़ रही है।
राजनीतिक गुरुओं की माने तो अभी अपने जन्मदिन पर पीएम मोदी कूनो नेशनल पार्क आए थे। और इस कार्यक्रम का श्रेय केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को जा रहा है। लेकिन अब बताया जा रहा है कि अगले महीने ग्वालियर में बन रहे इंटरनेशनल एयरपोर्ट का भूमि पूजन करने के लिए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुलाने वाले हैं जिसे लेकर तैयारियां शुरू हो गई है।अगर माने तो ग्वालियर-चंबल अंचल में इस समय केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर के बीच भाजपा दो गुटों में नजर आती है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर-चंबल अंचल में हो रहे बड़े विकास कार्यों का श्रेय खुद लेने की कोशिश कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी इसमें पीछे नहीं है। और यही कारण माना जा रहा है कि जब ग्वालियर-चंबल अंचल में विकास कार्यों का लोकार्पण और शुभारंभ हो रहा है तो सोशल मीडिया पर यह दोनों दिग्गज नेता अपना-अपना श्रेय लेने में लग जातें हैं। जानकारों की माने इससे स्पष्ट होता है कि दोनों दिग्गज नेताओं के बीच कहीं ना कहीं वर्चस्व की जंग छिड़ी है। कूनो अभ्यारण्य में चीते बसाने के साथ-साथ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने से अंचल में कहीं न कहीं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के कद और वर्चस्व को ताकत मिली है।
वहीं, कांग्रेस ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा की भाजपा के दो दिग्गज नेताओं के बीच वर्चस्व की जंग से कहीं ना कहीं ग्वालियर-चंबल अंचल के विकास कार्यों में बाधा डाल रही है। और यही कारण है कि ऐसे कई प्रोजेक्ट हैं जिनका शिलान्यास होने के बाद भी वह प्रोजेक्ट अधूरे पड़े हुए हैं।
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