खबरों की दुनिया में तबलीगी जमात कोरोना के हॉटस्पॉट और मास्क का मुद्दा सुर्खियों में
bhopal, Tabligi Jama Coronas hotspot and mask issue in news headlines

तबलीगी जमात के जलसे में शामिल अधिकतर लोगों के कोरोना संक्रमित होने से पूरे देश में कोहराम मच गया है। निजामुद्दीन को संक्रमण का केंद्र माना जा रहा है क्योंकि इसमें शामिल लोगों से अब अन्य 20 राज्यों में भी कोरोना का संक्रमण फैलने की आशंका व्यक्त की जा रही है। आरोप-प्रत्यारोप का बाजार गर्म होता जा रहा है। निजामुद्दीन केंद्र के कोविड-19 मामलों से देश में खतरे की घंटी बज गयी है। कोरोना के संक्रमण को रोकने के पुख्ता इंतजाम के दावे भी किये जा रहे हैं। आइए देखते हैं अंग्रेजी औऱ हिंदी अखबारों ने किन खबरों को कितनी अहमियत दी है।

द हिंदू में सौरभ त्रिवेदी और निखिल एम.बाबू की रिपोर्ट जिसका शीर्षक हिंदी मे कुछ इस प्रकार होगा- तबलीगी जमात के अधिकारियों पर कानून तोड़ने का आरोप। इस खबर में बताया गया है कि निजामुद्दीन थाने में मरकज के प्रमुख मौलाना मोहम्मद साद व अन्य पर केस दर्ज किया गया। इस खबर में बताया गया है कि चार सौ से अधिक लोगों को कोविड 19 के लक्षण देख कर अस्पताल में दाखिल कराया गया और तकरीबन एक हजार लोगों को क्वारंटाइन में रखा गया है। अधिकारियों को डर है कि जो लोग यहां से दूसरे शहरों में अपने घरों में जा पहुंचे हैं, वो सभी न जाने कितने और लोगों को संक्रमित किया होगा। इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई है। इनके खिलाफ आईपीसी के तहत बीमारी फैलाने के लिए लापरवाही बरतने, घातक व नुकसानदेरह काम करने, दूसरे की जान जोखिम में डालने, सरकारी आदेश के उल्लंघन और आपराधिक षडयंत्र के अलावा महामारी एक्ट 1897 के तहत केस दर्ज हुआ है।

इसी अखबार में जेकॉब कोशी की बाइलाइन से जो खबर प्रकाशित हुई है उसका शीर्षक है- मास्क के इस्तेमाल पर स्वास्थ्य मंत्रालय और प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के दफ्तर में मतभेद। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के दफ्तर और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच मास्क पहनने और न पहनने को लेकर मतभेद सामने आये हैं।

द हिंदू में ही शोभना के.नायर और जेबराज की रिपोर्ट का शीर्षक है- जबरन रोके गये मजदूर, अब भूखमरी से लड़ रहे। इस रिपोर्ट में प्रवासी मजदूरों के दर्द और तकलीफ को बयां किया गया है। इस खबर में बताया गया है कि विश्व में कोरोना वायरस का सामना कर रहे अधिकतर देशों ने घर में रहें, सुरक्षित रहें पर अमल करने की कोशिश की है। भारत में भी लॉकडाउन जारी कर हर नागरिक को घरों में रहने की हिदायत दी जा रही है। सीमाओं को भी सील किया जा चुका है ताकि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। ऐसे हालात में बिना काम और पैसों की किल्लत से परेशान मजदूरों और गरीबों को भूखमरी का सामना करना पड़ रहा है। सच तो यही है कि सरकार भले ही कितने भी दावे कर ले मगर गरीबों के रहने खाने का भरपूर प्रबंध नहीं हो पाया है।

द इंडियन एक्सप्रेस में अबंतिका घोष की जो रिपोर्ट छपी है उसका शीर्षक है- आईसीएमआर ने माना भारत में अब भी संक्रमण कम है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि तबलीगी जमात से देश भर में संक्रमण फैलने की आशंका के बाद भी आईसीएमआर को अब भी यकीन है कि विश्व में जिस तेजी से कोरोना का कहर बढ़ रहा है उसके मुकाबले भारत में संक्रमण अब भी कम है। सरकार के बाद भारत की प्रमुख संस्थाओं से इस तरह के बयान जारी कर यकीनन जनता के डर को कम करने की कवायद ही की जा रही है।

इसी अखबार में सौम्या लखानी और सौरभ रायबर्मन की रिपोर्ट छपी है। इस खबर में लिखा है कि निजामुद्दीन केंद्र को खाली कराया गया है औऱ केजरीवाल ने मामले बढ़ने पर चेताया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने इसे गैरजिम्मेदाराना करार दिया है। इसी बीच आप के विधायक अमानतुल्ला खान ने दिल्ली पुलिस को कटघरें में खड़ा कर सवाल दाग दिया कि उनके सूचना देने के बाद भी आवश्यक कदम क्यों नहीं उठाया गया। देश कोरोना के कहर से जूझ रहा है। मगर केंद्र और राज्य सरकारें अब आरोप-प्रत्यारोप के खेल में जुट गयी हैं। हर कोई अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करने की जगह दूसरे पर ही दोष मढ़ने में व्यस्त हो गया है।

द हिंदू में एक चौंकाने वाली खबर आत्री मित्रा के नाम से प्रकाशित हुई है जिसका शीर्षक है- 24 घंटों में तीन मौतें, एक मरीज जनरल वार्ड मे था। हावड़ा के अस्पताल में कोरोना वायरस से पीड़ित 48 वर्षीय महिला की मौत के बाद काफी हंगामा मचा है। महिला की मौत के बाद अस्पताल के 29 कर्मचारियों को क्वारंटाइन में रखा गया है। आरोप है कि महिला को जनरल वार्ड में रखा गया था। इसी बीच कोरोना के दो मरीजों की मौत की खबर आयी है जिसमें एक हावड़ा के 52 वर्षीय व्यक्ति और कोलकाता के एक 62 वर्षीय व्यक्ति शामिल हैं। पिछले चौबीस घंटों में कोरोना से तीन लोगों की मृत्यु के बाद से पश्चिम बंगाल में कोरोना से मरने वालों की संख्या पांच हो गयी है जबकि 37 लोग कोरोना से संक्रमित पाये गये हैं।

हिंदी अखबारों में आज सबसे पहले अमर उजाला की बात करते हैं जिसकी लीड खबर का शीर्षक है- देश भर में खौफ का वायरस, 74 और जमाती संक्रमित। इस खबर में बताया गया है कि देश में कोरोना वायरस के मरीज लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। निजामुद्दीन मे आयोजित तबलीगी जमात का जलसा देश में कोरोना के संक्रमण का बड़ा स्त्रोत बन चुका है। जलसे में देश के 20 राज्यों के साथ-साथ 16 देश के जमाती भी शामिल हुए थे। इसके अलावा रूटिन खबरें छपी हैं जिसमें कोरोना के मरीजों के लगातार बढ़ते मामलों का जिक्र किया गया है। दिल्ली में तीसरे दिन भी 23 नए रोगी मिलने की पुष्टि हुई है। इसी बीच एक खबर और भी छपी है जिसका शीर्षक है- तब्लीगी कार्यक्रमों के लिए नहीं मिलेगा पर्यटक वीजा।

हिंदुस्तान ने दूसरे अखबारों की तरह निजामुद्दीन की खबर को ही लीड बनाया है जिसमें बताया गया है कि मरकज ने 20 राज्यों को मुश्किल में डाला है। हालांकि पटना संस्करण में कुछ एक्सक्लूसिव खबरें भी प्रकाशित हुई हैं। इस खबर का शीर्षक है- 85 लाख उज्ज्वला लाभार्थी आज से खाते में पाएंगे गैस की राशि। राहत की खबर बताते हुए हिंदुस्तान में लिखा है कि पटना में रसोई गैस सिलेंडर 65 रुपये सस्ता कर दिया गया है। इस खबर के अनुसार बिना सब्सिडी वाले रसोई गैस और व्यावसायिक गैस सिलेंडरों की कीमतों में एक अप्रैल से कमी की गयी है। पटना में 14.2 किलोग्राम वाले सिलेंडर की कीमत 65 रुपये घटा दिया गया है। इन सबके साथ ही सरकार कितनी तेजी से हालात नियंत्रित कर रही है। इसका पक्ष रखते हुए मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के बारे में भी एक खबर छापी गयी है जिसका शीर्षक है- स्कूलों में बने क्वारंटाइन सेटंर में सरकारी कर्मी तैनात हों– सीएम।

हिंदुस्तान ने लिखा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि गांवों के स्कूलों में बने क्वारंटाइन सेंटर में लोगों के ठहरने और भोजन की उत्तम व्यवस्था रखें। इन केंद्रों पर सरकारी कर्मचारी को प्रभारी बनाकर बेहतर ढंग से काम कराएं। जाहिर है अखबारों में इन खबरों से यही संदेश दिये जाने की कोशिश की जा रही है कि कोरोना के कोहराम से लड़ने की पुरजोर कोशिश की जा रही है। सरकार की तरफ से कोताही नहीं बरती जा रही है।

नवभारत टाइम्स ने भी निजामुद्दीन की खबर को ही लीड लिया है। मगर एंकर में आर्थिक पहलू का जिक्र करते हुए सिंगल कॉलम में छोटी सी खबर प्रकाशित की है जिसका शीर्षक है- छोटी बचत की ब्याज दरों में बड़ी कटौती। जबकि कोरोना का कहर झेल रही जनता की जेब पर सरकार के इस कदम से कितना भारी बोझ बढ़ेगा। इसका ब्यौरा देते हुए इस खबर को प्रमुखता दी जानी चाहिए थी। इसी खबर के साथ नवभारत में एक खबर और छापी गयी है जिसमें बताया गया है कि भीषण मंदी का साया है पर भारत-चीन बच सकते हैं। पाठकों को राहत देने के मकसद से ही इस खबर को छाप दिया गया है जिससे लोग आश्वस्त रहें कि उनकी मुश्किलें ज्यादा नहीं बढ़ेंगी।

दैनिक भास्कर के जयपुर संस्करण में छपी एंकर स्टोरी ने ध्यान आकर्षित किया है । इस खबर में बताया गया है कि न्यूयार्क इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोध के अनुसार बीसीजी का टीका कोरोना की ढाल बन सकता है। इस खबर की मानें तो जिन देशों में बीसीजी का टीका नहीं लगा, वहां कोरोना का खतरा ज्यादा है। अमेरिकी शोध संस्थान ने विश्व भर में फैले कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति के आधार पर भविष्य की स्थित का आंकलन किया है। इसके परिणाम भारत सहित उन देशों के लिए सुखद हैं, जहां सालों से बीसीजी ( बैसिलस कैलमेट-गुएरिन ) का टीका लगता आया है।

इसी खबर की बगल में सिंगल कॉलम में एक खबर छपी है। यह खबर है पीएम मोदी की मां हीराबेन के बारे में जिन्होंने 25,000 रुपये की मदद की है। पीएम केयर्स फंड में हीराबेन ने बचत के पैसे दान किए हैं। मोदी ने ट्वीट कर कहा यह मां का आशीष है। हैरत की बात है कि टीवी चैनलों, अखबारों और सोशल मीडिया में छाए रहने वाले पीएम मोदी की मां की यह खबर हाशिए पर रही। यह भी कोई विशेष रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है। शायद यही की पीएम अपने सगे संबंधियों ही नहीं मां से जुड़ी खबरों को प्रमुखता से नहीं छपवाते।

पत्रकार एसएस प्रिया का विश्लेषण.

Dakhal News 2 April 2020

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