भोपाल में रहते थे आदिमानव, यहां पत्थरों से बनाए थे हथियार
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भोपाल के कोलार फाइन एवेन्यू फेस-1 कॉलोनी की सड़क के दोनों ओर डाली गई मुरम में पाषण युग और उत्तर पाषण युग के पत्थरों के औजार मिले हैं। यह दावा पुरातत्वविद् डॉ. नारायण व्यास ने किया है। इस मामले की नवदुनिया टीम ने जब पड़ताल की तो पता चला कि सड़क के दोनों ओर डाली गई मुरम बोरदा गांव स्थित पहाड़ी से लाई जा रही है। इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस पहाड़ी पर लाखों वर्ष पहले आदिमानव रहते थे।

कोलार के कोलूखेड़ी से करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित बोरदा गांव की पहाड़ी की मुरम में पाषण युग और उत्तर पाषाण युग के पत्थरों से बनाए गए औजार मिले हैं। इन औजारों का इस्तेमाल आदिमानव जानवरों के शिकार और आत्मरक्षा के लिए करते थे। वह इन पत्थरों से कुल्हाड़ी, भाला, हाशिया, हथौड़ा सहित अन्य औजार बनाते थे। इन पत्थरों की पहचान राजधानी के पुरातत्वविद् डॉ. नारायण व्यास ने की है। उन्होंने बताया कि विंध्याचल पर्वत माला में भोपाल व आसपास का क्षेत्र बसा है। यह जगह आदिमानवों का पसंदीदा स्थान रहा है। क्योंकि यहां पर आदिमानव द्वारा बनाए गए शैलचित्र, गुफाएं और पत्थरों से बने औजार मिलते रहे हैं, जो एक धरोहर हैं।

पुरातत्वविद् डॉ. नारायण व्यास को दो माह पहले कलियासोत डैम से लगी पहाड़ियों से पाषण युग में आदि मानव द्वारा बनाए गए पत्थरों के औजार मिले थे। एक दर्जन ऐसे पत्थर मिले थे, जिनका आकार कुल्हाड़ी की तरह था। श्री व्यास ने भदभदा, कोलार नहर तिराहे की पहाड़ी, लालघाटी, कठौतिया की पहाड़ी पर पाषण युग के पत्थरों से बने औजार मिलने का दावा किया है।

वर्ष 2015 में स्पेन का पुरातत्व विशेषज्ञों का एक दल भोपाल व कोलार की पहाड़ियों को देखने आया था। इस दौरान यहां पर मिले कुछ शैलचित्रों व पत्थरों को देखा। स्पेन का दल शैलचित्रों की आयु का पता लगाने के लिए रिसर्च कर रहा है।

संचालनालय पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से जुड़े पुरातत्व विशेषज्ञों द्वारा पूर्व में किए गए सर्वे में मनुआभान टेकरी, लालघाटी, कोलार कठौतिया, भोजपुर, भीम बैठिका, भदभदा, कलियासोत डैम से लगी पहाड़ियों पर शैलचित्र, गुफाएं और पत्थरों के बनाए गए पाषण युग के औजार मिले हैं। इससे इन जगहों पर 15 से 20 लाख साल पहले आदि मानवों के रहने का पता चलता है। उस समय आदिमानव पत्थरों का आकार बदलकर शिकार व जानवरों से आत्मरक्षा करने के लिए नुकीले औजार बनाते थे।

पुरातत्वविद् डॉ. नारायण व्यास ने बताया कि अमूमन पत्थर साधारण होता है। लेकिन, आदिमानव उसे तोड़कर उसका आकार बदल देते थे। कुल्हाड़ी, भाला, फरसा, हशिया बनाने के लिए नुकीला करते थे। इससे आदिमानव द्वारा पत्थरों से बनाए गए औजार सामान्य पत्थर से अलग ही नजर आते हैं। हालांकि पुरातत्व विशेषज्ञ ही पत्थरों की पहचान कर पाते हैं।

पुरातत्वविद् डॉ. नारायण व्यास ने बताया कि दो तरह के पत्थर होते हैं। बड़े पत्थर जो पूर्व पाषण युग के होते हैं और छोटे पत्थर जो उत्तर पाषाण युग के होते हैं। उन्होंने बताया कि मेरे संग्रहालय में पाषाण युग के 550 पत्थर हैं। फाइन एवेन्यू फेस-1 कॉलोनी की सड़क के दोनों ओर डाली गई मुरम पाषाण युग के 8 और उत्तर पाषाण युग के 3 पत्थर मिले हैं।

पुरातत्व अधिकारी, संचालनालय पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय डॉ. रमेश यादव ने बताया भोपाल पहाड़ियों व झीलों का शहर है। मनुआभान टेकरी, लालघाटी, कोलार सहित अन्य ऐसे स्थान हैं, जहां आदिमानव द्वारा बनाए गए पत्थरों के औजार और शैलचित्र मिलते हैं। कोलार फाइन एवेन्यू की सड़क के दोनों और डाली गई मुरम में पाषण युग के पत्थर डॉ. नारायण व्यास को मिले हैं। डॉ. व्यास का पुरातत्व में लंबा अनुभव है। पाषण युग के पत्थरों का संग्रहालय उनके घर में भी है।  

Dakhal News 31 July 2018

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