Dakhal News
21 November 2024
आज औपचारिक रूप से मैंने राजस्थान पत्रिका समूह के सलाहकार सम्पादक का ज़िम्मा संभाल लिया। ‘औपचारिक रूप से’ इसलिए कि अनौपचारिक विमर्श हफ़्ते भर पहले शुरू हो गया था! पत्रकारिता की विधिवत शुरुआत मैंने पत्रिका से ही की थी। 1980 में, संस्थापक कर्पूरचंद कुलिश के बुलावे पर। तीस वर्ष पहले पत्रिका से आकर ही चंडीगढ़ में जनसत्ता का सम्पादक हुआ। वहाँ से दिल्ली आया। आप कह सकते हैं, आज घर वापसी हुई।
इस बीच पत्रिका समूह बहुत व्यापक हो गया है। अख़बार, टीवी, रेडियो, डिज़िटल आदि विभिन्न मीडिया क्षेत्रों में उसकी अपनी जगह है। दैनिक पत्रिका का प्रकाशन अब राजस्थान के अलावा दिल्ली, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, गुजरात, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और तमिलनाडु से भी होता है। 33 संस्करण छपते हैं। कोई 1 करोड़ 29 लाख पाठक इसे पढ़ते हैं। बीबीसी-रायटर के एक सर्वे में देश के सर्वाधिक विश्वसनीय तीन अख़बारों में पत्रिका एक था।
मेरे लिए पत्रिका का प्रस्ताव स्वीकार करने की एक बड़ी वजह रहा समूह का जुझारू अन्दाज़। संघर्ष की ललक और सत्ता के समक्ष न झुकने का तेवर। इसकी एक वजह शायद यह है कि मीडिया ही इस समूह का मुख्य व्यवसाय है। इससे समझौते की जगह लिखना अहम हो जाता है। हाल में राजस्थान सरकार ने मीडिया को क़ाबू करने के लिए जिस काले क़ानून को थोपने की कोशिश की, वह पत्रिका के मोर्चा लेने के कारण ही आंदोलन बना और अंततः सरकार झुकी। क़ानून का इरादा हवा हुआ।[भड़ास फॉर मीडिया से ]
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9 March 2018
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