Patrakar Priyanshi Chaturvedi
अनिल सक्सेना
हाल ही में मध्यप्रदेश के दूरदर्शन केन्द्र के समाचार एकांश में हुई स्ट्रिगंरो की भर्ती इन दिनों राजधानी सहित प्रदेश के अंचलों में काफी चर्चा का विषय बनी हुई है। दूरदर्शन केन्द्र के समाचार एकांश की प्रमुख पूजा पन्नालाल वर्धन ने इन दो सालो में दूरदर्शन न्यूज के तो मायने ही बदल दिए हैं। अपनी विवादित कार्यप्रणाली के चलते अपने सहयोगी समाचार सम्पादक राय जो हाल ही में प्रमोट होकर सहायक निदेशक बने हैं, के साथ मिलकर अनियमितता के सारे रिकार्ड ही तोड़ दिये।
उल्लेखनीय है कि फरवरी 2017 में दूरदर्शन समाचार एकांश भोपाल ने मध्यप्रदेश के सभी जिलों में स्ट्रिंगर की भर्ती के लिये विज्ञापन दिये। दूरदर्शन के इतिहास में पहली बार दूरदर्शन पर इसे भर्ती के आखरी दिन तक प्रचारित किया गया। एंकर बाईट में भी समाचारों को बीच में रोककर इस भर्ती के बारे में बताया गया। प्रसार भारती द्वारा प्रदेश के सभी जिलों में नियुक्त पीटीसी हाईकार्ट की शरण में चले गये। हाईकोर्ट में पहले जिन सात जिलों के पीटीसी ने शिकायत की उस पर हाईकार्ट ने इन जिलों में परिणाम घोषित करने पर रोक लगा दी। इसके बाद 14 और पीटीसी भी हाईकार्ट चले गये। न्यायालय में पीटीसी के ये दोनों मामले क्लब हो गये जो अब भी विचाराधीन हैं।
एक समय था जव समाचार सम्पादक राय स्ट्रिगंरो और पीटीसी को स्टोरी के लिये अनुमति देते थे। बाद में इनकी अनियमितता को देखकर राय से स्टोरी अप्रूअल के अधिकार छीनकर पूजा वर्धन खुद स्टोरी अप्रूअल देने लगीं। समाचार सम्पादक राय हाशिये पर चले गये और पूजा बर्धन का विरोध करना शुरू कर दिया। जैसे ही दूरदर्शन केन्द्र के समाचार एकांश में स्ट्रिगंरो की भर्ती की कार्यवाही चली समाचार सम्पादक राय ने अपने समकक्ष और आकाशवाणी भोपाल में पदस्थ मित्र के साथ स्ट्रिंगरों की भर्ती से लाभ लेने की रूप रेखा बनाई। इन दोनो अधिकारियों ने दूरदर्शन केन्द्र के समाचार एकांश की प्रमुख पूजा पन्नालाल वर्धन को विश्वास में लेकर अनियमितता के खेल शुरू किए। आरोप है कि भर्ती में जमकर पैसा चलने लगा।
कोर्ट के कारण जब नियुक्तियों में विलम्ब होने लगा और कई खेल तमाशे लोगों को मालूम पड़े तो पैसे वापस करने का दबाव बढने लगा। ऐसे में हाईकोर्ट का निर्णय आने से पहले ही सात जिले छोड़कर रिजल्ट घोषित कर दिये गए। दूसरे ही दिन राय का नागपुर का स्थानांतरण का आदेश आ गया। स्ट्रिगंर के पद पर कहीं गुन्डा लिस्ट में शामिल तो कहीं 10वीं पास तो कहीं जीवन में पत्रकारिता न करने वाले चाय पान के खोके चलाने वालों को चयन कर लिया गया। पत्रकारिता से स्नातक व स्नाकोत्तर डिग्रीधारी बाहर हो गये। लगभग पुराने अधिकांश स्ट्रिगंर भी बाहर कर दिये गये। इसे लेकर अब स्ट्रिंगर लामबन्द होकर हाईकोर्ट की शरण में जा रहे हैं और एक याचिका दायर कर रहे हैं।
पूजा वर्धन की पहले भी स्टाफ और स्ट्रिंगर दिल्ली उच्चाधिकारियों को शिकायत करते रहे हैं। लेकिन दिल्ली उच्चाधिकारी जाने किस भय से चुप्पी साधे रहे। आपको बता दें कि इस महिला अधिकारी ने पूर्व में अपने महिला होने का लाभ उठाते हुए कई अधिकारियों की शिकायतें कर चुकी हैं जिससे विभागीय लोग इससे डरते हैं। इस महिला के लिए अपने पिता के पूर्व पुलिस अधिकारी होने की धमकी देना आम बात है। देखना है कि मध्य प्रदेश के योग्य स्ट्रिंगरों को दूरदर्शन भर्ती में न्याय मिल पाता है या नहीं।[भड़ास फॉर मीडिया से साभार ]
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