Patrakar Priyanshi Chaturvedi
मध्यप्रदेश के प्रमुख सांध्य दैनिक प्रदेश टुडे अखबार ने छ किसानों की सरकारी गोलीबारी में मौत के बाद अपने सम्पादकीय को खाली छोड़ दिया है। प्रदेश टुडे के इस कदम की सराहना की जा रही है। ऐसा तब ही होता है जब विचार होते हुए भी शब्द कम पड़ जाएँ।
प्रदेश टुडे ने सम्पादकीय स्थान भले ही रिक्त छोड़ा हो लेकिन सच्चाई यही है कि किसान आंदोलन को अब तक असामाजिक तत्वों का आंदोलन कह रही शिवराज सरकार अब बैकफुट पर है। पुलिस की गोलाबारी में छ किसानों की मौत ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अफसर उन्हें किस तरह गुमराह करते रहते हैं। पहला मौका है जब मीडिया ने भी सरकार के साथ मुख्यमंत्री को भी इस सब का जिम्मेदार माना है। जाहिर है जब अच्छे कामों का श्रेय शिवराज सिंह लेते हैं तो छ निर्दोष किसानों की मौत की जवाबदारी भी उनकी बनती है।
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