Patrakar Priyanshi Chaturvedi
// माकूल ज़वाब //
उस के पास सवाल बहुत थे
मेरे पास थे कुछ माकूल जवाब...
सिलसिला चला तो मैं सवाल बन गया ,लेकिन उसके पास जवाब नहीं था ...
सवालों के जवाब उसकी खूबसूरत झुकी पलकें देती रहती थीं ...
और लब ख़ामोशी अख्तियार कर लेते थे ...
उँगलियों पर सजे नाख़ून
दूसरे नाख़ून से नेलपेंट कुरेदने में लग जाते
जैस पुराने जख्मों को शिद्दत से कुरेदा जा रहा हो...
जवाब ढूंढते हुये हम सवालों की दीवार खड़ी करते रहे
पता ही नहीं चला वो दीवार गिर पड़ी ,हमारे रिश्ते उसमें लहूलुहान हो गए ...
अनसुलझे सवाल अब भी उसके जहन में होंगे,
कुछ माकूल हल मैंने भी लिख लिए थे उसके लिए ...
शायद उम्र के किसी मोड़ पर उसे जरूरत पड़े तो ...
"अनुराग उपाध्याय"
11/7/2016
* पत्रकार ,लेखक- कवि अनुराग उपाध्याय समाज के हर विषय पर अपनी कलम चलाते हैं। साफ़ साफ़ और बिना लाग लपेट के सच बयान कर देना उनके लेखन की सबसे बड़ी खूबी है। अनुराग की कवितायेँ कई बार रुमानियत की सरहदों पर चहलकदमी करती नज़र आती हैं तो कई दफ़ा सामाजिक बदलाव के लिए हल्ला बोलती प्रतीत होती हैं।
संपादक
Dakhal News
|
All Rights Reserved © 2025 Dakhal News.
Created By:
Medha Innovation & Development |