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21 November 2024यशवंत सिंह
कहने को तो ये बड़े लोग होते हैं लेकिन दिल इनका इतना छोटा होता है कि ये अपने इर्द-गिर्द रहने वालों के दुखों-भावनाओं को भी नहीं समझते. इंडिया न्यूज चैनल के मालिक कार्तिक शर्मा उर्फ कार्तिकेय शर्मा अरबों-खरबों के मालिक हैं. होटल, मीडिया समेत कई किस्म के बिजनेस हैं. इनके पिता विनोद शर्मा हरियाणा के बड़े नेता हैं. एक भाई मनु शर्मा इन दिनों तिहाड़ जेल में जेसिका लाल मर्डर केस की सजा काट रहा है. सारे कारोबार का दारोमदार कार्तिक शर्मा के कंधों पर है. लेकिन इनकी ओछी मेंटलटी के चलते इनसे काफी लोग नाराज रहते हैं.
इन महाशय ने अपने ड्राइवर तक को कई महीने की सेलरी नहीं दी थी. खफा ड्राइवर ने हिसाब बराबर करने का ऐसा खौफनाक प्लान बनाया कि सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. नोएडा पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार कार्तिकेय शर्मा अपने मित्र अशोक डोगरा के साथ इंडिया न्यूज चैनल के आफिस से दिल्ली के जोरबाग स्थित अपने घर जा रहे थे. बात 27-28 मार्च की रात की है.
इंडिया न्यूज़ चैनल का आफिस नोएडा के सेक्टर तीन में है. कार्तिकेय शर्मा के ड्राइवर राम प्रकाश ने उनकी मर्सिडीज कार निकाली और दोनों को लेकर चल पड़ा. कार चालक रामप्रकाश मर्सिडीज को लेकर रजनीगंधा चौराहे के अंडरपास पर पहुंचा. इसके बाद उसने कार की स्पीड असामान्य रूप से बढ़ा दी. कार्तिकेय शर्मा के तो होश उड़ गये. उन्होंने ड्राइवर को डांटा और स्पीड कम करने को कहा. चालक रामप्रकाश ने सेलरी कई महीने से न देने की बात कहते हुए कार्तिकेय शर्मा को गरियाना शुरू किया और कहा- ''तुझसे तो आज हिसाब बराबर करके रहूंगा, तुझे जिंदा नहीं छोड़ूंगा.''
ड्राइवर रामप्रकाश कार को डीएनडी पर ले जाकर साइड से दीवार में टक्कर मारना शुरू कर दिया. टक्कर पीछे के उस साइड से मार रहा था जिस तरफ कार्तिकेय शर्मा बैठे हुए थे. इसके बाद उसने कार को बैक करते हुए कस कर टक्कर मारी. कार्तिकेय शर्मा और उनके मित्र को मौत साक्षात नजर आने लगी. ये लोग चिल्लाने लगे और अपनी जान की गुहार लगाने लगे. किसी तरह ये लोग कार से निकल कर भागे. पुलिस ने सूचना मिलते ही ड्राइवर को अरेस्ट कर लिया और आईपीसी की धारा 307 में मुकदमा लिखकर उसे जेल भेज दिया.
फिलहाल यह बड़ी खबर न किसी चैनल के क्राइम शो में दिखी न किसी चैनल के टिकर में झलकी. मीडिया के धंधेबाज और काले दिल के मालिक अपनी एकता कायम रखते हुए इस बड़े घटनाक्रम को पी गए. हां नोएडा में कुछ एक अखबारों में खबर है लेकिन किसकी पक्षधरता लेकर लिखी गई है, उसे आप पढ़ कर जान सकते हैं.
सवाल यह है कि क्या इससे मीडिया मालिक सबक लेंगे? वे कई महीनों तक लोगों से काम कराते हैं और सेलरी दिए बिना निकाल देते हैं. एक ड्राइवर ने जिस तरह से बदला लिया, उससे समझा जा रहा है कि उसने बाकियों को भी रास्ता दिखा दिया है. नोएडा दिल्ली जैसे महंगे इलाके में कोई कर्मचारी बिना सेलरी कैसे अपने परिवार को जिंदा रख सकता है. एक ब्वायलिंग प्वाइंट आता है जिसके बाद खुद को कीड़े मकोड़े की तरह जिंदा रखने की जगह आर-पार करने का फैसला लेते हुए मरने मारने पर उतारू हो जाता है.[bhadas4media.com से साभार लेखक भड़ास4मीडिया के एडिटर हैं ]
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4 April 2017
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