Patrakar Priyanshi Chaturvedi
* पेशे से पत्रकार ,लेखक- कवि अनुराग उपाध्याय समाज के हर विषय पर अपनी कलम चलाते हैं। साफ़ साफ़ और बिना लाग लपेट के सच बयान कर देना उनके लेखन की सबसे बड़ी खूबी है।
संपादक
//दंगा //
अनुराग उपाध्याय
उस भीड़ में
तुम ही नहीं
हम भी थे ...
कुचले गए
सपने पाँव से
वो तुम्हारे नहीं
हमारे भी थे ...
टपकता रहा
शरीर से वह
लाल-लाल सा लहू
तुम्हारा नहीं
हमारा ही था ...
बदहवासी का आलम
चीखों का सिसकना
लाशों का सड़ना
जिस सहारे बैठे थे तुम
वो लहूलुहान जिस्म
हमारा ही था ...
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