Dakhal News
21 November 2024प्रकृति के कैमरे से आपके कैमरे तक
विश्व फ़ोटोग्राफ़ी दिवस प्रत्येक वर्ष 19 अगस्त को मनाया जाता है। संसार में प्रकृति ने प्रत्येक प्राणी को जन्म के साथ एक कैमरा दिया है, जिससे वह संसार की प्रत्येक वस्तु की छवि अपने दिमाग में अंकित करता है। वह कैमरा है उसकी 'आँख'। इस दृष्टि से देखा जाए तो प्रत्येक प्राणी एक फ़ोटोग्राफ़र है। वैज्ञानिक तरक्की के साथ-साथ मनुष्य ने अपने साधन बढ़ाना प्रारंभ किये और अनेक आविष्कारों के साथ ही साथ कृत्रिम लैंस का भी आविष्कार हुआ। समय के साथ आगे बढ़ते हुए उसने इस लैंस से प्राप्त छवि को स्थायी रूप से सहेजने का प्रयास किया। इसी प्रयास की सफलता वाले दिन को अब "विश्व फ़ोटोग्राफ़ी दिवस" के रूप में मनाया जाता है।
शुरुआत
सर्वप्रथम 1839 में फ़्राँस के वैज्ञानिक लुईस जेकस तथा मेंडे डाग्युरे ने फ़ोटो तत्व को खोजने का दावा किया था। ब्रिटिश वैज्ञानिक विलियम हेनरी फॉक्सटेल बोट ने नेगेटिव-पॉजीटिव प्रोसेस ढूँढ लिया था। सन 1834 में टेल बॉट ने लाइट सेंसेटिव काग़ज़ का आविष्कार किया, जिससे खींचे चित्र को स्थायी रूप में रखने की सुविधा प्राप्त हुई। फ़्राँसीसी वैज्ञानिक आर्गो ने 7 जनवरी, 1839 को फ्रेंच अकादमी ऑफ़ साइंस के लिए एक रिपोर्ट तैयार की। फ़्राँस सरकार ने यह प्रोसेस रिपोर्ट ख़रीदकर उसे आम लोगों के लिए 19 अगस्त, 1939 को मुफ़्त घोषित किया। यही कारण है कि 19 अगस्त को विश्व फ़ोटोग्राफ़ी दिवस मनाया जाता है। फ़ोटोग्राफ़ी के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपने घर, परिवार, रिश्तेदार और कभी न भूल सकने वाले पलों की तस्वीरें लेकर उन्हें सहेज सकता है।
फ़ोटोग्राफ़ी का योगदान
फ़ोटोग्राफ़ी का आविष्कार जहाँ संसार को एक-दूसरे के क़रीब लाया, वहीं एक-दूसरे को जानने, उनकी संस्कृति को समझने तथा इतिहास को समृद्ध बनाने में भी उसने बहुत बड़ी मदद की है। आज संसार के किसी दूरस्थ कोने में स्थित द्वीप के जनजीवन की सचित्र जानकारी बड़ी आसानी से प्राप्त होती है, तो इसमें फ़ोटोग्राफ़ी के योगदान को कम नहीं किया जा सकता। वैज्ञानिक तथा तकनीकी सफलता के साथ-साथ फ़ोटोग्राफ़ी ने भी आज बहुत तरक्की की है। आज व्यक्ति के पास ऐसे साधन मौजूद हैं, जिसमें सिर्फ बटन दबाने की देर है और मिनटों में अच्छी से अच्छी तस्वीर उसके हाथों में होती है। किंतु सिर्फ अच्छे साधन ही अच्छी तस्वीर प्राप्त करने की ग्यारंटी दे सकते, तो फिर मानव दिमाग का उपयोग क्यों करता? तकनीक चाहे जैसी तरक्की करे, उसके पीछे कहीं न कहीं दिमाग ही काम करता है। यही फ़र्क़ मानव को अन्य प्राणियों में श्रेष्ठ बनाता है। फ़ोटोग्राफ़ी में भी अच्छा दिमाग ही अच्छी तस्वीर प्राप्त करने के लिए जरूरी है।
अच्छा फ़ोटो
हमें आँखों से दिखाई देने वाले दृश्य को कैमरे की मदद से एक फ्रेम में बाँधना, प्रकाश व छाया, कैमरे की स्थिति, ठीक एक्सपोजर तथा उचित विषय का चुनाव ही एक अच्छे फ़ोटो को प्राप्त करने की पहली शर्त होती है। यही कारण है कि आज सभी के घरों में एक कैमरा होने के बाद भी अच्छे फ़ोटोग्राफ़र गिनती के ही हैं। अच्छा फ़ोटो अच्छा क्यों होता है, इसी सूत्र का ज्ञान किसी भी फ़ोटोग्राफ़र को सामान्य से विशिष्ट बनाने के लिए पर्याप्त होता है। प्रख्यात चित्रकार प्रभु जोशी का कहना है कि "हमें फ्रेम में क्या लेना है, इससे ज्यादा इस बात का ज्ञान जरूरी है कि हमें क्या-क्या छोड़ना है।" भारत के संभवतः सर्वश्रेष्ठ फ़ोटोग्राफ़र रघुराय के शब्दों में- "चित्र खींचने के लिए पहले से कोई तैयारी नहीं करता। मैं उसे उसके वास्तविक रूप में अचानक कैंडिड रूप में ही लेना पसंद करता हूँ। पर असल चित्र तकनीकी रूप में कितना ही अच्छा क्यों न हो, वह तब तक सर्वमान्य नहीं हो सकता, जब तक उसमें विचार नहीं है। एक अच्छी पेंटिंग या अच्छा चित्र वही है, जो मानवीय संवेदना को झकझोर दे। कहा भी जाता है कि एक चित्र हजार शब्दों के बराबर है।"
आजीविका का साधन
उपभोक्तावाद आज के समय में अपनी चरम सीमा पर है, ऐसे में ग्राहक को उत्पादन की ओर खींचने में फ़ोटोग्राफ़ी का भी बहुत बड़ा योगदान है। विज्ञापन को आकर्षक बनाने के लिए फ़ोटोग्राफ़र जो सार्थक प्रयत्न कर रहा है, उसे अपने दैनिक जीवन में अच्छी तरह अनुभव कर सकते हैं। इसी प्रयास में फ़ोटोग्राफ़ी को आजीविका के रूप अपनाने वाले बहुत बड़े लोगों की संख्या खड़ी हो चुकी है। ये लोग न सिर्फ फ़ोटोग्राफ़ी से लाखों कमा रहे हैं, बल्कि इस काम में कलात्मक तथा गुणात्मक उत्तमता का समावेश कर 'जॉब सेटिस्फेक्शन' की अनुभूति भी प्राप्त कर रहे हैं। अपने आविष्कार के लगभग 100 वर्ष लंबे सफर में फ़ोटोग्राफ़ी ने कई आयाम देखे हैं।
Dakhal News
19 August 2016
All Rights Reserved © 2024 Dakhal News.
Created By: Medha Innovation & Development
|