जैसलमेर में मिलेंगे सिपाही और कलम के सिपाही
मातेश्वरी श्री तनोटराय के मंदिर

 

तीन दिवसीय सम्मेलन में जमा हो रहे देश भर के पांच सौ पत्रकार 

 

देश के सबसे बड़े पत्रकार संगठन इंडियन फेडरेशन आफ वर्कींग जर्नलिस्ट से सबंद्ध राजस्थान राज्य (आईएफडब्लयूजे) की राज्य इकाई के संयुक्त प्रयास एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष के विक्रमराव के मार्गदर्शन में इस बार देश भर के पांच सौ पत्रकारो को राजस्थान के जैसलमेर शहर में आयोजित सम्मेलन में भाग लेने का मौका मिल रहा है। 

 

तीन दिवसीय 71 वें राष्ट्रीय अधिवेशन के आखरी दिन 26 सितम्बर को इंडो - पाक सीमा पर स्थित मातेश्वरी श्री तनोटराय के मंदिर के मत्था टेकने एवं सीमा सुरक्षा बल के सैनिको के संग बीताने जा रहे है।  सीमा क्षेत्र में उसी पत्रकार साथी को प्रवेश मिलेगा जिनके परिचय पत्र वहां तक पहुंचने के बाद उनका सत्यापन होने के बाद सीमा क्षेत्र में प्रवेश पत्र जारी होगा । सीमा क्षेत्र इंडो /पाक के बारे में सर्व विदित है कि 1965 एवं 1971 के भारत पाक युद्ध की साक्षी युद्ध वाली देवी माँ मातेश्वरी श्री तनोट राय के आर्शिवाद की छत्रछाया में रहेगें उस एतिहासिक पल के साक्षी जब देश की सरहदो के सिपाही और कलम के सिपाही का मिलन होगा।  

 

अखण्ड भारत के केन्द्र बिन्दु बैतूल जिले से पत्रकारो का दल मध्यभारत के बैतूल - छिन्दवाड़ा- बालाघाट - होंशगाबाद - सिवनी - हरदा जिले के पत्रकार राष्ट्रीय कौसिंल के सदस्य रामकिशोर पंवार के नेतृत्व में एवं बैतूल जिले के पत्रकार बैतूल जिलाध्यक्ष राज मालवीय की अगुवाई में चेन्नई जयपुर एक्सप्रेस से 21 सितम्बर 2016 को प्रस्थान करेगा। पाक सेना के द्वारा 1965 के युद्ध में 3000 (तीन हजार) बम एवं गोले दगाने के बाद माँ मातेश्वरी श्री तनोट राय के मंदिर पर दागे गए उसके बाद भी बालबांका नहीं हुआ। जैसलमेर से 125 किमी की दूर पर स्थित माँ श्री मातेश्वरी तनोट राय के मंदिर में माता रानी के दर्शन का लाभ 23 से 26 सितम्बर 2016 तक जैसलमेर राजस्थान में होने जा रहे आई एफ डब्लयू जे के 71 वें राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने के लिए 21 सितम्बर को जयपुर एक्सप्रेस से रवाना होने वाले बैतूल जिले के पत्रकारो को 25 सितम्बर 2016 को दर्शन लाभ का सौभाग्य मिलने जा रहा है। यहां के इतिहास के बारे में इतिहास के पन्नो में मौजूद  कहानी के किस्से मौजूद है। उल्लेखनीय है कि बीते 16 नवम्बर 1965 भारत पाक सीमा पर स्थित जैसलमेर इंडो - पाक सीमा पर पाक सेना ने एन्ट्री टैंक एवं 124 स्पोटिंग गनो 30 - 16 गनो तनोट क्षेत्र को तीन ओर से घेर लिया। हमारे पास मात्र कर्नल जयसिंह राठौर थैलासार (बीकानेर) के कुशल नेतृत्व में तीन दिनो तक पाक सेना का सामना किया। भारतीय सेना की 13 सीमा सुरक्षा बल की टुकडी को दो भागो में बांट कर तीन दिनो तक भारतीय सेना ने 15 सौ पाक सैनिको की घेराबंदी से तानोट को आजाद करवाया और पांच सौ पाक सैनिको को मौत के घाट उतार दिया। जिनकी निशानदेही कब्र आज भी यहां पर मौजूद है। 1965 के युद्ध में माँ श्री तानोट राय स्वंय दुर्गा का रूप लेकर सैनिको के संग - संग युद्ध लड़ रही थी। पाक सैनिको के द्वारा दागे गए 3000 गोलो एवं बमो के बाद भी माँ के मंदिर को रत्ती भर भी नुकसान हुआ न हमारे सैनिको का बालबांका हुआ। मात्र एक ऊंट की पुछ भर उस गोलेबारी में एक गोले से कट गई थी। आज भी मातेश्वरी श्री तनोट राय के मंदिर में वे बम एवं गोले मौजूद है

Dakhal News 14 August 2016

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