सिमी का आतंकी बताकर पत्रकारों को पुलिस ने पीटा
राजधानी भोपाल की पुलिस ने दैनिक भास्कर दो पत्रकारों के साथ गुंडागर्दी करते हुए उन्हें सिमी का आतंकी बताया और ढाई घंटे तक लात-घूंसों और डंडों से इतना पीटा कि उनको अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। पिटाई करने वाले तीनों पुलिसकर्मियों को निलंबित करते हुए जांच सीएसपी गोविंदपुरा अजय सिंह को सौंपी गई है। इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में अवधपुरी पुलिस स्टेशन की टीआई को भी हटा दिया गया है।
एक दैनिक भास्कर के दो पत्रकार विजय प्रभात शुक्ला और कृृष्णमोहन तिवारी देर रात काम खत्म कर प्रेस कॉम्पलेक्स से अवधपुरी स्थित अपने घर जा रहे थे। रास्ते में डायल-100 में आए पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोका। परिचय देने के बावजूद एएसआइ रघुबीर सिंह दांगी ने विजय को यह कहते हुए जोरदार तमाचा जड़ दिया कि तुम दोनों सिमी के आतंकी हो, यहां एटीएम उखाड़ने आए हो।
इसके बाद दांगी ने अपने साथी हेड कांस्टेबल सुभाष त्यागी और संतोष यादव को थाने ले चलने का आदेश दिया। अवधपुरी थाने ले जाकर किसी अपराधी की तरह व्यवहार करते हुए डायल-100 के तीनों पुलिसकर्मियों के अलावा थाने में मौजूद अन्य पुलिसकर्मियों ने भी उन्हें ढाई घंटे तक गंदी गालियां देते हुए लात-घूंसों के साथ डंडों से पीटा। दोनों पत्रकार गुहार लगाते रहे लेकिन उन पर कोई असर नहीं हुआ।
जब यह घटना हो रही तभी किसी तरह कृृष्णमोहन तिवारी ने अपने मोबाइल की रिकॉर्डिंग चालू कर ली थी। जिसमें साफ सुनाई दे रहा है कि पुलिसकर्मियों ने किस तरह से बर्बरता की है। दोनों को अंदरू नी चोटें आई हैं।
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100 लगाओ, नशे में धूत गुंडे बुलाओ।
क्या पीसीआर का यही मतलब है?
क्या रात में शराब पीकर ड्यूटी करने वाले पुलिस पर खुद विभाग के अफसर को ही कार्यवाही नहीं करनी चाहिए?
रात में आपदा से घिरे पीड़ित क्या इन पियक्कड़ों से मदद की उम्मीद करें?
हाल के दिनों में प्रदेश और राजधानी में हुई घटनाओं से लगता नहीं कि पुलिस निरंकुश हो गई है?
सरकार पुलिस विभाग में रिफार्म पर काम क्यों नहीं कर रही?
एक ऒर पत्रकार सुरक्षा की मांग और उसपर सरकार का आश्वासन, तो दूसरी ऒर ऐसी घटनाएं।
वर्तमान घटना में क्या पुलिसवालों को सिर्फ निलंबित किया जाना चाहिए? क्या उन्हें सेवा से पृथक् नहीं किया जाना चाहिए?
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शिवराज की नाक तले शराबी पुलिसियों का तांडव
सोमवार देर रात भोपाल में दैनिक भास्कर के दो पत्रकारों की शराब के नशे में धुत्त पुलिसवालों ने रास्ते में रोक कर पीटा, भद्दी गालियां दीं और रात भर थाने में बैठाए रखा। दोनों पत्रकारों को गंभीर चोट आई है और वे अस्पताल में भर्ती हैं। फिलहाल घटना के तीन दोषी पुलिसकर्मी निलंबित किए जा चुके हैं और अवधपुरी थाने में इस संबंध में एक शिकायत दर्ज करायी जा चुकी है। मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद कल एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। दैनिक भास्कर भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार अमन नम्र ने फोन पर इस सूचना की पुष्टि की।
घटनाक्रम यों है कि देर रात की शिफ्ट के बाद भास्कर के पत्रकार विजय प्रभात शुक्ला और कृष्ण मोहन तिवारी अवधपुरी में अपने घर जा रहे थे। रात ढाई बजे नशे में धुत्त एएसआइ रघुबीर सिंह डांगी और हेड कांस्टेबल सुभाष त्यागी व संतोष यादव ने उन्हें रोका और पूछताछ करने लगे। इसके बाद उन्हें भद्दी गालियां देनी शुरू कीं और मारते-पीटते हुए थाने में ले गए जहां सुबह चार बजे तक उन्हें पुलिसवाले पीटते ही रहे। पुलिसवालों ने दोनों पत्रकारों को सिमी का आतंकवादी कहा, कहा कि वे एटीएम लूटने जा रहे थे और फिर एनकाउंटर की धमकी भी दी।
इन तीनों पुलिसवालों ने जिन अपशब्दों का इस्तेमाल किया है, उससे पुलिस का असली चरित्र समझ में आता है।
सुबह पत्रकार जब एफआइआर कराने पहुंचे तब तक पुलिसवाले नशे में ही थे। बाद में ऑडियो टेप के साक्ष्य पर इन्हें निलंबित कर दिया गया और पत्रकारों की ओर से शिकायत ले ली गई।फिलहाल दोनों पत्रकार अस्पताल में भर्ती हैं और उन्हें गंभीर चोट आई है। घटना की चौतरफा निंदा हो रही है और मध्यप्रदेश की कथित ''संवेदी पुलिस'' पर सवाल उठ रहे हैं।