फोटोग्राफी जैमिनी के जीवन का शगल
महेश दीक्षित
मध्यप्रदेश के जाने-माने फोटोग्राफर कमलेश जैमिनी एक ऐसी शख्सियत हैं, जिनकी तस्वीरें खुद उनका हुनर साबित करती हैं। कमलेशजी पिछले पांच दशकों से फोटोग्राफी के क्षेत्र में सक्रिय हैं। हालांकि, अब उन्होंने खुद का व्यवसाय स्थापित कर लिया है, पर फोटोग्राफी का जुनून आज भी वैसा ही है, जैसा युवा अवस्था में था। अपने फोटोग्राफी कॅरियर में भोपाल गैस त्राासदी को वे सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं। उनका कहना है कि उन्होंने गैस कांड त्रासदी की जो तस्वीरें कैमरे में कैद की हैं, भगवान किसी को ऐसे दिन न दिखाए। एक नवंबर 1948 को भोपाल में जन्मे कमलेशजी का कहना है कि उन्होंने अपने कॅरियर में भोपाल के सभी अखबारों में काम किया, जिसमें नईदुनिया, भास्कर, नवभारत प्रमुख हैं। इसके अलावा उन्होंने कई और अखबारों के लिए भी काम किया है। डिप्लोमा इन फोटोग्राफी की शिक्षा हासिल करने वाले कमलेशजी बताते हैं कि आज फोटो जर्नलिस्ट का जो दौर चल रहा है, नाम लेने का चलन बढ़ रहा है, वह उनके समय में नहीं था। उस समय खुद ही फोटो खींचनी भी पड़ती थी और बनानी भी। वे आज की फोटो पत्रकारिता से थोड़े खिन्न भी हैं। उनका कहना है कि नाम के लिए काम करना ठीक नहीं है। एक मिशन के लिए जब काम किया जाता है, तो उसका परिणाम भी दिखता है। फोटो समाज का आईना होता है, समाज की समस्याओं को जाहिर करती है। इस ओर खास ध्यान देना चाहिए। अपने छात्र जीवन के बारे में कमलेशजी बताते हैं कि वे पढ़ाई में बेहतर रहे। पढ़ाई के अलावा एनसीसी में खास रुचि थी। इस दौरान उन्होंने हवाई जहाज भी उड़ाया। इस प्रशिक्षण में उनकी मुलाकात पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी से भी हुई। यह बात उस समय की है, जब राजीव गांधी पायलट हुआ करते थे। एनसीसी कैडेट के तौर पर उन्होंने दिल्ली में राजपथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस परेड का भी हिस्सा बने। अपने फोटो कॅरियर की बड़ी उपलब्धि के तौर पर वे बताते हैं कि एक बार उन्होंने राजीव गांधी का एक फोटो कॉकपिट में बैठे रहने के दौरान खींचा था। उनके निधन के बाद कांग्रेस अध्यक्ष और राजीवजी की पत्नी सोनिया गांधी को यह फोटो इतना पसंद आया कि उन्होंने तस्वीर को निगेटिव के साथ अपने पास मंगवाया। आज यह फोटो राजीव गांधी के समाधि स्थल वीरभूमि में स्थापित एक फोटो गैलरी में सबसे पहले लगाया गया है। इस फोटो के नीचे उनका नाम भी अंकित है। अपने सामाजिक जीवन के बारे में कमलेशजी बताते हैं कि वे नेशनल एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड की भोपाल शाखा का पूरा काम देख रहे हैं। इस शाखा में करीब 40 ऐसे बच्चों की देखरेख होती है, जो दृष्टिहीन हैं। उनके खाने-पीने से लेकर सारी व्यवस्थाएं की जाती हैं। हालांकि इसमें सरकारी सहयोग भी है, पर कम है। लिहाजा लोगों के सहयोग से खर्च पूरा हो जाता है। अपने लंबे फोटोग्राफी कॅरियर में सम्मान न मिलने का मलाल उन्हें नहीं है। उनका मानना है कि नाम के लिए काम करने लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती। वे इस बात से नाराज भी हैं कि सरकार ने उनके काम को कभी तवज्जो नहीं दी। वे यह जरूर कहते हैं कि अच्छे काम की तारीफ होनी चाहिए, वह चाहे जिसने किया हो।[बिच्छू डॉट कॉम से ]