सामाजिक सरोकार से खुद को जोडऩे वाले पत्रकार सुनील शर्मा का मानना है कि समाज में व्याप्त समस्याओं को सामने लाना और उनका निराकरण कराना ही पत्रकारिता का धर्म है। सुनील के नाम ऐसे कई काम हैं, जो उनकी पहचान बन गए हैं। पत्रकारिता करते सुनील की अवैध खनन को लेकर की गई स्टोरी को काफी सराहना मिली। यह स्टोरी उन्होंने पत्रिका में रहते की थी। इसके अलावा पत्रिका में सड़कों की बदहाली पर कई महीने तक विशेष कैंपेन चलाया, जिसने सरकार की नींद उड़ा दी थी। वे सरकार की फूड कूपन योजना को लेकर की गई स्टोरी से चर्चा में आए। सुनील की यह तीन स्टोरी किसी भी नए पत्रकार के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती हैं। धार के नालछा में 25 सितंबर 1974 को जन्मे सुनील ने होल्कर साइंस कॉलेज से बीएससी और देवी अहिल्या विवि, इंदौर से एमएएमसी-मास्टर इन मास क युनिकेशन में डिग्री प्राप्त की। सुनील बताते हैं कि उन्होंने पत्रकारिता में जो सीखा, आज वे युवाओं में बांट रहे हैं। वे चाहते हैं कि पत्रकारिता के क्षेत्र में आने वाली नई पीढ़ी को बेहतर मार्गदर्शन मिले, ताकि जिस उद्देश्य को लेकर वे इस क्षेत्र में आए हैं, उसमें भटकाव न हो। उनका मानना है कि आज पत्रकारिता पैसा कमाने का जरिया बन गई है, यहीं से पत्रकारिता धर्म का पतन शुरू होता है। पत्रकारिता का मूल उद्देश्य समाज की भलाई है। सुनील अपने सफल कॅरियर का श्रेय पिता मोहनलाल शर्मा को देते हैं। उनके आदर्शों और शिक्षा के बूते ही आज वे अपना मुकाम हासिल कर सकने में सफल हुए। सुनील ने पत्रकारिता की शुुरुआत 1998 में चौथा संसार से की। इसके बाद 2001-2003 भास्कर टीवी, 2004-07 भास्कर भोपाल, 2007-09 इंडिया न्यूज-ब्यूरो, मप्र, 2009-2013 पत्रिका, भोपाल स्टेट ब्यूरो चीफ के पद पर काम किया। 2013 से अब तक वे प्रदेश टुडे में स्टेट हेड के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। सुनील ने बीटीवी में आपकी आवाज प्रोग्राम शुरू किया, जो काफी सराहा गया। इसी तरह इंडिया न्यूज-जनप्रतिनिधियों (सांसद-विधायक) से चाय पर चर्चा पर प्रोग्राम चलाया। इसमें जनप्रतिनिधि क्या कर रहे हैं, इस पर लगातार कई महीनों तक कैंपेन चलाया। सुनील को माधव सप्रे संग्रहालय के माखन लाल चतुर्वेदी श्रेष्ठ पत्रकारिता के साथ दर्जनभर पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं।