अब बोलो आत्या
राकेश अचलआत्या यानि बुआ जी।सिंधिया खानदान में इस समय केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की तीन आत्या हैं ,लेकिन सुर्ख़ियों में हैं केवल यशोधरा राजे।यशोधरा विवाह के बाद मायके में रहकर राजनीति करने वाली सिंधिया घराने की अकेली महिला हैं।उनके पति के बारे में लोग कम ही जानते हैं। ग्वालियर से दूसरी बार भाजपा के टिकिट पर सांसद चुनी गयीं यशोधरा राजे को किसी ने अपने पति के साथ नहीं देखा,हाँ वे अप ने बेटे के साथ जरूर सार्वजनिक रूप से देखी गयीं हैं।आत्या का सिंधिया खानदान से म्लोमालिन्य है भी या नहीं ये भी कम ही लोग जानते थे किन्तु अपने भाई स्वर्गीय माधवराव सिंधिय की प्रतिमा के अनावरण समारोह में आत्या ने ही सिंधिया परिवार से अपनी दूरियों का मुजाहिरा कर अपने लिए सवाल खड़े करा लिए. ख़ास बात ये है की आत्या यशोधरा राजे से ये सवाल खुद उनके भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किये हैं। सिंधिया परिवार की विशेषता रही है की इस परिवार के किसी भी सदस्य ने अभी तक अपने किसी भी पारिवारिक विवाद पर सार्वजनिक रूप से कभी कुछ नहीं कहा।स्वर्गीय राजमाता विजयाराजे सिंधिया की वसीयत विवाद पर हम जैसे माधवराव सिंधिया के करीबी अनेक पत्रकार कोशिशें करते रह गये थे,किन्तु सर्गिय माधवराव सिंधिया ने एक शब्द भी नहीं कहा था. माधवराव सिंधिया के अपनी माँ और आत्याओं से सम्पत्ति को लेकर अनेक मुकदमे चले,{आज भी उनमें से अनेक का निराकरण नहीं हो सका है }किन्तु किसी ने कभी इस बारे में सार्वजनिक चर्चा नहीं की।राजमाता विजयाराजे सिंधिया एवं उनके इकलौते पुत्र माधवराव सिंधिया के निधन के बाद भी इस परिवार ने कभी एक-दूसरे के खिलाफ न कभी कोई चुनाव लड़ा और न ही कभी सार्वजनिक रूप से कभी किसी को कुछ कहा.उलटे सार्वजनिक अवसरों पर सभी ने एक -दूसरे के मान-सम्मान का पूरा ख्याल रखा ,लेकिन भीतर ही भीतर कुछ ना कुछ दरकता रहा। खुद आत्या यशोधरा राजे ने जानबूझ कर या भावुकतावश इसका मुजाहिरा कर दिया ।हार कर सिंधिया परिवार के मुखिया ज्योतिरादित्य सिंधिया को खानदान की परम्परा तोड़ कर सार्वजनिक रूप से कहा की -आत्या आप हमारा परिवार हो,आपको एक होने से किसने रोका है?एक पूर्व शासक परिवार के बीच के इस विवाद में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हस्तक्षेप करते हुए सिंधिया से कहना पडा की आत्या की और से उन्हें फ़िक्र करने की कोई जरूरत नहीं है,उनकी गारंटी वे खुद लेते हैं। सार्वजनिक रूप से ग्वालियर में जो कुछ हुआ उसे ग्वालियर ने पहली बार देखा।जबकि सब जानते हैं की आत्या ने हाल ही में शिवपुरी की एक जमीन के मामले में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा द्वारा भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया पर लगाये गये आरोपों के बाद कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।उन्होंने झा के आरोपों को स्वर्गीय राजमाता विजयाराजे सिंधिया का अपमान बताया था। बुआ-भतीजे के रिश्ते में इस खटास के बारे में उत्सुक पाठकों को ये भी पता होना चाहिए की सिंधिया खानदान में राजमाता की राजनीतिक विरासत पर पहली बार यशोधराराजे सिंधिया ने अपना हक जताते हुए गुना संसदीय क्षेत्र से भाजपा का टिकिट माँगा था,किन्तु उस समय भाजपा में निर्णायक भूमिका में रहने वाले राजमाता के राजनीतिक सलाहकार संभाजीराव आंग्रे ने यशोधरा की दाल नहीं गलने दी थी,राजे को शिवपुरी से विधानसभा के टिकिट से ही संतोष करना पडा था। बाद में भाजपा ने यशोधरा राजे को ग्वालियर से लोकसभा का टिकिट दे दिया क्योंकि ग्वालियर से सिंधिया परिवार का कोई भी सदस्य चुनावी मैदान में नहीं था।राजमाता स्वर्गीय विजयाराजे सुन्धिया के अहसानों के निचे दबी भाजपा ने यशोधरा राजे को संगठन के विरोध के बावजूद मौके दिए हैं. मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा से तो राजे की सार्वजनिक रूप से झड़पें हो चुकी हैं,किन्तु भाजपा सिंधिया परिवार में कोई दरार डाले बिना आगे बढने में लगी है। लेकिन अब विवाद सतह पर आ गये हैं.देखना ये है की आत्या अब अपने भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया का न्योता स्वीकार कर एक बार फिर सिंधिया परिवार का हिस्सा बनतीं हैं या नहीं।खबर दोनों ही स्थितिओं में बनने वाली है. अगर सिंधिया परिवार में एका होता है तो भाजपा और कांग्रेस दोनों का फायदा होना तय है ,और यदि दूरियां बढ़तीं हैं तो कांग्रेस का कम भाजपा का ज्यादा नुकसान होने की आशंका है।इस सबके बाद भी ये हैरान करने वाली बात है की यशोधरा राजे सिंधिया उसी रानी महल में रहतीं हैं जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया रहते हैं।दोनों की पेंट्री और निजी स्टाफ भले ही अलग-अलग हों किन्तु बाहर से सब कुछ एक ही दिखता है।यहाँ तक की दोनों महल के एक ही दरवाजे से आते-जाते हैं।[दखल ]राकेश अचल देश के जाने माने पत्रकार हैं और ग्वालियर में रहते है |