शिवराज की संकटमोचक ऐश्वर्या राय
गौरव चतुर्वेदी मध्यप्रदेश सरकार पर होते चौतरफा हमले और मंत्रियों की कारगुजारी ऐसे अवसरों पर अचानक संसदीय कार्य एवं विधि-विधायी मंत्री नरोत्तम मिश्रा सामने आते हैं और पूरी बाजी को पलट देते हैं । मामला विपक्ष का विधायक रहते हुए जनता के मुद्दे उठाकर सरकार को घेरने का रहा हो या फिर सदन में संसदीय परंपराओं के साथ सरकार की बात रखने का । दोनों ही अवसरों पर अपनी भूमिका को ईमानदारी के साथ निभाते आए हैं नरोत्तम मिश्रा । सुन्दरता को लेकर तो कई बार विपक्ष के विधायक भी नरोत्तम मिश्रा को ऐश्वर्या राय कहने से नहीं चूके हैं । साल भर पहले ऐसा राजनीतिक संघर्ष भी धैर्य के साथ किया कि धीरे-धीरे आज सरकार के संकटमोचक और सरकारी प्रवक्ता की हैसियत को पा गए । ० हाल ही में सरकार ने आपको प्रवक्ता के पद से नवाजा है । सरकार की छवि को आमजन में बेहतर बनाने के लिए क्या प्रयास करेंगे ? जो भी अच्छे प्रयास हो सकते हैं वो सारे प्रयास करेंगे । सरकार की योजनाओं का लाभ गरीबों को मिल सके और सरकार के बारे में कोई भ्रम न फैले, ऐसे प्रयास प्राथमिकता के साथ करेंगे ।० क्या कारण है कि म.प्र. विधानसभा की मर्यादा निरंतन भंग हो रही है ? संसदीय कार्यमंत्री होने के नाते आप क्या महसूस करते हैं ? यह बात गलत है । म.प्र. विधानसभा की मर्यादा कहीं भी भंग नहीं हो रही है । सदन की वैभवशाली और गौरवशाली परम्परा है, जिसे किसी भी कीमत पर भंग नहीं होने देंगे । इस परम्परा को जीवित रखने के लिए प्राण-पण से जुटेंगे । विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी भी इस परंपरा को जीवित रखने के लिए चिंतित रहते हैं । हम इसको कायम रखेंगे । ० एक वर्ग विशेष ने विधानसभा की कार्यवाही के सीधे प्रसारण की बहस को जन्म दिया है, आपकी क्या प्रतिक्रिया है ? इस बारे में विधानसभा अध्यक्ष का बयान आ चुका है । अंतिम फैसला उन्हीं को करना है । मैं इस मामले में अपनी भूमिका को आंशिक रूप से पाता हूँ और अपने आपको सहमत पाता हूँ ।० सत्ता और संगठन के समन्वय में आपकी क्या भूमिका होगी ? अन्य दलों में सरकार संगठन को चलाता है, हमारे यहाँ संगठन सरकार को चलाता है । भारतीय जनता पार्टी और सरकार के बीच पूर्ण समन्वय हैं । यहाँ यह हो ही नहीं सकता । आपको कोई भ्रम है जिसे आप स्वयं दूर करें ।० क्या कारण है कि सरकार के मंत्रियों की छवि खराब हो रही है ? क्या कठोर कदम उठाए जाना चाहिए ? ऐसा कुछ नहीं है । आरोप कोई भी लगा सकता है, लेकिन आरोप तथ्यपूर्ण हों तो कछ कहा भी जाए । बिना प्रमाणों के आरोप लगाने की क्या तुक है । इसलिए इस पर किसी भी तरह के कदम उठाए जाने की आवश्यकता नहीं है । ० सरकार के संकटमोचक के तौर पर आपका नाम लिया जा रहा है, कई अवसरों पर आपने अपनी काबिलियत का प्रदर्शन भी किया है, इसे लेकर आप क्या मानते हैं ? सरकार का संकटमोचक नहीं, टीम के खिलाड़ी की हैसियत से काम करता हूँ। इस बात को ध्येय मानते हुए कि टीम का कैप्टन खिलाड़ी को जहाँ खड़ा करे वहाँ उसे अच्छा प्रदर्शन करना चाहिए । मेरी भूमिका कैप्टन ने तय की थी । मेरा काम सिर्फ उस भूमिका को ईमानदारीपूर्वक निर्वाह करना था, जो मैने किया । ० एक समय था जब पार्टी आपकी उपयोगिता को लेकर कोई निर्णय नहीं कर पा रही थी । आप कैसा महसूस करते थे ? आज की स्थिति क्या उसी संघर्ष का परिणाम नहीं है ? मैने अभी कहा था कि खिलाड़ी की भूमिका कैप्टन तय करता है वो हमारे बारे में ज्यादा अच्छे से सोचते हैं । बनिबस्त इसके कि कई बार हम स्वयं के बारे में ज्यादा सोच लेते हैं । कैप्टन का काम सबके बारे में सोचने का और निर्णय लेने का है । उन्हें जब मेरी उपयोगिता नजर आई तो उन्होंने उसका बेहतर उपयोग किया । ० म.प्र. में जब भारतीय जनता पार्टी विपक्ष की भूमिका में थी तब आपका नाम ÷हल्का ब्रिगेड' में शामिल था । आज आप संसदीय कार्यमंत्री हैं, दोनों स्थिति में रहते हुए आपके क्या अनुभव रहे और आप किस भूमिका के साथ न्याय कर पाय हैं ? जब विपक्ष की भूमिका भी तब विपक्ष के विधायक की हैसियत से जनता के मुद्दों को उठाया । अब संसदीय कार्यमंत्री हूँ । अपने-अपने स्थानों पर दोनों ही जगह मैने ईमानदारी के साथ सौंपे गए दायित्व का निर्वहन किया है । ० एक समय आपके राजनीति में प्रवेश को लेकर आपके परिवारजन भी नाराज थे। आज क्या स्थिति है, क्या राजनीति को लेकर आपके परिवारजनों के नजरिये में बदलाव आया है ? यह जानकारी गलत है कि मेरा परिवार राजनीति से नाराज था । मेरा परिवार पूर्णरूप से राजनीतिक रहा है । मेरे ताऊजी म.प्र. में विधायक रहे हैं, मंत्री रहे हैं । मेरे व्यक्तिकत राजनीति में सक्रिय रहने को लेकर भी कोई नाराजगी नहीं थी । (दखल)