कविता, मास्टर प्लान और शिवराज
नीरज श्रीवास्तव अव्यवस्था के खिलाफ आवाज बुलंद करना पत्रकार अनुराग उपाध्याय की आदत में शुमार हैं | भोपाल के "मास्टर प्लान" में जब तमाम खामियाँ नजर आई तो वे अकेले नहीं थे तमाम लोगो ने इस पर अपना विरोध जाहिर किया | क्या लेखक , क्या पत्रकार, क्या कलाकार, क्या समाज सेवी और क्या आम आदमी | सब सरकारी मास्टर प्लान की मुखालफत कर रहे थे | लेकिन इसमें भी पत्रकार अनुराग उपाध्याय का अंदाज जुदा था | लिखने में यह कंजूस कतई नहीं हैं लेकिन जब प्रहार पूरी ताकत से करना हो तो वे खबर के अलावा कविताओं से भी सरकार पर जम कर आक्रमण करते हैं | उनके ब्लाँग पर कुछ दिन पहले जो कवितायेँ थी वह सरकार के जले पर नमक छिड़कने के लिए पर्याप्त और एक दम माकूल थी | उनका प्रिये पात्र "भोले" यहाँ भी साफ़ नजर आया | हालाँकि उन्होंने इन कविताओं को काली कविता की संज्ञा दी हैं | लेकिन यह तमाम सारे सफेदपोशों के पीछे की कालिख बयान बखूबी करती हैं | (1) भोले उठ,भाषण मत पिला !सारा शहर कर दिया है,माफियाओं ने पिलपिला !! (2)भोले,अपने कान धोले,कान का निकाल ले मैल ! जमीन माफियाओं को,मत करने दे खेल !!साबित कर तेरा इनसेनहीं है कोई मेल !!!नहीं तो अन्त में सबके लिए है इक जेल !!!!(3)भोले इधर आ, सच का कर सामना !तुझसे यही है कामना !!भोपाल को बचा,तेरा मास्टर प्लान नहीं,ये है एक सजा !!! (4)भोले,देख चहुँओर,तुझे घेरे हैं जमीनखोर !तेरी हर बकवास पर,ये कहते हैं वन्समोर-वन्समोर !!(5)भोले आ,काले और गोरे को बुला,जाँच करवा,काला, भीतर और बाहरदोनों जगह से काला है,गौरा, सिर्फ अन्दर से काला है !इन दोनों के पास जमीन हड़पने का जाला है !! (6)भोले,तेरी मण्डली चमत्कारी है !इसमें आधे भ्रष्टाचारी हैं !!तो आधे,जमीन के बलात्कारी हैं !!!(7)भोले ध्यान लगा,धुनी रमा,रतजगा करईमान वालों को बिठा !शीशमहल तुड़वा !!शहर बचा !!! (8)भोले बुच की मत सुन,खुच-पुच !यहाँ आएगा,तो दाउद इब्राहिम भी डर जाएगा !!तेरे जमीनखोरों के सामनेवो भी बौना पड़ जाएगा !!! (9)भोले मत डर,ताण्डव कर,जलजला ला !राजा भोज बन जा,भोजपाल का तालाब बचा !! (10) भोले,तू फेल, तेरी प्लानिंग फेल,वक्त रहते चेत जा !वरना बर्बाद कर देगाभोपाल को तेरा ये खेल !! इन कविताओं के जरिये सत्ता के केंद्र बिंदु बने मुख्यमंत्री को जगाने की जबरदस्त कोशिश अनुराग की हैं | इस मामले पर वे खुद कहते हैं, शिवराज सिंह एक बेहतरीन इन्सान हैं लेकिन उनकी मण्डली उनकी आड़ में काला-पीला करती हैं जिसको उजागर करना हर उस आम आदमी का काम हैं जिसके भीतर सच अभी मारा नहीं हैं | बकौल अनुराग "कई बार कविताएँ वो काम कर जाती हैं जो कई बार कई ख़बरें नहीं कर पातीं, मैं भी अब भोपाल का हूँ कुछ भ्रष्ट नेता , जमीनखोर अफसर और बिल्डर्स का गठजोड़ भोपाल को बर्बाद करे यह किसी को भी मंजूर नहीं हैं | इसलिए मुख्यमंत्री को नींद से जगाने के लिए तमाम लोगों ने प्रयास किया उन सब का सहभाग मैंने कविताओं के जरिये किया | मास्टरप्लान मसले पर जिस तरह लोगों ने अपना गुस्सा जाहिर किया वो सरकार के नकारात्मक सोच को सकारात्मक बनाने में कामयाब रहा हैं और मुख्यमंत्री शिवराज को इस पर पुनर्विचार करना पड़ा | लेकिन इस सब पर राजनैतिक दलों की बेरुखी से साफ़ जाहिर हुआ भोपाल को लूटने में वे सब एक साथ हैं |(दखल)(नीरज सवतंत्र पत्रकार हैं |