पाकिस्तान पर दबाव बनाओ और सबक सिखाओ
गुरदासपुर में हुए आतंकी हमले की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि पाक समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा के दो आतंकियों ने जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर बीएसएफ की गाड़ी को निशाना बनाया, जिसमें एक आतंकी कासिम खान स्थानीय लोगों की सूझ-बूझ के कारण जिन्दा पकड़ा गया। भारत तमाम वैश्विक बैठकों और संयुक्त राष्ट्र संघ में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का मुद्दा उठाता रहा है। पाकिस्तान पर कूटनीति के जरिये आतंकवादियों पर कारर्वाई करने का दबाव भी बनाये हुए है। 26/11 को मुंबई में हुए आतंकी हमले के वे सारे साक्ष्य भी पाकिस्तान सरकार को सौंपे गए जिनसे यह साबित होता है कि मुंबई हमला पाक समर्थित आतंकवादियों द्वारा सोची समझी साजिश के तहत हुआ था। इन साक्ष्यों की सहायता से हमले के दोषी प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात उद दावा के सरगना हाफिज सईद और जकी उर रहमान लखवी को सजा दी जा सकती है। भारत द्वारा प्रस्तुत साक्ष्योंकी जाँच करने वाले पूर्व पाकिस्तानी अधिकारी तारिक खोसा ने भी एक लेख में इस बात का उल्लेख किया है कि भारत ने मुंबई हमले के सन्दर्भ में जो साक्ष्य प्रस्तुत किये हैं वे पर्याप्त हैं। अब पाकिस्तान को यह मान लेना चाहिए कि उसकी सरजमीं का इस्तेमाल आतंक फैलाने के लिए किया जा रहा है। फिर भी पाकिस्तान आतंकवादियों पर कारर्वाई करने के बजाए उन्हें संरक्षण दे रहा है। उसकी इसी करतूत का खामियाजा न केवल भारत बल्कि वह स्वयं भी भुगत रहा है। दिसम्बर 2014 में पेशावर के आर्मी स्कूल में हुआ आतंकी हमला इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। जल्द ही दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच बैठक होने वाली है जिसमें भारत द्वारा पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी जानी चाहिए कि वह आतंकवाद के लिए अपनी भूमि का उपयोग बंद करे अन्यथा इसके गंभीर परिणाम उसे भुगतने होंगे। यदि वह सचमुच आतंक के विरुद्ध लड़ाई में शामिल है तो पहले अपने यहां पनाह लिए हुए आतंकियों का सफाया करे तभी उसकी कथनी और करनी पर विश्वास किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान की करतूतों का पर्दाफाश करने का यह बिलकुल सही समय है। आतंकी कासिम खान की गिरμतारी से भारतीय सुरक्षा एजेंसियां कई महत्वपूर्ण तथ्य हासिल कर सकती है जो पाकिस्तान को वैश्विक बिरादरी के समक्ष जवाब देने के लिए काफी होंगे। खासतौर पर अमेरिका के सामने जो पाकिस्तान को करोड़ों डॉलर की सहायता आतंकवाद से लड़ने के लिए करता है। भारत सरकार चाहे तो इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भी ले जा सकती है। पाकिस्तान जैसे धूर्त देश पर चौतरफा दबाव बनाकर ही भारत बाह्य आतंकवाद का मुकाबला कर सकता है।