हवाई खबरों का स्टार
नकुव देश के कुछ खबरिया चैनल भेड़ चाल में विश्वास करते हैं। कंटेंट के तौर पर वे क्या दिखा रहे हैं, इसे लेकर वे खुद ही भ्रमित हैं। आधारहीन खबरें प्रसारित करते वक्त वे किसी की नहीं सुनते और किसी के प्रति अपनी जवाबदेही भी नहीं स्वीकार करते। न्यूज ब्रॉडकॉस्टर एसोसिएशन (एनबीए) द्वारा बनाई गई स्वंयं की नियामक परिषद भी ऐसे चैनलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती। बीते दिनों मध्य प्रदेश के ग्वालियर संभाग में प्रशासन ने कुछ चिटफंड कंपनियों के लेनदेन पर प्रतिबंध लगाया। स्टार न्यूज सहित कई खबरिया चैनलों द्वारा उस खबर को सनसनीखेज बना कर पेश कर दिया गया। वह खबर स्थानीय स्ट्रिंगर द्वारा भेजी गई थी। चैनलों में ऐसा माना जाता है कि स्ट्रिंगरों द्वारा भेजी गई खबरें तथ्यों के आधार पर परिपूर्ण नहीं होतीं और चैनलों द्वारा उन्हें काफी परखने के बाद ही प्रसारित किया जाता है। चिटफंड कंपनियों से संबंधित उक्त खबर को स्टार न्यूज सहित कई चैनलों ने एक विशेष कंपनी पीएसीएल को निशाना बना कर प्रसारित करना शुरू कर दिया जबकि पीएसीएल वास्तविकता में चिटफंड कंपनियों की श्रेणी में नहीं आती, लेकिन किसी भी चैनल ने पीएसीएल का पक्ष जानने की जरूरत नहीं समझी। उल्टे खबर को एक अभियान की तरह चलाना शुरू कर दिया, मानो पीएसीएल से व्यक्तिगत रंजिश हो?कुछ समय पहले खबरिया चैनलों खासतौर पर स्टार न्यूज द्वारा सिंगापुर में कार्यरत स्पिक एशिया नामक ऑनलाइन सर्वे का काम करने वाली कंपनी के खिलाफ एक अभियान छेड़ दिया था। उक्त कंपनी द्वारा जब प्रेस कांप्रें*स करके अपनी स्थिति स्पष्ट की गई तो स्टार न्यूज के रिपोर्टरों द्वारा भरी प्रेस कांप्रें*स में कंपनी के अधिकारियों से आक्रामक मूड में इस तरह सवाल किए गए जैसे वह प्रेस कांप्रें*स न होकर अदालत हो। मजे की बात देखिए कि जिस स्पिक एशिया कंपनी के खिलाफ स्टार न्यूज ने हफ्तों तक अपना एक तरफा अभियान चलाया था, उसी स्टार न्यूज ने कुछ दिनों बाद खबर दिखाई कि स्पिक एशिया में निवेश करने वाले निवेशकों और ऑनलाइन सर्वे का काम करने वाले लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि स्पिक एशिया के खाते में 80 करोड़ रुपया आ गया है। वह अपने निवेशकों को पैसा देने का काम शुरू करने वाली है। उक्त खबर दिखाने के बाद ज्स्टार न्यूजज् ने ज्स्पिक एशियाज् के खिलाफ कोई भी खबर नहीं दिखाई। ज्स्पिक एशियाज् वालों का कहना है कि ज्स्टार न्यूजज् ने उसके खिलाफ अभियान इसलिए चलाया क्योंकि ज्स्टार न्यूजज् खुद ज्स्टार पैनलज् के नाम से ऑनलाइन सर्वे के धंधे में कूद चुका है, लिहाजा पहले से बाजार में जमे अपने प्रतिस्पद्र्घियों के पांव उखाड़ने के लिए स्टार न्यूज ने स्पिक एशिया के खिलाफ अभियान चलाया था। चैनलों द्वारा पीएसीएल के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर खबरें दिखाई गईं, जिसका खुलासा खुद पीएसीएल के ग्राहकों द्वारा किया गया। इतना ही नहीं, जबलपुर से लेकर प्रतापगढ़ और इलाहाबाद से लेकर पटना तक के ग्राहकों ने पीएसीएल के दफ्तरों पर आकर कहा कि उन्हें 20 वर्षो में कभी भी पीएसीएल से कोई शिकायत नहीं रही। कंपनी के सभी ग्राहक चैनलों के कैमरों के सामने साफ-साफ कह रहे थे कि भ्रामक खबरों से माहौल न बिगाड़ें लेकिन चैनलों ने उन ग्राहकों की बाइटें दिखाने की जहमत नहीं उठाई। पीएसीएल के हक में देश के विभिन्न हिस्सों में ग्राहकों के खड़े होने के बाद चैनलों ने उनका पक्ष नहीं दिखाया। इससे साफ पता चलता है कि खबरिया चैनल किस भेड़ चाल पर चल रहे हैं। पीएसीएल के सीईओ ने खुद कई चैनलों पर कहा कि कंपनी का काम साफ-सुथरा और सरकारी नियम, कायदे-कानूनों से चल रहा है। कंपनी के पास 75 हजार करोड़ की जमीन है, इसलिए कोई भी ग्राहक झूवी, आधारहीन और भ्रामक खबरों से परेशान न हो।पीएसीएल के सीईओ ने स्पष्ट किया कि वह कोई चिटफंड कंपनी नहीं है। अगर कोई व्यक्ति, अधिकारी या संस्था इस तरह की टिप्पणी करती है तो वह माननीय न्यायालय के खिलाफ है। चिटफंड कंपनियों के लेन-देन में अनियमितता की बात पर प्रशासन द्वारा कार्रवाई की गई थी। खास बात यह है कि सभी चिटफंड कंपनियां स्थानीय थीं, लेकिन उनकी आड़ में खबरिया चैनलों द्वारा पीएसीएल को निशाना बना कर राष्ट्रीय स्तर पर कंपनी के ग्राहकों के बीच सनसनी फैलाने का काम किया गया।खबरिया चैनलों द्वारा इस तरह किसी को निशाना बनाना नई बात नहीं है। कई चैनलों ने तो इस परिपाटी को शुरू रखने का काम किया है। दर्शकों को बहकाने वाली उक्त खबरें दिखाकर खबरिया चैनलों द्वारा क्या साबित किया जा रहा है, यह बात आम दर्शक के गले नहीं उतरती। खबरिया चैनलों के एक गुट द्वारा इस तरह की खबरें दिखाकर किसी कंपनी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के नाम को कौन-सी पत्रकारिता कहा जाएगा? जबकि देश के कुछ हिंदी और अंग्रेजी खबरिया चैनलों द्वारा कभी ऐसा नहीं किया जाता। तथाकथित टीआरपी की अंधी दौड़ में क्या आधारहीन खबरें चलाना सही है? स्टार न्यूज और दूसरे खबरिया चैनलों के पुरोधाओं को इस पर मंथन करना होगा।[दखल]यह लेख शुक्रवार पत्रिका से साभार देश के कुछ खबरिया चैनल भेड़ चाल में विश्वास करते हैं। कंटेंट के तौर पर वे क्या दिखा रहे हैं, इसे लेकर वे खुद ही भ्रमित हैं। आधारहीन खबरें प्रसारित करते वक्त वे किसी की नहीं सुनते और किसी के प्रति अपनी जवाबदेही भी नहीं स्वीकार करते। न्यूज ब्रॉडकॉस्टर एसोसिएशन (एनबीए) द्वारा बनाई गई स्वंयं की नियामक परिषद भी ऐसे चैनलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती। बीते दिनों मध्य प्रदेश के ग्वालियर संभाग में प्रशासन ने कुछ चिटफंड कंपनियों के लेनदेन पर प्रतिबंध लगाया। स्टार न्यूज सहित कई खबरिया चैनलों द्वारा उस खबर को सनसनीखेज बना कर पेश कर दिया गया। वह खबर स्थानीय स्ट्रिंगर द्वारा भेजी गई थी। चैनलों में ऐसा माना जाता है कि स्ट्रिंगरों द्वारा भेजी गई खबरें तथ्यों के आधार पर परिपूर्ण नहीं होतीं और चैनलों द्वारा उन्हें काफी परखने के बाद ही प्रसारित किया जाता है। चिटफंड कंपनियों से संबंधित उक्त खबर को स्टार न्यूज सहित कई चैनलों ने एक विशेष कंपनी पीएसीएल को निशाना बना कर प्रसारित करना शुरू कर दिया जबकि पीएसीएल वास्तविकता में चिटफंड कंपनियों की श्रेणी में नहीं आती, लेकिन किसी भी चैनल ने पीएसीएल का पक्ष जानने की जरूरत नहीं समझी। उल्टे खबर को एक अभियान की तरह चलाना शुरू कर दिया, मानो पीएसीएल से व्यक्तिगत रंजिश हो?कुछ समय पहले खबरिया चैनलों खासतौर पर स्टार न्यूज द्वारा सिंगापुर में कार्यरत स्पिक एशिया नामक ऑनलाइन सर्वे का काम करने वाली कंपनी के खिलाफ एक अभियान छेड़ दिया था। उक्त कंपनी द्वारा जब प्रेस कांप्रें*स करके अपनी स्थिति स्पष्ट की गई तो स्टार न्यूज के रिपोर्टरों द्वारा भरी प्रेस कांप्रें*स में कंपनी के अधिकारियों से आक्रामक मूड में इस तरह सवाल किए गए जैसे वह प्रेस कांप्रें*स न होकर अदालत हो। मजे की बात देखिए कि जिस स्पिक एशिया कंपनी के खिलाफ स्टार न्यूज ने हफ्तों तक अपना एक तरफा अभियान चलाया था, उसी स्टार न्यूज ने कुछ दिनों बाद खबर दिखाई कि स्पिक एशिया में निवेश करने वाले निवेशकों और ऑनलाइन सर्वे का काम करने वाले लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि स्पिक एशिया के खाते में 80 करोड़ रुपया आ गया है। वह अपने निवेशकों को पैसा देने का काम शुरू करने वाली है। उक्त खबर दिखाने के बाद ज्स्टार न्यूजज् ने ज्स्पिक एशियाज् के खिलाफ कोई भी खबर नहीं दिखाई। ज्स्पिक एशियाज् वालों का कहना है कि ज्स्टार न्यूजज् ने उसके खिलाफ अभियान इसलिए चलाया क्योंकि ज्स्टार न्यूजज् खुद ज्स्टार पैनलज् के नाम से ऑनलाइन सर्वे के धंधे में कूद चुका है, लिहाजा पहले से बाजार में जमे अपने प्रतिस्पद्र्घियों के पांव उखाड़ने के लिए स्टार न्यूज ने स्पिक एशिया के खिलाफ अभियान चलाया था। चैनलों द्वारा पीएसीएल के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर खबरें दिखाई गईं, जिसका खुलासा खुद पीएसीएल के ग्राहकों द्वारा किया गया। इतना ही नहीं, जबलपुर से लेकर प्रतापगढ़ और इलाहाबाद से लेकर पटना तक के ग्राहकों ने पीएसीएल के दफ्तरों पर आकर कहा कि उन्हें 20 वर्षो में कभी भी पीएसीएल से कोई शिकायत नहीं रही। कंपनी के सभी ग्राहक चैनलों के कैमरों के सामने साफ-साफ कह रहे थे कि भ्रामक खबरों से माहौल न बिगाड़ें लेकिन चैनलों ने उन ग्राहकों की बाइटें दिखाने की जहमत नहीं उठाई। पीएसीएल के हक में देश के विभिन्न हिस्सों में ग्राहकों के खड़े होने के बाद चैनलों ने उनका पक्ष नहीं दिखाया। इससे साफ पता चलता है कि खबरिया चैनल किस भेड़ चाल पर चल रहे हैं। पीएसीएल के सीईओ ने खुद कई चैनलों पर कहा कि कंपनी का काम साफ-सुथरा और सरकारी नियम, कायदे-कानूनों से चल रहा है। कंपनी के पास 75 हजार करोड़ की जमीन है, इसलिए कोई भी ग्राहक झूवी, आधारहीन और भ्रामक खबरों से परेशान न हो।पीएसीएल के सीईओ ने स्पष्ट किया कि वह कोई चिटफंड कंपनी नहीं है। अगर कोई व्यक्ति, अधिकारी या संस्था इस तरह की टिप्पणी करती है तो वह माननीय न्यायालय के खिलाफ है। चिटफंड कंपनियों के लेन-देन में अनियमितता की बात पर प्रशासन द्वारा कार्रवाई की गई थी। खास बात यह है कि सभी चिटफंड कंपनियां स्थानीय थीं, लेकिन उनकी आड़ में खबरिया चैनलों द्वारा पीएसीएल को निशाना बना कर राष्ट्रीय स्तर पर कंपनी के ग्राहकों के बीच सनसनी फैलाने का काम किया गया।खबरिया चैनलों द्वारा इस तरह किसी को निशाना बनाना नई बात नहीं है। कई चैनलों ने तो इस परिपाटी को शुरू रखने का काम किया है। दर्शकों को बहकाने वाली उक्त खबरें दिखाकर खबरिया चैनलों द्वारा क्या साबित किया जा रहा है, यह बात आम दर्शक के गले नहीं उतरती। खबरिया चैनलों के एक गुट द्वारा इस तरह की खबरें दिखाकर किसी कंपनी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के नाम को कौन-सी पत्रकारिता कहा जाएगा? जबकि देश के कुछ हिंदी और अंग्रेजी खबरिया चैनलों द्वारा कभी ऐसा नहीं किया जाता। तथाकथित टीआरपी की अंधी दौड़ में क्या आधारहीन खबरें चलाना सही है? स्टार न्यूज और दूसरे खबरिया चैनलों के पुरोधाओं को इस पर मंथन करना होगा।[दखल]यह लेख शुक्रवार पत्रिका से साभार