रेडक्रास को भी देना होगी जनता के पैसे से किए कामों की जानकारी
राज्य सूचना आयुक्त का महत्वपूर्ण फैसलामप्र राज्य सूचना आयोग ने भारतीय रेडक्रास सोसायटी से चाही गई जानकारी उपलब्ध कराने के लिए सीएमएचओ को आदेशित किया है। यह जानकारी देने से रेडक्रास ने यह कह कर इंकार कर दिया था कि रेडक्रास पर आरटीआई अधिनियम लागू नहीं होता। संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं तथा जिला कलेक्टर ने भी इसी आधार पर अपीलार्थी की प्रथम अपील खारिज कर दी थी।राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने द्वितीय अपील की सुनवाई कर गत दिवस पारित आदेश में कहा कि अपीलार्थी ने रेडक्रास द्वारा आशा कार्यकर्ताओं को दिए गए प्रशिक्षण पर हुए व्यय संबंधी जानकारी मांगी है। राष्टीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत आशा कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने रेडक्रास को सौंपा तथा इसके लिए उसे भुगतान किया। इस बारे में हुए अनुबंध के तहत रेडक्रास चिकित्सा विभाग को प्रशिक्षण संबंधी जानकारी देने को बाध्य है। अत: लोक सूचना अधिकारी एवं सीएमएचओ गुना, रेडक्रास सोसायटी गुना से वांछित जानकारी एकत्र कर अपीलार्थी वीरेंद्र शर्मा गुना को 15 दिन में पंजीकृत डाक से निशुल्क उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें और यथाशीघ्र आयोग के समक्ष पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करें। संभागीय संयुक्त संचालक की ओर से सुनवाई में कहा गया कि आयोग के आदेश पर आपीलार्थी को वांछित जानकारी मुहैया करा दी जाएगी।आयोग ने की महत्वपूर्ण टिप्पणीसूचना आयुक्त आत्मदीप ने फैसले में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा-‘‘भारतीय रेडक्रास सोसायटी का गठन संसद द्वारा पारित अधिनियम 1920 के अंतर्गत हुआ। इस सोसायटी के संरक्षक राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रपति, राज्य स्तर पर राज्यपाल तथा जिला स्तर पर कलेक्टर हैं। आयोग की दृष्टि में ऐसी संस्थाओं से अपेक्षा की जा सकती है कि भले ही वे शासन से नियमित अनुदान प्राप्त न होने/शासन से सारत: वित्तपोषित न होने से आरटीआई अधिनियम की परिधि में न आती हों, किंतु वे शासन के प्रत्यक्ष-परोक्ष सहयोग तथा दानदाताओं से प्राप्त दानराशि से संचालित हैं। उनके क्रियाकलाप व्यापक लोकहित से संबंधित हैं। अत: ऐसी संस्थाओं द्वारा आरटीआई को मात्र कानूनी दृष्टि से देखने की बजाए लोकहित में स्वेच्छा से अंगीकार किया जाना चाहिए। स्वयं के कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित करने तथा जनता के प्रति जवाबदेही प्रदर्शित करने की दृष्टि से ऐसा किया जाना चाहिए।’’ आयोग ने यह भी कहा कि आयोग के मत में रेडक्रास को उसके द्वारा शासन से राशि प्राप्त कर क्रियान्वित किए गए कामों से संबंधित जानकारी देने से गुरेज नहीं करना चाहिए। केंद्रीय मुख्य सतर्कता आयुक्त व सतर्कता आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने जो टिप्पणी की है, उसका भावार्थ भी यही है कि पारदर्शिता ऐसा मानक है, जो जनहित के सभी सार्वजनिक कार्यों में तो अपनाया ही जाना चाहिए।कलेक्टर ने किया था इंकारनिर्णित प्रकरण में सचिव रेडक्रास गुना की दलील थी कि रेडक्रास अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संस्था है, जिसे शासकीय अनुदान प्राप्त नहीं है। अत: किसी व्यक्ति को रेडक्रास से आरटीआई के तहत जानकारी लेने का अधिकार नहीं है। कलेक्टर गुना के आदेश में भी कहा गया था कि रेडक्रास पर आरटीआई कानून इसलिए लागू नहीं होता, क्योंकि यह संस्था शासन के स्वामित्वाधीन, नियंत्रणाधीन व सरकार से सारत: वित्त पोषित नहीं है। ऐसे निकाय/गैर सरकारी संस्थान जिसे सालाना टर्नओवर का 50 प्रतिशत या 50 हजार रुपए, जो भी कम हो, शासन या उसकी किसी संस्था से अनुदान के रूप में प्राप्त नहीं होता है, तो ऐसी संस्था आरटीआई एक्ट की परिधि में नहीं आती हैं। आयोग ने इन तर्कों के पार जाकर फैसला सुनाया है।