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21 November 2024नए रिपोर्टर छाये ,बड़े-बड़े हुए फेल
अनुराग उपाध्याय
लगातार टेलीविजन न्यूज़ देखने पर लगा कि मध्यप्रदेश में न्यूज़ 24 के गोविन्द गुर्जर और न्यूज़ नेशन के नीरज श्रीवास्तव एक बेहतरीन पत्रकार के रूप में उभर के सामने आये हैं। पिछले एक बरस से मध्यप्रदेश की टेलीविजन पत्रकारिता को सांप सूंघा हुआ लगता है। खबर के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति इसे धीरे धीरे छत्तीसगढ़ की राह पर ले जा रही है। हालात ऐसे ही रहे तो हो सकता है एमपी में 18 के चुनाव के बाद दिल्ली में बैठे एडिटर मध्यप्रदेश को भी छतीसगढ़ की तर्ज पर ख़बरों के नजरिये से ड्राय स्टेट मान लें।
तमाम मित्र इस इलाके मध्यक्षेत्र में टीवी पत्रकारिता कर रहे हैं। लेकिन मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ के नेशनल टीवी न्यूज़ रिपोर्टरों की दृष्टि से बीता साल 2016 ठीक नहीं कहा जा सकता। इस दरम्यान कोई रिपोर्टर ख़ास और बड़ी खबर नहीं कर पाया। जिससे उसे राष्ट्रीय परिदृश्य पर पहचाना जाए। एक दो ख़बरें हुईं भी तो टेलीविजन रिपोर्टर उसमे सिर्फ लकीर पीटते नजर आये क्योंकि वेब मीडिया के मित्र उन ख़बरों पर उनसे पहले ही जम के खेल चुके थे। अब से पहले होता ये था कि पहले खबर और विज्युअल या फोटोग्राफ टीवी के पास होते थे और बाद में वेब ,सोशल और प्रिंट मीडिया के पास पहुँचते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं हो पा रहा। अब बाजी वेब मीडिया मार रहा है ,प्रिंट मीडिया मार रहा है और टीवी का बड़ा और महान माने जाने वाला रिपोर्टर सिर्फ उनकी बासी खबर चैनल पर चलवा के अपनी नौकरी बचाता प्रतीत होता है। ऐसे में टीवी रिपोर्टरों को ani के रिपोर्टर भी बड़ा झटका देते नजर आते हैं। उनकी तेजी के सामने कई बड़े -बड़े टीवी पत्रकार पानी भरते नजर आ रहे हैं।
समीक्षा करना ,सवाल उठाना मेरी आदत है ,उसके मुताबिक मैंने पाया कि पिछले कुछ सालों में मेरे [ins ,इण्डिया टीवी ] ,तब आजतक के राजेश बदल ,अमित कुमार दीप्ती चौरसिया ,तब ज़ी न्यूज़ के राजेन्द्र शर्मा ,तब न्यूज़ 24 के प्रवीण दुबे ,स्टार [बाद में एबीपी ]के बृजेश राजपूत ndtv की रुबीना खान बाद में सिद्धार्थ दास के बीच एक अघोषित मुकाबला था कि कौन बड़ी खबर करता है कौन सबसे पहले खबर करता है,तबके आईबीएन 7 के मनोज शर्मा का जिक्र इसलिए नहीं कर रहा हूँ कि वे उस दौर में ही खबर करने की तासीर खो कर इस मुकाबाले से खुद ही बाहर हो चुके थे। आईबीएन 7 लोड लेने का विषय नहीं था । इस अघोषित कॉम्पटीशन में हम सब एक से बढ़कर एक ख़बरें सामने लाते थे। ख़बरें भी ऐसीं की जिनसे जनता का ,समाज का भला तो होता ही था ,सरकार को घेर कर कटघरे में खड़ा कर देते थे। कौन खबर करता है यह उस समय बहुत महत्वपूर्ण नहीं था ,महत्वपूर्ण यह था कि खबर पहले टीवी पर प्रसारित हुई और बाद में प्रिंट या वेब मीडिया की हैडलाइन बनी। अब मध्यप्रदेश /छत्तीसगढ़ के टीवी रिपोर्टर्स में उस कॉम्पटीशन का अभाव साफ़ नजर आता है।
ऐसे में अगर नेशनल न्यूज़ चैनल की बात करें तो सबसे अलग अलग तरह की ख़बरों को स्वीकार करने और उसे टेलीकास्ट करने का सर्वाधिक माद्दा इंडिया टीवी में हैं लेकिन उनके रिपोर्ट पुष्पेंद्र वैद्य सिवाए भर्ती की ख़बरें और ऊपर से मिले असाइनमेंट के आलावा कुछ नहीं कर पाए। उनके कारण इस इलाके में इण्डिया टीवी का भट्टा ही बैठ गया है। चैनल को इस इलाके में नंबर बढ़ाने के लिए अब ख़बरों के भरोसे नहीं नेटवर्किंग टीम के भरोसे काम करना पड़ रहा है।
दूसरे बड़े चैनल आजतक का एमपी /सीजी में नाम ही काफी है। आज तक अपने नाम और ब्रांड के दम पर सबका विश्वसनीय है ,काम करने वाला फिर अमित कुमार हो या हेमेंद्र शर्मा इससे आजतक की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता। कई लोग वहां आये गए होते रहते हैं।
तीसरे बड़े चैनल में शुमार एबीपी न्यूज़ पिछले कुछ समय से खुद को ही आगे नहीं रख पा रहा है ,दर्शकों को आगे कैसे रखे । एक उम्दा रिपोर्टर बृजेश राजपूत चैनल की शुरुवात से जुड़े हैं। लंबे अरसे बाद उन्हें भी नहीं सूझता है कि खबर के नाम पर क्या करें ?या वो खुद को दोहराना नहीं चाहते। बहरहाल जो भी हो एबीपी की पकड़ दर्शकों पर लगातार कमजोर हुई है और दर्शकों ने फ़िलहाल इस एबीपी न्यूज़ को पीछे रख दिया है।
नेशनल न्यूज़ चैनल के मध्य क्षेत्र में ठन्डे रवैये के बीच ndtv का भोपाल दफ्तर बंद होने का फरमान जाहिर करता है सब कुछ ठीकठाक नहीं है। ऐसे में इस इलाके के दो रिपोर्टर न्यूज़ 24 के गोविन्द गुर्जर और न्यूज़ नेशन के नीरज श्रीवास्तव ने बीते साल शानदार और ख़ास ख़बरें कीं। वो ख़बरें जिनकी टेलीविजन और दर्शक दोनों को जरुरत होती है। न्यूज़ नेशन और न्यूज़ 24 नंबर गेम में जहाँ भी हों लेकिन खबरदारी जोरदार की। न्यूज़ 24 में गोविन्द गुर्जर की ख़बरें भी एक वजह बनी की उसे अब मध्यप्रदेश में दर्शकों की कमी नहीं है।
Patrakar Anurag Upadhyay
30 January 2017
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