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पब्लिक प्रविडेंट फंड (पीपीएफ) के साथ-साथ दूसरी छोटी बचत योजनाओं में निवेश करने वाले लोगों को झटका लग सकता है। सरकार इनमें मिलने वाली ब्याज दर में कटौती करने की तैयारी कर रही है। अगर सरकार गोपीनाथ समिति के फॉर्मूले को मान लेती है, तो इन पर ब्याज दर में करीब-करीब 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती हो सकती है।
यानी छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर गिरकर 7 फीसद पर पहुंच जाएगी। गौरतलब है कि गोपीनाथ समिति ने सरकारी बॉन्ड्स की प्राप्तियों के मुताबिक छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरें तय करने का फॉर्मूला दिया है।
समिति के सुझाए इस फॉर्मूले के मुताबिक, पिछले तीन महीने से छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर अभी सरकारी बॉन्ड्स पर बराबर अवधि में मिलने वाले ब्याज से थोड़ा ज्यादा है। पीपीएफ के मामले में 10 साल की औसत सरकारी बॉन्ड यील्ड से 25 बेसिस प्वाइंट ज्यादा है।
10 साल की सरकारी बॉन्ड यील्ड गिरकर 6.5 प्रतिशत पर पहुंच गई है और पिछले तीन महीने से यह लगातार 7 प्रतिशत से नीचे पर बरकरार है। यानी पीपीएफ रेट जनवरी-मार्च तिमाही में 7 फीसद तक आ सकता है।
हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि सरकार छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में इतनी बड़ी कटौती नहीं करेगी। कारण, नोटबंदी से पैदा हुई असुविधा का असंतोष आगे विकराल रूप धारण कर सकता है।
चिंता की बात यह है कि अगर नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट्स (NSC) जैसी दूसरी छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें कम हुईं तो इनकी मांग में कमी आ जाएगी। अभी NSC पर 8 प्रतिशत का ब्याज मिलता है, जिसकी बदौलत ये बैंक डिपॉजिट्स से ज्यादा आकर्षक बने हुए हैं।
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