कैसे कैसे चैनल और अख़बारों के ब्लंडर
ओम थानवी

ओम थानवी 

नोटबंदी से ये कमाल का भ्रष्टाचार उन्मूलन हुआ। लोग क़तारों में खड़े हैं, कुछ जान पर खेल रहे हैं और देश भर में जगह-जगह से नए नोटों की लाखों-करोड़ों में बरामदगी की ख़बरें आ रही हैं। हालात ऐसे हैं कि नए नोटों की बरामदगी की किसी भी रक़म पर लोगों को अविश्वास नहीं होता। जब जयपुर में 1.57 करोड़ के नोट (1.38 करोड़ के नए) पकड़े गए, दशमलव जाने कहाँ उड़ गया और आजतक, अमर उजाला, जनसत्ता, न्यूज़ एक्स आदि में 157 और 138 करोड़ की ख़बर शाया हो गई।

कहा जा सकता है कि टीवी-अख़बारों को तथ्य जाँचने चाहिए, पर इसका दूसरा पहलू यह है कि नोटों की तस्करी नोटबंदी में बहुत आम चीज़ हो गई है। पता नहीं कितने बैंक कर्मचारी इसमें पतित, कितने मालामाल हो गए। कमोबेश सारा काला धन सफ़ेद हो गया। इस गोलमाल में जो पकड़े गए, उनसे उनकी तादाद बहुत ज़्यादा होगी जो नहीं पकड़े जा सके। अब बैंकों के सीसीटीवी खंगाले जा रहे हैं (पीएम का कथित "स्टिंग"!)। और तो और, जनता तक पहुँचें न पहुँचें नए नोट आतंकवादियों तक पहुँच चुके हैं। जब नोटों की कालाबाज़ारी हो रही है तो क़ीमत देकर कोई भी ख़रीद, बदलवा सकता है। कहना न होगा, कांग्रेस के वक़्त भी ख़ूब घोटाले हुए, मगर यह नोटबंदी भी भ्रष्टाचार का मामूली हादसा नहीं।[वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी की एफबी वॉल से ]

 

Dakhal News 19 December 2016

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