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नर्मदा किनारे सिद्धनाथ मंदिर में शिवलिंग की स्थापना ब्रह्माजी के मानसपुत्रों सनकादिक ऋषियों ने की थी ... ,स्कंद पुराण में भी इस मंदिर का वर्णन है ... इस मंदिर में हमेशा शिव भक्तों की भीड़ रहती है ... यहाँ से कोई भक्त खाली हाथ नहीं जाता
महाशिवरात्रि महापर्व पर नेमावर के सिद्धनाथ महादेव मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालु की लंबी-लंबी कतार लगी रहीं ... इस मंदिर में हमेशा ही श्रद्धालु जमा रहते हैं ... नर्मदा किनारे स्थित सिद्धनाथ मंदिर सर्वाधिक प्राचीन मंदिरों में एक है। यहां वर्षभर शिव भक्तों का दर्शन के लिए ताता लगा रहता है। यहा आने वाले भक्तों की मनोकामना आवश्यक पूरी होती है। पौराणिक व ऐतिहासिक महत्व को अपने में समेटे सिद्धनाथ मंदिर अति प्राचीन है । वशिष्ठ संहिता के अनुसार यहां के शिवलिंग की स्थापना ब्रह्माजी के मानसपुत्रों सनकादिक ऋषियों ने की थी। स्कंद पुराण में भी इस मंदिर का वर्णन है। पद्मपुराण में बताया गया कि यह स्वयंसिद्ध शिवलिंग है ... रेवाखंड के 1362 श्लोक में वर्णित है कि यहां अभिषेक करने से वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है। द्वापर काल से भी मंदिर का नाता जोड़ा जाता है। मंदिर बगैर नींव का है। इसकी पुष्टि करीब 40 वर्ष पूर्व उत्खनन में हुई थी। मंदिर का मौजूदा स्वरूप 11वीं सदी में परमार राजाओं द्वारा प्रदान किया गया है। यह मंदिर भूतल से 80 फीट ऊंचाई तक है। इसके निर्माण में नीलाभ व पीलाभ बालुकामय पत्थरों का उपयोग किया गया है ... महाशिवरात्रि पर भगवान सिद्धनाथ का दूल्हा रूप में महाशृंगार किया जाता है शिवलिंग पर सवा मन की अष्टधातु के मुखौटे को रखकर, हीरा, मोती, पन्ना, पुष्प आदि का उपयोग कर शृंगार किया जाता है। यहाँ छबीना रूप के दर्शन वर्ष में एक बार ही भक्तों को होते हैं।
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