देश में इन जगहों पर नहीं होता रावण दहन, दशहरे पर कहीं होती है पूजा तो कहीं मनाते हैं शोक
दशहरा (Dussehra 2024)

आज देशभर में दशहरा (Dussehra 2024) का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह पर्व हर साल आश्विन माह में प्रभु श्री राम द्वारा राक्षस राज रावण के वध की याद में मनाया जाता है। आमतौर पर, यह त्योहार रावण के पुतले को जलाकर मनाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां दशहरे के दिन रावण का दहन नहीं किया जाता, बल्कि उनकी मृत्यु का शोक मनाया जाता है? 

 

आज हम आपको उन स्थानों के बारे में बताएंगे जहां विजयादशमी (Vijayadashami 2024) पर रावण दहन की बजाय उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त की जाती है।

 

 1. मंदसौर, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के मंदसौर में रावण दहन नहीं किया जाता, क्योंकि इसे रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका माना जाता है। मान्यता है कि मंदोदरी यहीं की रहने वाली थीं, इसलिए रावण को यहां दामाद माना जाता है। इस मान्यता के अनुसार, यहां रावण की पूजा होती है।

 

2. बेंगलुरु, कर्नाटक

कर्नाटक के बेंगलुरु में भी कुछ समुदाय रावण की पूजा करते हैं। यहां रावण को उनके ज्ञान और शिव के प्रति अनन्य भक्ति के कारण सम्मान दिया जाता है, इसलिए यहां दशहरे पर रावण दहन नहीं किया जाता।

 

3. कांकेर, छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के कांकेर में रावण को एक विद्वान के रूप में पूजा जाता है। यहां दशहरे के दिन रावण के ज्ञान और बल को याद किया जाता है, और उनके पुतले को जलाने की बजाय उनकी महिमा का गुणगान किया जाता है।

 

 4. बिसरख, उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के बिसरख गांव में मान्यता है कि रावण का जन्म यहीं हुआ था। यहां के लोग रावण को अपना पूर्वज मानते हैं और ऋषि विश्रवा के पुत्र के रूप में उन्हें महा ब्राह्मण मानते हैं। इसलिए दशहरे पर रावण दहन की बजाय उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है।

 

 5. गढ़चिरौली, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में गोंड जनजाति के लोग खुद को रावण का वंशज मानते हैं। उनका मानना है कि तुलसीदास की रामायण में रावण को गलत रूप में पेश किया गया है। इसलिए वे रावण की पूजा करते हैं और उनके पुतले का दहन नहीं करते।

 

6. मंडोर, राजस्थान

राजस्थान के मंडोर गांव में भी दशहरे पर रावण दहन नहीं किया जाता। यहां के लोग मानते हैं कि यह स्थान मंदोदरी के पिता की राजधानी थी, और रावण ने यहीं पर उनसे विवाह किया था। इसलिए यहां रावण को दामाद मानकर उनका सम्मान किया जाता है और उनका पुतला नहीं जलाया जाता।

 

Dakhal News 12 October 2024

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