नौजवान डेटिंग एप से एनालॉग की तरफ जा रहे हैं!
Young people are moving

एन. रघुरामन 

कल्पना करें, आप ऐसी जगह पर हैं, जो किसी भव्य रेस्तरां जैसी दिख रही है, जहां बराबर दूरी पर लगी टेबल पर सफाई से फूल व्यवस्थित लगाए गए हैं और आंख की बराबरी के लेवल पर फूलदान रखे हैं, जिससे आपको अहसास होता है कि किसी उत्सव में आए हैं।

उस कमरे में महक का कारण प्राकृतिक फूलों की खुशबू थी। कुछ कोनों पर दीवार पर रंग-बिरंगे फूल भी लगे थे। उस बड़े-से कमरे में रोशनी भी एकदम सही थी- न बहुत भड़कीली और ना मद्धिम। बैकग्राउंड में हल्का सिंगल इंस्ट्रूमेंट म्यूजिक चल रहा था।

वहां एक चिपर थी, जो आसपास भागती-दौड़ती हरेक का अभिवादन कर रही थी और पूछ रही थी कि उन्हें कुछ पीने के लिए तो नहीं चाहिए। चिपर मतलब हंसमुख, बहुत प्यारी और आत्मविश्वास से भरी हाजिरजवाब लड़की। अगर लोग ड्रिंक के लिए हां कहते, तो वह कुछ बहुत अच्छी मॉकटेल ऑफर करती क्योंकि वहां एल्कोहल की अनुमति नहीं है।

हर टेबल पर एक फोल्ड किया कार्ड रखा है, जिसके साथ पेन भी है, ताकि किसी को पता नहीं चल सके कि किस में दिलचस्पी दिखाने के लिए आपने कौन-सा बॉक्स टिक किया है या दिलचस्पी नहीं होने के लिए क्रॉस किया है। इस मीटिंग में मोबाइल की अनुमति नहीं है। और अंततः जब घंटी बजती है, तो हर टेबल पर एक-एक महिला-पुरुष, आमने-सामने बैठते हैं और चिपर नियमों की घोषणा करती है।

हर पांच मिनट में वह सुंदर चिपर घंटी बजा देती। और तब पुरुष प्रतिभागी खड़ा होता, उस फोल्ड किए कार्ड पर अपने निशान लगाता और दाईं तरफ की टेबल पर मुड़ जाता। उस हॉल में हर पुरुष तयशुदा समय में हर महिला से मिलता। पुुरुष के दूसरे टेबल पर जाने के दौरान उसी टेबल पर बैठी महिला भी अपने कार्ड पर निशान लगाती। दोनों की हां में सहमति का मतलब है िक दोनों को अगले 24 घंटों में उनके फोन नंबर के साथ एक ईमेल मिल जाएगा।

और यह ‘स्पीड डेटिंग’ कहलाती है! साल 1998 में रब्बी याकोव देयो द्वारा लॉस एंजेलिस में यहूदी सिंगल लोगों के लिए निफ्टी मैचमेकिंग के तौर पर स्पीड डेटिंग की शुरुआत की गई थी, लेकिन अब यह वैश्विक परिघटना बन चुकी है।

पिछले कुछ सालों में अकेलेपन नामक बीमारी के बढ़ने और डेटिंग एप में धोखाधड़ी का शिकार होने के बाद विकसित देशों में युवाओं ने इस मैथड को लोकप्रिय बना दिया है। मैरिज ब्यूरो की तरह ही स्पीड डेटिंग भी एक संजीदा व्यवसाय है और बड़े शहरों में ऐसे कार्यक्रमों की मेजबानी करने वाली कंपनियों का 75% मैच रेट का दावा है।

जोड़ी मिलान के अलावा यह लोगों में एक खूबसूरत रिश्तों को भी बढ़ावा दे रहा है। जिसका मतलब है कि यह एेसे लोगों को दोस्तों की तरह जोड़ रहा है, जिनकी समान अभिरुचियां हैं, जैसे लेखन, संगीत, बुक क्लब के सदस्य हैं, हाइकिंग आदि। भले ही शादी किसी और से हो, लेकिन वे लोग अच्छे दोस्त बनने के बाद ताउम्र दोस्त रहते हैं। अब डेटिंग एप गुजरे जमाने की बात हो चुकी है और इंसानी संपर्क के साथ इन नए एप ने उनकी जगह ले ली है।

डेटिंग एप्स पर प्रोफाइल में जानकारी भरते हुए लोग जानबूझकर अच्छी तस्वीरें चुनते हैं और अपने बारे में अच्छे-अच्छे शब्द लिखते हैं, जिससे सोचने और दोबारा सोचने का भरपूर समय मिलता है। संक्षेप में, वे खुद को अच्छे दिखाने की कोशिश करते हैं। लेकिन मानव से मानव संपर्क में इंसान नैसर्गिक होता है।

प्यार या जीवनसाथी चुनना स्वतः और बिना गुणा-भाग के ही होता है। इस तरह के पलों की योजना नहीं बना सकते या प्रोफाइल में नहीं समा सकते। कोई भी इसे अपने अंदर निर्मित नहीं कर सकता। तभी यह ‘प्यार में पड़ना’ कहलाता है। व्यक्तिगत रूप से मिलने की खोज की बढ़ती लोकप्रियता एक तरह से एनालॉग की ओर वापसी का हिस्सा है। इसलिए युवाओं द्वारा पुराने दौर को अपनाने की कई रिपोर्ट्स हैं। मिलेनियल्स और जेन ज़ी ने अब अपने स्मार्टफोन, एप और स्किनी जींस को एकतरफ रखकर जीवनसाथी चुनने के लिए पुराने तरीकों की ओर रुख किया है।

फंडा यह है कि नौजवान समझ चुके हैं जो कभी ओल्ड फैशन था, लगता है कि वो नया बन गया हैै! यह हमारी जिम्मेदारी है कि पुराने तौर-तरीकों को नए माहौल में ढालें।

 

Dakhal News 26 September 2024

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