दिखने वाला कचरा साफ, पर अदृश्य कचरे का क्या हुआ?
Visible garbage is clean

प्रो. चेतन सिंह सोलंकी 

इंदौर ने कचरे की सफाई में पूरे देश में अपना नाम स्थापित किया है और लगातार सात वर्षों तक भारत के स्वच्छतम शहर होने का खिताब जीता है। लेकिन न केवल इंदौर बल्कि पूरी दुनिया के सामने एक और बड़ी चुनौती है : अदृश्य यानी न दिखाई देने वाले कचरे से निपटना। यह दिखने वाले कचरे से अधिक खतरनाक होता है।

जब कोई समस्या स्पष्ट दिखती है तो उसका समाधान निकाला जा सकता है, जैसे कचरा अलग करना, एकत्र करना और प्रोसेस करना। लेकिन उस दुश्मन से कैसे निपटें, जिसे न देखा जा सकता है, न सूंघा जा सकता है, न महसूस किया जा सकता है?

सभी लोग अपनी ऊर्जा सम्बंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रत्यक्ष रूप से बिजली, पेट्रोल और डीजल आदि का उपयोग करते हैं और अप्रत्यक्ष रूप से कपड़े, सीमेंट और फर्नीचर जैसे सामान का। दुर्भाग्यवश, अधिकांश ऊर्जा स्रोत कार्बन आधारित हैं और उनके उपयोग से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है।

आपको पता है ये अदृश्य और गंधहीन सीओ2 वायुमंडल में 300 साल तक रहती है और वैश्विक तापमान बढ़ाने व जलवायु परिवर्तन में योगदान देती है? इस खतरे से निपटना अधिक जरूरी है।

इंदौर ने कचरा प्रबंधन, उसकी री-साइकलिंग और स्वच्छता में निरंतर प्रयासों के माध्यम से भारत का सबसे स्वच्छ शहर होने का गौरव प्राप्त किया है। स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग में लगातार शीर्ष पर रहने के पीछे कचरा शून्य कॉलोनियों, खाद बनाने की पहल, निवासियों और प्रशासन के सामूहिक प्रयासों का बड़ा योगदान है।

इसके लिए इंदौर नगर निगम के प्रयास सराहनीय हैं। लेकिन इन असाधारण उपलब्धियों के बावजूद, इस शहर और दुनिया को एक और बड़ी चुनौती का सामना करना है- वातावरण में उत्सर्जित कार्बन रूपी कचरे की सफाई।

दिखाई देने वाले कचरे का प्रबंधन महत्वपूर्ण है फिर भी ग्रीनहाउस गैसों जैसे कार्बन डाइऑक्साइड का अनियंत्रित उत्सर्जन कहीं अधिक विनाशकारी है। ये महसूस ना होने वाली और निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, जो दीर्घकालिक रूप से पर्यावरण के लिए खतरा है।

भारत के स्वच्छतम शहर के रूप में, इंदौर को अब अगले स्तर पर जाकर एक जलवायु-सचेत शहर की भी भूमिका निभानी चाहिए। मेरा सुझाव है कि ‘इंदौर क्लाइमेट मिशन’ या ‘इंदौर क्लीन क्लाइमेट मिशन’ जैसी किसी पहल की शुरुआत की जाए।

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अतिरिक्त समर्पण और सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता है- इन्हीं की वजह से इंदौर कचरा-प्रबंधन में अग्रणी बना। इस पहल के लिए जरूरी है, ऊर्जा की सही समझ और यह समझना कि कैसे ऊर्जा हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गई है।

ऊर्जा साक्षरता के महत्त्व के विषय में चर्चा जरूरी है, न केवल विद्यार्थियों के लिए बल्कि कॉर्पोरेट्स और पूरे समाज के लिए भी। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि सीमित संसाधनों वाली दुनिया में बर्बादी, अत्यधिक और बिना सोचे-समझे की गई खपत न केवल वर्तमान, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों को भी प्रभावित करेगी।

हम सबको न केवल जलवायु परिवर्तन के कारण को समझना चाहिए, बल्कि ऐसे मिशन में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए और जलवायु सुधार के लिए कदम उठाने चाहिए। इंदौर नगर निगम और नगरवासी अपने इनोवेशन को जारी रख सकते हैं, लेकिन साथ ही कार्बन उत्सर्जन को करने, रिन्युएबल ऊर्जा का उपयोग बढ़ाने और सस्टेनेबल जीवनशैली को बढ़ावा देने की भी जरूरत है।

ऊर्जा खपत को कम करके, जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को कम करके और पर्यावरण के लिए उचित कदम उठाकर इंदौर अन्य शहरों के लिए एक पथ-प्रदर्शक बन सकता है। कचरा प्रबंधन और जलवायु-सुधार कार्रवाई दोनों में शहर का नेतृत्व एक स्वच्छ, हरित भविष्य की ओर एक वैश्विक आंदोलन को प्रेरित कर सकता है।

Dakhal News 17 September 2024

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