भोपाल में गणेश उत्सव की तैयारियां शुरू:मूर्ति को अंतिम रूप देने में लगे कारीगर
Bhopal: Artisans engaged in finalizing the idol

गणेश चतुर्थी को अब कुछ ही दिन बचे हैं, लेकिन भोपाल में इसकी तैयारियों की चहल-पहल शुरू हो गई है। मूर्तिकार दिन रात एक करके भगवान गणेश की मूर्तियां बना रहे हैं। हर बार की तरह इस साल भी शहर में 3 फीट से लेकर 50 फीट तक की प्रतिमाएं आकार ले रही हैं। हालांकि मूर्तियों को अंतिम रूप देना बाकी है।वहीं, बड़ी मूर्तियों की बुकिंग शुरू हो चुकी है। इन मूर्तियों के दाम उनके आकार, डिजाइन, रंग और इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं पर निर्भर करेंगे। यहां मूर्तियों की कीमत 500 रुपए से लेकर कई हजार तक है। मूर्ति की डिमांड को देखते हुए मूर्तिकार जनवरी से ही प्रतिमाएं बनाने के काम में जुट जाते हैं।

कोलकाता की मिट्टी से बन रही प्रतिमा

आनंद नगर के कृपाशंकर प्रजापति बचपन से मूर्तियां बनाते हैं। उनका कारखाना रत्नागिरी चौराहे के पास है। वे इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं बनाते हैं जिनमें कलकत्ता की मिट्टी, गुजरात का बालू, भूसा आदि का उपयोग होता है। गणेश चतुर्थी से 4 महीने पहले मूर्ति बनाने का काम शुरू हो जाता है और नवरात्रि तक चलता है। उनके यहां पश्चिम बंगाल से कलाकार और सामान मंगवाया जाता है।

मूर्तिकारों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमें बारिश के मौसम में मूर्तियां सूखने में होने वाली दिक्कतें, कच्चे माल की उपलब्धता और बढ़ती लागत शामिल हैं। कृपाशंकर कहना है कि इस काम में परेशनियां बहुत है लेकिन बिना उसके आगे भी नहीं बढ़ा जा सकता।

मूर्तियों को बनाने में लगता है 2 महीने का समय

कोलकाता के नयन प्रजापति 20 सालों से मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं। ये अभी भोपाल के अयोध्या बायपास के पास पिछले ढाई महीनों से मूर्ति बना रहे हैं। नयन की अब तक 5 मूर्तियों की बुकिंग हो चुकी हैं जिसमें ढाई से 14 फीट तक की मूर्तियां शामिल हैं। उन्होंने कहा वो कस्टमर कि डिमांड के हिसाब से 20 फीट तक की प्रतिमाएं भी बनाते हैं। इनको बनाने में लगभग 2 महीने का समय लगता है। इस प्रक्रिया में मिट्टी को गूंथना, ढांचा तैयार करना, मूर्ति को आकार देना, रंग करना और सूखाना शामिल है।

बारिश की वजह से मूर्तियां नहीं सूखती

रायसेन के मूर्तिकार राज प्रजापति पिछले 10-12 सालों से मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं। इनके यहां डेढ़ फीट से 16 फीट तक की मूर्तियां बनाई जाती हैं। उन्होंने बताया कि वो कस्टमर कि डिमांड पर 50 फीट तक की भी मूर्तियां भी बनाते हैं। राज ने कहा बारिश की वजह से थोड़ी दिक्कतें होती हैं, मूर्तियां सूखती नहीं है। इसके लिए पंखे और हलोजन लाइट का इस्तेमाल करना पड़ता है।

कोलकाता से कारीगर मूर्तियां बनाने आते हैं

भोपाल के करोंद में मूर्तियां बनाने वाले मनमोहन प्रजापति ने कहा वो पिछले 40 सालों से ये काम कर रहे हैं। उनके यहां कोलकाता से कारीगर मूर्तियां बनाने के लिए आते हैं। इनके यहां जनवरी से ही भगवान गणेश और दुर्गा की 250 से अधिक प्रतिमाएं बनाई जाती है। उन्होंने इस साल भगवान गणेश की सबसे ऊंची 15 फीट और मां दुर्गा की 18 फीट की मूर्ति बनाई है।

2013 से 6 फीट से ऊंची प्रतिमाओं पर रोक

एनजीटी ने 2013 में प्रतिमाओं की ऊंचाई अधिकतम 6 फीट रखने के निर्देश दिए थे और तालाब के बजाय अलग से कुंड बनाकर विसर्जन करने के निर्देश दिए गए थे। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) ने 2010 में तालाब, नदी आदि जल स्रोतों में विसर्जन पर रोक लगाई थी।

 

Dakhal News 9 August 2024

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