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स्कूल न आने पर बच्चों से ले रही हैं 10 रुपये आर्थिक दंड
डिंडोरी आदिवासी बाहुल्य जिले की अजब ही दास्तान है यहां के नौकरशाहों के आगे शासन के तमाम नियम कायदे पन्नों में लिखी नजीर से ज्यादा कुछ भी नहीं फिर चाहे वह शिक्षा विभाग ही क्यों न हो। जिम्मेदारों के द्वारा तानाशाहीपूर्ण रवैया के साथ तुगलकी फरमान जारी करना शगल बन गया है जिसकी बानगी है ग्राम पंचायत गणेशपुर पंचायत का मिंघरोड़ी गाँव जहां माध्यमिक शाला में पदस्थ प्रधान पाठिका ने स्कूल न आने वाले छात्र छात्राओं के लिए तुगलकी फरमान जारी किया है छात्र छात्राओं से शाला न आने पर 10 रुपए का अर्थदंड बतौर वसूला जा रहा है यह तुगलकी फरमान सिर्फ छात्र छात्राओं पर लागू हो रहा है अमूमन प्रधान पाठिका भले ही सप्ताह में एक दो दिन शाला से नदारद रहे पर इन पर कार्यवाही करने वाला कोई नहीं है .छात्रों से आर्थिक दंड वसूलने वाले छात्र ने तो साफ़ तौर पर कह दिया है की मैं तो प्रधान पाठिका के आदेश का पालन कर रहा हूँ और उसका पैसा में प्रधान पाठिका को ही देता हूँ अन्य छात्र-छात्राओं ने बताया की विषयों का टाइम टेबल निर्धारित नहीं किया गया है वे स्वयं से ही अपने पाठ्यक्रमो की पढाई कर रहे हैं। गणेशपुर पंचायत में उपसरपंच के तौर पर पदस्थ प्रदीप सैयाम ने बताया की भले ही टीचर नहीं है लेकिन बच्चों से फाइन लिया जा रहा है यह तो गलत है वही B E O डिंडोरी ने कहा की शासन की तरफ से ऐसा कोई भी आदेश नहीं आया है मामले की जांच की जाएगी।
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