Dakhal News
25 April 2024उज्जैन। प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव एवं शालेय शिक्षा राज्यमंत्री इंदरसिंह परमार ने शुक्रवार को अपराह्न में भारत माता मन्दिर के सभाकक्ष में तीन दिवसीय संस्कृत महोत्सव पर अखिल भारतीय गोष्ठी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. यादव ने कहा कि संस्कृत ने भारत ही नहीं, अपितु विश्व में अपनी यात्रा का प्रकाश फैलाया है। संस्कृत भाषा हमारी देवभाषा है।
उन्होंने कहा कि आदिकाल से अवंतिका नगरी का विश्व में नाम रहा है। दुनिया में प्राचीन नगरी उज्जयिनी होने के साथ-साथ सांस्कृतिक नगरी की पहचान आदिकाल से है। उज्जैन में दुनिया को ज्ञान दिलाया है, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने सांदीपनि आश्रम में शिक्षा ग्रहण कर शिक्षा का प्रकाश फैलाया।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. यादव ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में नये-नये आयाम जोड़े हैं। संस्कृत को प्रोत्साहन मिले। दुनिया में संस्कृत को अपनी पहचान बनाना है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं के साथ संस्कृत की ओर भी ध्यान दिया गया है। अनेक स्थलों पर बहुभाषिता, भारतीय भाषाओं में साहित्य सृजन एवं अनुवाद को प्रोत्साहन की चर्चा भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में है। संस्कृत हमारी देवभाषा है, इसलिये संस्कृत के ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने का हम सब मिलकर काम करें।
इस अवसर पर स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री इंदरसिंह परमार ने कहा कि संस्कृत जैसी महत्वपूर्ण भाषा पर हमारे देश में व्यापक इसका विस्तार हो। सरकार इसमें बढ़-चढ़कर अपना योगदान दे रही है। नई राष्ट्रीय नीति में वृहद पैमाने पर नवीन विषयों को जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि सांदीपनि आश्रम के आसपास जमीन को तलाशा जा रहा है, ताकि उस क्षेत्र में संस्कृत विद्यालय खोला जा सके। योग से निरोग के तहत स्कूलों में योग क्लब बनाये गये हैं। योग व्यायाम भी छात्रों से कराये जा रहे हैं। शैक्षणिक गतिविधियां ठीक ढंग से संचालित हो, इसका हरसंभव प्रयास किया जा रहा है।
श्री रामानुज कोट के आचार्य स्वामी रंगनाथाचार्य महाराज ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा हमारी देववाणी भाषा है। आध्यात्मिक जीवन में प्रवेश करना है तो संस्कृत भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है। शिक्षा विभाग में संस्कृत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिये संस्कृत के शिक्षकों की भर्ती की जा रही है, वह अभिनन्दनीय है।
उन्होंने कहा कि भगवान महाकाल की पावन धरा पर हजारों साल पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भाई बलराम और सखा सुदामा के साथ सांदीपनि आश्रम में विद्याध्ययन करने आये थे। शिक्षा का महत्व पूर्व में भी था और आज भी है, परन्तु हमें हमारी हिन्दी भाषा के साथ-साथ संस्कृत भाषा का ज्ञान भी जन-जन में होना आवश्यक है। मानव जीवन में व्यक्ति को संस्कृत का ज्ञान आवश्यक है। संस्कृत बहुत बड़ी भाषा है।
इस अवसर पर संस्कृत के अखिल भारतीय अध्यक्ष आचार्य गोपबंधु मिश्र, पतंजलि संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष भरत बैरागी ने भी अपने महत्वपूर्ण विचार रखते हुए देश में संस्कृत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जन-जन में संस्कृत भाषा को सीखने पर जोर दिया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने दीप-दीपन कर कार्यक्रम की शुरूआत की। गोष्ठी में देश के प्रख्यात विद्वजन आदि उपस्थित थे।
Dakhal News
15 April 2022
All Rights Reserved © 2024 Dakhal News.
Created By: Medha Innovation & Development
|