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Vinod Sirohi-
कभी कभी कहानी बिल्कुल बदल जाती है। मुख्तार नाम का अपराधी हत्यारा और अपहरणकर्ता रहा है। वाराणसी पोस्टिंग के वक्त पुलिस लाइन में हमारा आफिस था उसके सामने वो विडो रहती थी जिसके पति हेडकांस्टेबल की हत्या पुलिस लाइन में मुख्तार ने की। ऐसा लोग बताते थे।
इस अपराधी ने दो डिप्टी जेलर और तीन पुलिस वाले की हत्या कराई है। कोयला व्यापारी रूंगटा का अपहरण फिरौती के लिए और हत्या की। आज इसकी पत्नी अपने पति की जिंदगी की खैर मांगती है। पंजाब के मुख्यमं… से सेटिंग कर यह व्यक्ति पंजाब में बिल में घुस गया था। इन पूर्वांचल के अपराधियों के लिए आदमी गाजर मूली की तरह है।
यह एक फौजी से एलएमजी खरीद रहा था। इंटरसेप्शन से भांडा फूटा। एसटीएफ के डिप्टी एसपी शैलेन्द्र कुमार सिंह ने मुख्तार को मुलजिम बनाया तो उन पर मुख्तार को बचाने का दबाव हुआ। लेकिन न झुकते हुए त्यागपत्र दे दिया। उन पर उल्टा केस किया गया और जेल भेजा गया।
आज वो केस वापस हुआ है। आज शैलेन्द्र कुमार सिंह पर मुकदमा वापस हुआ। मैंने आज तक इस तरह की मांग नहीं की मगर पहली बार मेरी मांग है कि शैलेन्द्र जी को नौकरी में प्रोन्नति सहित लाया जाए। बात सिर्फ शैलेन्द्र सिंह की नहीं इस राह पर चलने की भी है।
किसी जाति धर्म या क्षेत्र के नाम पर आप किसी अपराधी को सपोर्ट नहीं कर सकते। लेकिन धर्म और जाति पर था सपोर्ट। ऐसा नहीं हुआ होता तो मुख्तार को राजनीतिक पार्टियां गले नहीं लगाती ।
जिन्होंने अलग-अलग समय पर ऐसा किया अगर कानून व्यवस्था की बात करते हैं तो लोग आज विश्वास नहीं करते , कथन और कर्म दोनों को देखा जाता है।
अपने अच्छा करने के सौभाग्य अवसर को खुदके दुर्भाग्य में परिवर्तित कर लिया निम्नस्तरीय अपराधियों को जनप्रतिनिधि तक बनाकर। ऐसे अपराधियों का बहुत बड़ा स्तेमाल होता था बूथ कैप्चरिंग में मगर कुछ लोगों की पूर्व योजनाएं इसलिए दम तोड़ गयीं क्योंकि EVM मशीन चुनाव आयोग ले आया तो अपराधियों का असर सीमित हो गया। हरेक को अपने गिरेबान में आज भी देखना चाहिए और पूर्व वक्त में भी।
अपराधी को जाति धर्म वर्ग के आधार पर समर्थन नहीं होना चाहिए। इस कालिख में सब दोषी रोने वाले हंसने वाले अगर आप अपराधी को अपने रिश्ते के नजरिये से देखते हैं।
जो अपने को आज विक्टिम समझें वो भी और जो अपने को विक्टिम समझते थे वो भी अपना आंकलन करें। उस निम्न स्तरीय बचकानी सोच में मैं साझी नहीं।
मेरा शैलेन्द्र जी से नाता नहीं रिश्ता नहीं और परिचय नहीं। लखनऊ में था 2008 में तब किसी मामले में इन्हें दुष्प्रचारित करने का एक अवसर आया था। मेरा कोई परिचय नहीं था। मैंने साफ तौर पर इंकार कर दिया।
मैंने हाल में इनका नंबर वाराणसी से लेकर बातचीत की थी। ये आजकल आर्गेनिक खेती कर रहे हैं लखनऊ में। कई लोग निर्णय के नुकसान पर प्रवचन देते हैं। ऐसे लोगों को देश पर शहादत भी बचकानी और औचित्यहीन लगती है।
यूपी पुलिस में डिप्टी एसपी विनोद सिरोही की एफबी वॉल से.
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