रैगिंग: छात्रों का भविष्य लीलता दानव
bhopal,Ragging, Students
योगेश कुमार गोयल
पिछले दिनों भोपाल की एक अदालत ने एक निजी फार्मेसी कॉलेज की चार छात्राओं को रैगिंग के मामले में दोषी करार देते हुए पांच साल जेल की सजा सुनाई। रैगिंग का यह मामला साढ़े सात साल पुराना था, जिसमें कॉलेज की इन सीनियर छात्राओं द्वारा 18 साल की एक जूनियर छात्रा की लगातार रैगिंग किए जाने पर उस छात्रा ने परेशान होकर अपने ही घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। छात्रा ने आत्महत्या जैसा हृदयविदारक कदम उठाने से पहले सुसाइड नोट में इन चारों छात्राओं के अलावा एक शिक्षक को भी जिम्मेदार ठहराया था। इस मामले का फैसला सुनाते समय अदालत ने अपने आदेश में कहा कि वर्तमान समय में बहुत से होनहार बच्चे भविष्य के उज्ज्वल सपने लेकर कॉलेज में पढ़ने आते हैं लेकिन रैगिंग की प्रताड़ना के परिणामस्वरूप अपना जीवन समाप्त कर लेते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चों के साथ-साथ उनके परिजनों के सपने भी खत्म हो जाते हैं।
पिछले साल तो कोरोना महामारी के कारण देशभर में स्कूल-कॉलेज बंद रहे इसलिए कहीं से रैगिंग के मामले सामने नहीं आए लेकिन उससे पहले के मामलों पर नजर डालें तो स्थिति बेहद चिंतनीय है। शिक्षण संस्थानों में रैगिंग रोकने के लिए सख्त अदालती दिशा-निर्देशों के बावजूद पिछले कुछ वर्षों से रैगिंग के मामले लगातार सामने आते रहे हैं। निरन्तर सामने ऐसे मामलों से स्पष्ट है कि सीनियर छात्रों को अपनी क्षणिक मस्ती, उद्दंडता और रौब कायम करने के लिए अदालती आदेशों की रत्तीभर परवाह नहीं है। उन्हें इस बात की भी चिंता नहीं कि रैगिंग में उनकी संलिप्तता साबित होने पर उनके स्वर्णिम भविष्य का क्या हश्र होगा। हैरानी की बात यह है कि पहले रैगिंग के मामलों में अधिकांशतः लड़कों की संलिप्तता ही देखने को मिलती थी लेकिन अब लड़कियां भी इसमें लड़कों से पीछे नहीं हैं।
वर्ष 2009 में हिमाचल के धर्मशाला में एक मेडिकल कॉलेज के छात्र अमन काचरू की रैगिंग से मौत के बाद सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी शिक्षण संस्थानों में रैगिंग विरोधी कानून सख्ती से लागू करने के आदेश दिए थे, जिसके तहत दोषी पाए जाने पर ऐसे छात्र को तीन साल की सश्रम कारावास हो सकती है और उसपर आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है। रैगिंग करने का दोषी पाए जाने पर आरोपी छात्र को कॉलेज तथा हॉस्टल से निलंबित या बर्खास्त किया जा सकता है और उसकी छात्रवृत्ति तथा अन्य सुविधाओं पर रोक, परीक्षा देने या परीक्षा परिणाम घोषित करने पर प्रतिबंध लगाने के अलावा किसी अन्य संस्थान में उसके दाखिला लेने पर भी रोक लगाई जा सकती है। इसके अलावा रैगिंग के मामले में कार्रवाई न करने अथवा मामले की अनदेखी करने पर कॉलेज के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है, जिसमें कॉलेज पर आर्थिक दंड लगाने के अलावा कॉलेज की मान्यता रद्द करने का भी प्रावधान है। अदालत के दिशा-निर्देशों के तहत किसी छात्र के रंग-रूप या उसके पहनावे पर टिप्पणी करके उसके स्वाभिमान को ठेस पहुंचाना, उसकी क्षेत्रीयता, भाषा या जाति के आधार पर अपमान करना, उसकी नस्ल या पारिवारिक पृष्ठभूमि पर अभद्र टिप्पणी करना या उसकी मर्जी के बिना जबरन किसी प्रकार का अनावश्यक कार्य कराया जाना रैगिंग के दायरे में सम्मिलित किया गया है।
बताते चलें कि 8 मार्च 2009 को हिमाचल में कांगड़ा के डॉ. राजेन्द्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज में रैगिंग के दौरान चार सीनियर छात्रों ने प्रथम वर्ष के छात्र अमन सत्य काचरू को इतनी बेरहमी से पीटा था कि उसकी मौत हो गई थी। हालांकि अमन तथा उसके कुछ मित्रों ने कॉलेज में रैगिंग की लिखित शिकायत कॉलेज के प्रिंसिपल तथा होस्टल अधिकारियों से की थी किन्तु कॉलेज प्रशासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाने पर सीनियर छात्रों का हौसला इतना बढ़ा कि उन्होंने शराब पीकर रैगिंग के नाम पर अमन को इस कदर पीटा कि डॉक्टर बनकर अपने माता-पिता के ख्वाबों को साकार करने के बजाय वह अपने मां-बाप को आंसुओं के दरिया में डुबोकर हमेशा के लिए दुनिया से अलविदा हो गया। आंध्र प्रदेश में गुंटूर के बापतला स्थित कृषि इंजीनियरिंग कॉलेज में 12 मार्च 2009 को सीनियर छात्राओं द्वारा की गई रैगिंग से खुद को शर्मसार महसूस कर रही नादिमिंती त्रिवेणी नामक प्रथम वर्ष की छात्रा ने जहर खाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया था। उस छात्रा पर उसकी कुछ सीनियर छात्राओं ने पूर्ण रूप से निर्वस्त्र होकर उनके सामने नग्न नृत्य करने के लिए दबाव डाला था।
कुछ वर्ष पूर्व बिहार के एक मेडिकल कॉलेज में रैगिंग के दौरान एक एन.आर.आई. के इकलौते पुत्र की मौत होने पर बहुत बवाल मचा था। एक इंजीनियरिंग कॉलेज में तो रोज शाम को हॉस्टल में जूनियर छात्रों को तंग करने के लिए उन्हें मुर्गा बनाया जाता था, नंगा कर उन्हें एक-दूसरे को अमानवीय तरीके से पकड़कर रेलगाड़ी के डिब्बों की तरह चलने को बाध्य किया जाता था। एक कॉलेज के छात्रावास में एक विद्यार्थी को बिजली के गर्म हीटर पर पेशाब करने को कहा गया। सीनियर छात्रों के दबाव में ऐसी हरकत का नतीजा यह हुआ कि करंट लगने के कारण उसकी उसी क्षण दर्दनाक मौत हो गई। एक मेडिकल कॉलेज में एक जूनियर विद्यार्थी को बाध्य किया गया कि वह रात्रि के समय अस्थि पिंजर वाले कमरे में जाए, जहां उसे डराने के लिए पहले से ही पिंजर के पीछे एक छात्र छिपा था। जब उसे डराया गया तो वह सदमे की हालत में बेहोश होकर वहीं गिर पड़ा। एक इंजीनियरिंग कॉलेज में सीनियर छात्रों ने एक जूनियर छात्र को बीच-पार्टी में रैगिंग के दौरान समुद्र में प्रवेश करने का फरमान दिया किन्तु आनाकानी करने पर सीनियर्स ने उसे जबरन समुद्र में धकेल दिया, जहां समुद्र की लहरें उसे हमेशा के लिए अपने साथ बहा ले गई।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा देश के प्रत्येक उच्च शिक्षण संस्थान में रैगिंग के खिलाफ एक समिति बनाने से लेकर संबंधित नियमों का पालन नहीं करने पर संस्थान की मान्यता रद्द करने तक के सख्त निर्देश हैं लेकिन ऐसा लगता है कि न छात्रों को इन नियमों की परवाह है और न कॉलेज प्रशासन को। रैगिंग अभी भी हमारे कॉलेजों में नासूर बनकर कुछ नवोदित छात्रों का भविष्य बर्बाद कर रही है, इसका अहसास 22 मई 2019 को उस समय भी हुआ था, जब रैगिंग की प्रताड़ना से परेशान होकर मुंबई के नायर अस्पताल से जुड़े टोपीवाला मेडिकल कॉलेज से एमडी कर रही डॉ. पायल तड़वी ने आत्महत्या कर ली थी, जिसके बाद पूरे देश में उस मामले को लेकर हंगामा मचा था और उम्मीद की जाने लगी थी कि इस प्रकरण से देशभर में कॉलेज प्रशासन के साथ-साथ छात्र भी सबक लेंगे और रैगिंग के मामलों पर अंकुश लगेगा। तमाम कॉलेजों में एंटी रैगिंग यूनिट होने के बाद भी बहुत से कॉलेजों में आज भी रैगिंग होती है और अक्सर देखा जाता है कि ऐसे मामलों में कॉलेज प्रशासन की भूमिका भी संतोषजनक नहीं होती, जो सीनियर छात्रों को कहीं न कहीं प्रोत्साहित करने का ही काम करती है।
बहरहाल, सिर्फ शिक्षण संस्थानों के प्रोस्पैक्ट्स में ही रैगिंग पर प्रतिबंध की बात कहने और कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर इस संबंध में एक छोटा सा नोटिस चस्पां कर देने से ही काम नहीं चलने वाला। जरूरत इस बात की है कि कॉलेज प्रशासन रैगिंग में लिप्त पाए जाने वाले छात्रों के खिलाफ कठोर कदम उठाए और उन्हें न केवल तुरंत कॉलेज से निकाल दिया जाए बल्कि ऐसी व्यवस्था भी की जाए कि ऐसे छात्र जीवनभर कोई भी व्यावसायिक डिग्री हासिल न कर पाएं ताकि तमाम कॉलेजों के छात्रों के लिए एक सबक बने।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

 

Dakhal News 18 February 2021

Comments

Be First To Comment....

Video
x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved © 2025 Dakhal News.