Dakhal News
21 November 2024मानवता का दुर्भाग्य है कि शताब्दियों में कभी एक बार आने वाली महाआपदा के काल में एक बौड़म दुनिया का सबसे ताकतवर आदमी है! जब Action का समय था, तब शेखी बघार रहे थे, चीनी वायरस-वुहान वायरस करके चीनियों का मजाक उड़ा रहे थे, नमस्ते ट्रम्प में व्यस्त थे, और अब जब अमेरिका में लाशों का अम्बार लगने लगा है, इनके हाथ-पैर फूल गए हैं, इस सनकी ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है! रोज पागलपनभरे बयान आ रहे हैं।
ताज़ा बयान में इन्होंने फरमाया है कि अगर disinfectant जैसे डेटॉल, साबुन, डिटर्जेंट आदि से कोरोना मर रहा है, तो सभी मरीजों को इनका इंजेक्शन लगा दिया जाँय! इनके बयान से घबड़ाये डेटॉल (Lyson &Dettol) के मालिक/प्रवक्ता Reckitt Benckiser ने तुरंत बयान जारी कर कड़ी चेतावनी दिया कि किसी भी हाल में डेटॉल का इंजेक्शन किसी भी मरीज को न दिया जाय। यह घातक है!
दरअसल, अमेरिका में मौत का तांडव जारी है, उधर ताकतवर कारपोरेट लॉबी का लॉकडाउन खोलने का आत्मघाती दबाव है और इधर राष्ट्रपति चुनाव नजदीक आता जा रहा है, इसमें भयभीत अमेरिकी जनता को दिलासा दिलाने, भटकाने, अच्छे दिन की उम्मीद जगाने के लिए ट्रम्प जादू की छड़ी की तलाश में हैं!
कल उन्होंने और एक नायाब नमूना पेश किया, “लोग धूप का आनंद लें। इसका फायदा होता है तो यह बहुत अच्छी बात होगी। यह बस एक सुझाव है, from a brilliant lab, by a very very smart, perhaps brilliant man!”
वैज्ञानिकों ने यह जरूर बताया है कि वातावरण में, धूप में वायरस कुछ घंटो मैं मर जाता है लेकिन मानव शरीर में जो वायरस है, उसका इस sun therapy से क्या लेना देना ?
आप चाहें तो ट्रम्प के इन नायाब नुस्खों की तुलना गोमूत्र चिकित्सा या ताली-थाली, go Korona go से कर सकते हैं!
आइए, अब अपने देश में कोरोना से निपटने के सबसे सफल मॉडल को लेकर चर्चा कर लें।
मुझे केरल के अपने भाई-बहनों से ईर्ष्या होती है! काश भारत केरल का ही विस्तार होता, शैलजा टीचर हमारी स्वास्थ्यमंत्री और …. केरल आज पूरी दुनिया में चर्चा में है । ग्लोबल एक्सपर्ट्स, मीडिया, बुद्धिजीवी केरल के अनुभव से सबको सीखने की सलाह दे रहे हैं।
केरल जहां भारत में सबसे पहले कोरोना ने दस्तक दी, जहां एक समय Covid19 के सबसे ज्यादा मामले थे, ताज़ा आंकड़ों के अनुसार वहां मात्र 1 नया मामला आया है, कुल 3 मौत हुई है, मात्र 138 मरीज हैं, 255 लोग ठीक हो चुके हैं विशेषज्ञों की तकनीकी भाषा में महामारी का curve वहां flatten हो गया है! जबकि, बाकी पूरे देश में कोरोना कहर बरपा कर रहा है।
उधर केरल अब लॉकडाउन के संभावित खात्मे के बाद के दौर के लिए तैयारियों के अगले चरण की ओर बढ़ चुका है। जबकि, केरल देश के सबसे सघन आबादी वाले इलाकों में है, जो high international mobility वाला राज्य है और वैश्विक अर्थव्यवस्था से गहराई से जुड़ा हुआ है जहां से सम्भवतः आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा खाड़ी देशों समेत विदेशों में माइग्रेंट लेबर है, चीन समेत दुनिया के तमाम देशों में पढ़ाई और नौकरियां करता है।
उक्त सब कारकों के सम्मिलित प्रभाव से केरल को कोरोना के सबसे बदतरीन शिकार Hotspots में होना चाहिए था। लेकिन हो रहा है ठीक उलटा, केरल हमारी सबसे बड़ी उम्मीद बन कर उभरा है ।
प्रधानमंत्री जी राष्ट्र के नाम अपने संबोधनों में इशारे इशारे में यह जताते हैं कि हमारे पास पश्चिम के समृद्ध देशों जैसे संसाधन नहीं हैं, फिर भी हम इतना कर रहे हैं, वे अपनी पीठ ठोंकते हैं।
वे अमेरिका, यूरोप से भारत की तुलना करते हैं।
आखिर केरल जो हमारे ही देश का एक राज्य है जिससे सीखने की बात पूरी दुनिया में हो रही है, उसका तुलनात्मक अध्ययन करते हुए उससे सीखने की बात वे क्यों नहीं करते?
आज Experts की राय में हमारे लिए complacency का कोई कारण नहीं है। पूरी दुनिया भारत की आबादी, जनसंख्या घनत्व, गरीबों की जीवन-स्थितियों, भारत की स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, कोरोना के अत्यंत सीमित टेस्ट, यहां चल रहे नफरती सामाजिक-राजनीतिक एजेंडा आदि के मद्देनजर भारत को लेकर आशंकित और ख़ौफ़ज़दा है।
महासंकट की इस घड़ी में क्या देश केरल मॉडल से सीखेगा?
भारी विविधतापूर्ण समाज(जहां लगभग आधी आबादी धार्मिक अल्पसंख्यकों की है-25% मुस्लिम, 20% ईसाई आबादी सहित सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, यहूदी) की चट्टानी एकता और सामाजिक सौहार्द के साथ, अपनी शिक्षित मानवीय संपदा-नागरिक समाज, विकेन्द्रित लोकतांत्रिक राजनैतिक-प्रशासनिक मशीनरी, बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाओं और दूरदर्शी, चुस्त-दुरुस्त, समय रहते सटीक पहल लेते जवाबदेह नेतृत्व के बल पर केरल ने आज यह चमत्कार किया है! यही भारत के लिए उम्मीद की किरण है!
लाल बहादुर सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रह चुके हैं.
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27 April 2020
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