जम्मू कश्मीर हाईटैक सुविधाओं से लैस होगी पुलिस
bhopal,  Jammu and Kashmir: Police will be equipped with hi-tech facilities

योगेश कुमार सोनी

 

देश के बंटवारे के बाद से ही जम्मू-कश्मीर पुलिस तमाम तरह की कठिनाइयों का सामना करती रही है लेकिन धारा 370 हटने के बाद स्थिति में फर्क आया है। हरकत वाले नेता या जो कुछ लोग थे, उनपर शासन-प्रशासन ने शिकंजा कस रखा है लेकिन पाकिस्तान अभी भी बाज नहीं आ रहा। जैसा कि जम्मू-कश्मीर हमेशा से एक संवेदनशील राज्य रहा है, यहां कभी भी पत्थरबाजी या आतंकी हमले की आशंकाएं बनी रहती हैं। अलगाववादी व हुर्रियत नेताओं की वजह से माहौल इतना खराब रहा है कि पुलिस पर भी हमले होते रहे हैं। हजारों पुलिसकर्मियों ने शहादत दी।

 

जब से जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बना, यहां बदलाव आ रहा है। फिलहाल पुलिस को हाईटैक करने पर काम जारी है। रोबोट, हेलीकॉप्टर, टोटल कॉन्टेनमेंट वेसल और रिमोट से चलने वाले वाहनों के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस पचास हाइटैक यूएवी से लैस होने वाली है। इतने ज्यादा यूएवी की डील पहली बार हो रही है। यूएवी का अर्थ होता है मानव रहित विमान। यह संदिग्ध इलाकों व दुश्मनों के क्षेत्रों पर निगरानी रखने के लिए काम आता है और जरूरत पड़ने पर आक्रमण करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। यह रिमोर्ट से कंट्रोल होता है व इसे ड्रोन विमान भी कहा जाता है। इसे इस्तेमाल का सबसे बड़ा कारण यह है कि निगरानी से कोई भी संदिग्ध जगह बची न रह जाए।

 

इसबार स्वयं गृह मंत्रालय पुलिस को आधुनिक बनाने में लगा हुआ है। हर छोटी से छोटी बात पर सीधे गृहमंत्री अमित शाह से संपर्क साधते हुए संबंधित अधिकारी किसी भी पहलू को छोड़ते नहीं दिख रहे। जानकारी के मुताबिक 15 मार्च तक सभी उपकरणों के साथ पुलिस लैस नजर आएगी। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाद सिंह ने स्थिति व व्यवस्था को समझते हुए बताया कि अब बिना टेक्नोलॉजी के पुलिसिया सिस्टम प्रभावित होने लगा है। समय के साथ अपटेड व अपग्रेड होते रहना चाहिए। अब रिकॉर्डिंग सहित ड्रोन कैमरे का प्रयोग होगा। जो लोग घटना को अंजाम देकर सबूत के अभाव में बेकसूर बताकर बच जाते थे वो अब नहीं बचेंगे।

 

धारा 370 हटने के बाद शांति बनी हुई है। यहां का जनजीवन पटरी पर लौट आया है लेकिन अभी भी कुछ नेता अपनी घटिया हरकतों को अंजाम की योजना बना सकते हैं। जैसा कि अबतक जम्मू-कश्मीर में 22 जिले थे। दो केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में 20 और लद्दाख में 2 जिले घोषित हो चुके। क्षेत्रफल के हिसाब से लेह भारत का सबसे बड़ा जिला माना जाता है इसलिए सतर्कता के हिसाब से चुनौती यहां भी कम नहीं है।

जब भी कोई घटना होती है और अपराधी या आतंकवादी पकड़े नहीं जाते तो हमेशा पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठता था हालांकि स्थिति आज भी यही है। लेकिन इसके विपरित हमें यह भी समझना चाहिए कि संवेदनशील जगहों पर पुलिस बेहद कठिनाइयों के साथ काम करती है। भारी ठंड और गर्मी के बीच हर वक्त अपनी सेवाएं देना चुनौतीपूर्ण है। यदि बात जम्मू-कश्मीर जैसे प्रदेश की हो तो यहां दोहरी कठिनाइयां झेलते हुए पुलिसकर्मी देश की सेवा करते हैं। इसलिए आज पुलिस बल को और अधिक बल देने की जरूरत है।

 

बीते वर्ष के अंत में प्रदेश पुलिस को अंडर-व्हीकल इंस्पेक्शन सिस्टम और डीप सर्च मेटल डिटेक्टर जैसे आधुनिक उपकरण दिए गए थे। यह उपकरण विस्फोटक ले जा रहे वाहनों की पहचान करने और जमीन के कई फीट अंदर तक छुपाए गए विस्फोटक को ढूंढ लेता है। मौजूदा केंद्र सरकार ऐसी चीजों पर काम करके देश को अग्रसरता की ओर लेकर जा रही है।

 

 

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

Dakhal News 25 February 2020

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