भोपाल। केंद्र सरकार ने नयी आयकर व्यवस्था में वैकल्पिक मार्ग चुनने की व्यवस्था देकर करदाताओं के सामने अपने लिए सही विकल्प का चुनाव करने का जो अवसर दिया है, उससे जहां अब तक कई करदाताओं के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुई है, आखिर वे अपने लिए कौन से आयकर स्लैब का चुनाव करें नए या पुराने? वहीं अब सरकार स्वयं उनकी मदद करने इस मामले में आगे आई है। आयकर विभाग की वेबसाइट को देखें तो आयकरदाताओं को मदद देने उसने ई-कैल्कुलेटर लॉन्च किया है।
गौरतलब है कि इंडिया फिलिंग के डाटा के अनुसार मध्यप्रदेश में पिछले वित्त वर्ष के दौरान 26 लाख 35 हजार 445 लोगों ने आयकर जमा किया था, जबकि देशभर में कुल आयकर जमा करनेवालों की संख्या 08 करोड़ 45 लाख 14 हजार 539 थी । इसी तरह से पिछले वर्ष में 154 करोड़ रुपये केगत वर्ष रिफंड के मुकाबले 38.39 फीसदी अधिक यानी कि 213 करोड़ रुपये के रिफंड इश्यू किए थे और पिछले वित्त वर्ष में करीब 6 लाख 80 हजार नए आयकरदाता पूरे मध्यप्रदेश में जोड़े गए हैं।
इस मामले में जब विभाग की अधिकारिक वेबसाइट incometaxindiaefiling.gov.in पर जाते हैं तो वहां एक ऑनलाइन ई-कैल्कुलेटर नजर आता है, जिसकी मदद से सभी आयकर दाता अपने लिए बेहतर विकल्प चुन सकते हैं । सभी करदाता यहां वेबसाइट की मदद से कैल्कुलेटर के जरिए बजट में प्रस्तावित नए और पुराने आयकर स्लैब विकल्पों की तुलना कर अब आसानी से जान सकते हैं कि उनके लिए कौन सा विकल्प चुनना लाभकारी होगा ।
उल्लेखनीय है कि आयकर के मोर्चे पर करदाताओं कुछ राहत देते हुए वित्त मंत्री ने आयकर स्लैब में व्यापक बदलाव की घोषणा की है। नए टैक्स सिस्टम में 100 रियायतों में से 70 को खत्म करने के साथ ही कर के कई स्लैब बनाए हैं। नयी आयकर व्यवस्था वैकल्पिक है। करदाताओं को पुरानी व्यवस्था या नयी व्यवस्था में से किसी एक को चुनने का विकल्प दिया गया है । उन्होंने कहा कि 15 लाख रुपए की आय पर पर आयकर दाता यदि किसी प्रकार की छूट या लाभ नहीं लेता है तो उसे एक लाख 95 हजार रुपए का कर देना होगा जबकि पुरानी प्रणाली में दो लाख 73 हजार रुपये का कर देना पड़ता था। इस प्रकार नयी प्रणाली को अपनाने पर 78 हजार का लाभ होगा। फिर भी कई मामलों में पुरानी कर प्रणाली चुनने में अपने अलग लाभ भी यहां आयकर विभाग ने बताए हैं।
उधर, यह जानना भी जरूरी है कि नई आयकर व्यवस्था वैकल्पिक है और करदाता चाहे तो छूट और कटौती के साथ पुरानी कर व्यवस्था में पूर्वत ही रह सकता है। यहां महत्वपूर्ण और ध्यानदेने योग्य जरूरत यह है कि एक बार नई कर व्यवस्था को चुनने के बाद करदाता पर यह व्यवस्था आगामी वर्षों में भी लागू रहेगी। अब फैसला आयकर दाताओं को लेना है कि उनके लिए कौन सा स्लैब फायदेमंद है।