Patrakar Priyanshi Chaturvedi
अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया ने एक जनवरी से निजी जेलों और डिटेंशन सेंटरों से कोई नया कांट्रैक्ट करने या रिन्यू करने पर रोक लगा दिया है. ऐसे सभी मौजूदा कांट्रैक्ट 2028 तक ख़त्म कर दिए जायेंगे. अमेरिका में निजी जेल का धंधा बहुत बड़ा है.
20 फ़ीसदी फ़ेडरल क़ैदी ऐसी जेलों में हैं. फ़ेडरल और राज्यों के क़ैदियों को मिलाकर देखें, तो यह आंकड़ा आठ फ़ीसदी से कुछ ज़्यादा है.
सरकार एक क़ैदी पर जेल चलानेवाली कंपनी को 23 हज़ार डॉलर के आसपास देती है, जबकि अमेरिका में न्यूनतम वेज पर नियमित काम करनेवाला साल में सिर्फ़ 15 हज़ार डॉलर ही कमा पाता है. धंधा चलाने के लिए अधिक लोगों को अधिक दिनों तक जेलों में रखने का खेल भी होता है. डेमोक्रेटिक पार्टी के मुख्य उम्मीदवारों ने निजी जेल बंद करने का वादा किया है.
भारत में पिछले दरवाज़े से निजीकरण जेलों में घुस रहा है. इसके लिए लॉबिंग भी एक्टिवेटेड मोड में है. पता नहीं कि देश में अनेक जगहों पर बन रहे डिटेंशन सेंटर सरकार चलायेगी या निजी ठेकेदारों को सौंपेगी तथा देशभर की एनआरसी के बाद और जेलों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए आगे क्या होता है. यह भी अहम है कि क्या डिटेंशन सेंटर और जेलों की समीक्षा/सर्वेक्षण की व्यवस्था भी ठीक से की जायेगी.
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