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लोकगीत चोला माटी के राम के साथ बेटे की विदाई
यह दृश्य देखेंगे तो खुद को रोने से रोक नहीं पाएंगे
एक कलाकार माँ ने जब अपने कलाकार बेटे को अंतिम विदाई दी तो माहौल बेहद ग़मगीन था | ऐसे में माँ के होठों से एक लोकगीत चोला माटी के राम | निकला तो कलेजा फट पड़ा इस वेदना के पलों में आँखों में सिर्फ आंसुओं का सैलाब था |
लोक गायिका व अभिनेत्री मां और प्रसिद्ध लोक कलाकार के इस लाडले की अंतिम विदाई के समय ममता नगर में जो कुछ हुआ, वैसा केवल किस्से-कहानियों में ही मिलता है | यह दृश्य किसी को भी रोने को मजबूर कर सकते हैं | मां ने बेटे की अंतिम इच्छा के अनुरूप छत्तीसगढ़ी लोकगीत एकर का भरोसा, चोला माटी के राम गाकर अंतिम विदाई दी साथी कलाकारों ने ढोलक और हारमोनियम पर संगत देकर दोस्त को श्रद्धांजलि अर्पित की पूनम तिवारी और रंगकर्मी दीपक तिवारी के बेटे सूरज तिवारी का हृदयाघात से निधन हो गया | अंतिम यात्रा की तैयारी शुरू हुई अर्थी तैयार की गई आरती तिलक के बाद मुक्तिधाम निकलने के पहले मां पूनम ने बेटे की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए दिल पर पत्थर रखा और अपने नाटक के लोकगीत 'एकर का भरोसा, चोला माटी के राम गाया | यह गीत पूनम तिवारी सैकड़ों बार गा चुकी थीं, लेकिन एक बेटे का मां से हमेशा के लिए बिछड़ने की जो पीड़ा थी, उसने सभी को रुला दिया |
सूरज कुछ दिनों पहले बीमार हुए तो पल्स नेहरू नगर अस्पताल में भर्ती किए गए थे | थोड़ा आराम लगा तो 29 अक्टूबर को तिल्दा के एक गांव में कार्यक्रम देने चले गए |यह उनके जीवन की आखिरी प्रस्तुति थी | गायक, वादक और रंग छत्तीसा के संचालक सूरज की मौत से कला के पुजारी इस परिवार पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा सूरज बचपन से पिता के नाटक चरणदास चोर को देखते आए थे | उन्होंने हबीब तनवीर के साथ काम किया | नाटक आगरा बाजार का सैकड़ों शो भी किये |
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