Dakhal News
25 April 2024
दोनों ओर से जमकर बरसे
पांढुरना में परंपरागत गोटमार मेले का आयोजन हुआ | परंपरागत तरीके से एक दूसरे को गोट मारे गए इसमें कुल मिलकर तीन सौ लोगों को चोटें आयी हैं | इनमे से एक की हालत गंभीर बताई जा रही है | श्रद्धालुओं ने गोटमार की शुरूआत से पहले पलाश के वृक्ष की स्थापना की, ध्वज लगाने के साथ ही मां चंडिका के मंदिर में श्रद्धालुओं ने दर्शन किए | इसके बाद युद्ध का दौर शुरू हुआ और लोगों ने एक दूसरे पर पत्थर बरसाए |
गोटमार मेले में इस बार तक़रीबन तीन सौ लोगों को चोटें लगी हैं | घायलों में एक युवक की पहचान गणेश वानखड़े निवासी पांढुर्ना के तौर पर हुई है | घायल युवक के पेट और पसली मे चोट लगी है | उसकी चोट को गंभीर बताया जा रहा है | उसे नागपुर रैफर कर दिया गया इस दौरान पुलिस का व्यापक बंदोबस्त किया गया | गोटमार मेले की शुरुआत 17वीं ई. के लगभग मानी जाती है | महाराष्ट्र की सीमा से लगे पांर्ढुना हर वर्ष भादो मास के कृष्ण पक्ष में अमावस्या पोला त्योहार के दूसरे दिन पांर्ढुना और सावरगांव के बीच बहने वाली जाम मे वृक्ष की स्थापना कर पूजा अर्चना कर नदी के दोनों ओर बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते हैं और सूर्योदय से सूर्यास्त तक पत्थर मारकर एक-दूसरे का लहू बहाते हैं | इस घटना में कई लोग घायल हो जाते हैं | ढोल ढमाकों के बीच लगाओ-लगाओ के नारों के साथ कभी पांर्ढुना के खिलाड़ी आगे बढ़ते हैं तो कभी सावरगांव के खिलाड़ी | दोनों एक-दूसरे पर पत्थर मारकर पीछे ढकेलने का प्रयास करते है और यह क्रम लगातार चलता रहता है | खिलाड़ी चमचमाती तेज धार वाली कुल्हाड़ी लेकर झंडे को तोड़ने के लिए उसके पास पहुंचने की कोशिश करते हैं | ये लोग जैसे ही झडे के पास पहुंचते हैं साबरगांव के खिलाड़ी उन पर पत्थरों की बारिश कर देते हैं और पाढुर्णा वालों को पीछे हटा देते हैं | शाम को पांर्ढुना पक्ष के खिलाड़ी पूरी ताकत के साथ चंडी माता का जयघोष एवं भगाओ-भगाओ के साथ सावरगांव के पक्ष के व्यक्तियों को पीछे ढकेल देते है और झंडा तोड़ने वाले खिलाड़ी, झंडे को कुल्हाडी से काट लेते हैं | जैसे ही झंडा टूट जाता है, दोनों पक्ष पत्थर मारना बंद करके मेल-मिलाप करते हैं और गाजे बाजे के साथ चंडी माता के मंदिर में झंडे को ले जाते है |
Dakhal News
31 August 2019
All Rights Reserved © 2024 Dakhal News.
Created By: Medha Innovation & Development
|