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कश्मीरी पत्रकार और राइजिंग कश्मीर के संपादक शुजात बुखारी की हत्या के मामले में पुलिस ने कहा है कि उनकी हत्या का आदेश पाकिस्तान से दिया गया था। जम्मू कश्मीर पुलिस का कहना है कि इस मामले में विभाग को कुछ ऐसे सुराग हाथ लगे हैं, जिसके बाद ऐसी उम्मीद की जा रही है कि सच्चाई सामने आ जाएगी। पुलिस सूत्रों ने बताया कि जून के आखिर तक शुजात बुखारी मामले में बड़ा खुलासा हो सकता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आतंकियों को सीमा पार से बुखारी की हत्या के आदेश मिले थे। शुजात बुखारी घाटी में शांति कायम करने के लिए काम कर रहे थे। रमजान के महीने मेंं 14 जून 2018 को अज्ञात हमलावरों ने पत्रकार शुजात बुखारी की उनके दफ्तर के बाहर हत्या कर दी थी। इससे पहले भी शुजात बुखारी पर हमले हुए थे।
बुखारी की हत्या के मामले में पुलिस अलगाववादी हुर्रियत नेताओं की भूमिका को लेकर भी जांच कर रही है। हुर्रियत की ओर से वरिष्ठ पत्रकार बुखारी को दुबई में कॉन्फ्रेंस का हिस्सा न बनने की सलाह दी गई थी।
जांच से सीधे जुड़े हुए अधिकारी ने बताया कि इस बात की ज्यादा आशंका है कि उनकी हत्या घाटी में शांति को बढ़ावा देने की उनकी कोशिशों के चलते की गई। उनके मुताबिक, ये बातें अलगाववादी और नियंत्रण रेखा (एलओसी) के दोनों ओर के जमियत-ए-इस्लामी नेताओं को नागवार गुजरी।
उन्होंने बताया कि हमने आरोपियों को लेकर सीधी जांच की है। हत्यारे की पहचान कर ली गई है। खुफिया विभाग को मिले इनपुट हत्या के मामले में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की ओर इशारा कर रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पाकिस्तानी पत्रकार और कार्यकर्ता इरशद महमूद के 16 जून को किए गए फेसबुक पर उर्दू पोस्ट को बेहद गंभीरता से लिया है। महमूद राइजिंग कशमीर के संपादक शुजात बुखारी के करीबी थे।
अधिकारियों के मुताबिक, दुबई में आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में शुजात बुखारी ने भी शिरकत की थी और उनकी बातें अलगाववादी समूहों को रास नहीं आई। महमूद के पोस्ट के मुताबिक, बुखारी की राय घाटी के अलगाववादियों और यूनाइटेड जिहाद काउंसिल की अध्यक्षता करने वाले सीनियर जमियत और हिजबुल मुजाहिदीन नेता सैयद सलाहुद्दीन को पसंद नहीं आई।
महमूद ने दावा किया कि दुबई में आयोजित कॉन्फ्रेंस में शामिल होने वाले राइजिंग कश्मीर के संपादक और अन्य सभी लोगों को ‘इंडिया का पेड एजेंट्स’ बताने के बाद उन्होंने बुखारी को लेकर सलाहुद्दीन से बात की थी। प्रतिबंधित आतंकी संगठन के प्रवक्ता ने भी उस कॉन्फ्रेंस में शामिल होने वाले लोगों को गद्दार कहते हुए उन्हें जल्द ही सबक सिखाने के बात कही थी।
अरशद महमूद के अनुसार बुखारी भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत की वकालत करने को लेकर आतंकियों और आईएसआई के निशाने पर आ गए थे। महमूद ने उर्दू में लिखी अपनी फेसबुक पोस्ट में कहा, 'वह लोग कश्मीर पर किसी नए विचार के हिमायती नहीं हैं।'
खुफिया ब्यूरो (आईबी) के पूर्व विशेष निदेशक एएस दुलत ने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी ने कुछ दिन पहले ही सुरक्षा बढ़ाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से संपर्क किया था। निजी सुरक्षा गार्ड के तौर पर उन्हें उपलब्ध कराए गए दो पुलिस अधिकारी भी इस हमले में मारे गए थे।
दुलत ने एक बयान में कहा था बुखारी ने बार-बार अलगाववाद, आतंकवाद में वृद्धि और व्यापक डर की चेतावनी दी थी और कहा था कि ऐसे माहौल में कोई भी सुरक्षित नहीं है।
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